नैनीताल: अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने वाली टीम के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर महेंद्र पाल नैनीताल पहुंचे थे. इसी बीच उन्होंने गुरुद्वारा और मां नैना देवी के मंदिर में मत्था टेका. जिसके बाद वो अपने पूर्व कॉलेज पॉलिटेक्निक पहुंचे और वहां शिक्षकों से मुलाकात की. साथ ही चंद्रयान की सफलता के बारे में स्कूली छात्र-छात्राओं से चर्चा करते हुए उस समय आई कठिनाइयों और अच्छाइयों को साझा किया.
यूआर राव सेटेलाइट सेंटर के क्वालिटी एश्योरेंस ग्रुप-इसरो में कार्यरत अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. महेंद्र पाल सिंह ने बताया कि उन्होंने नैनीताल पॉलिटेक्निक कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग किया था. इसके बाद 1987 में इसरो के लिए वो चयनित हुए. वहां उन्होंने तकनीकी विभाग में काम किया और 6 साल बाद वह वैज्ञानिक बने. फिर अंतरिक्ष के कई मिशनों का वो हिस्सा रहे. हाल ही में उन्होंने अपनी टीम के साथ चंद्रयान-3 में अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा कि आज 38 साल बाद वो अपने परिवार के साथ पॉलिटेक्निक कॉलेज आए हैं.
बता दें कि डॉ. महेन्द्र पाल सिंह उधमसिंह नगर अंतर्गत आने वाले काशीपुर के मूल निवासी हैं. 1965 में जन्मे महेंद्र ने अपनी प्राथमिक और बेसिक शिक्षा उधमसिंह नगर से पूरी की. प्राथमिक शिक्षा के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए बीएसवी इंटर कॉलेज जसपुर में पढ़ाई की. जिसके बाद उन्होंने वर्ष 1982 से 85 तक राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.
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अपना कोर्स पूरा करने के बाद वह अपने चचेरे भाई कृपाल सिंह कालरा के साथ लुधियाना चले गए, जहां उन्होंने एक निजी कंपनी में एक साल तक काम किया. महेंद्र अगस्त 1987 में बैंगलोर में इसरो में शामिल हुए. वह चंद्रयान-3 के असेंबली इंटीग्रेशन और परीक्षण के लिए मैकेनिकल क्वालिटी एश्योरेंस टीम के प्रमुख थे.
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