हल्द्वानीः पर्वतीय क्षेत्र के किसानों को नई वैरायटी के बीज और फसल की जानकारी देने के उद्देश्य से जागरूकता बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में कृषि विज्ञान केंद्र ज्योलीकोट के वैज्ञानिक कंचन नैनवाल किसानों से रूबरू हुए. इस दौरान उन्होंने किसानों की समस्याएं सुनीं. साथ ही उनकी समस्याओं का समाधान भी किया.
दरअसल, नई वैरायटी का लाभ किसानों और काश्तकारों को कैसे मिल सकता है? इसको लेकर हल्द्वानी मंडी में ज्योलीकोट कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की मौजूदगी में जागरूकता बैठक का आयोजन किया गया. इस दौरान किसानों ने उद्यान और खेती से संबंधित परेशानियों को वैज्ञानिकों के समक्ष रखा. बैठक में फलों का बेहतर उत्पादन कैसे हो, फलों में लगने वाले रोग और अन्य तकनीकी समस्याओं को लेकर वैज्ञानिकों ने अपने सुझाव किसानों को दिए.
किसानों ने बताया कि पहाड़ों में आज भी पुरानी पद्धति से ही खेती कर रहे हैं. नई वैरायटी का उन्हें कोई भी लाभ नहीं मिल पा रहा है. लिहाजा, अब आवश्यकता इसकी है कि वैज्ञानिक, लैब से लेकर लैंड तक किसान का साथ दें. जिससे उनके उत्पादन क्षमता में परिवर्तन आ सके.
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कृषि विज्ञान केंद्र ज्योलीकोट की वैज्ञानिक डॉक्टर कंचन नैनवाल के मुताबिक, किसान चाहते हैं कि वैज्ञानिक नई तकनीक लेकर ग्राउंड लेवल तक पहुंचे. जिससे उनकी उत्पादन क्षमता तो बढ़े. साथ ही फसलों और फलों में लगने वाले रोगों से उनको छुटकारा भी मिल सके. इसके अलावा लैब टेस्टिंग, सॉइल टेस्टिंग से भी किसान रूबरू हो सके.
पहाड़ के किसानों के साथ परेशानी ये होती है कि उन्हें समय पर नई तकनीक उपलब्ध नहीं हो पाते हैं. जिसका असर फलों और सब्जियों के उत्पादन पर पड़ता है. उन्हें फसल की सही लागत तक नहीं मिल पाती है. कई बार तो फल और सब्जियों में रोग लगने की वजह से उत्पादन न के बराबर होता है. लिहाजा, इस तरह के कार्यक्रम का फायदा किसानों को मिलता है.
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