ETV Bharat / state

आयुष और एलोपैथिक डॉक्टरों में भेदभाव नहीं कर सकती राज्य सरकार: सुप्रीम कोर्ट - आयुष और एलोपैथिक

आयुष और एलोपैथिक डॉक्टरों को समान वेतन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की एलएसपी को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार इनमें भेदभाव नहीं कर सकती है.

Supreme court
सुप्रीम कोर्ट
author img

By

Published : Mar 25, 2022, 9:30 PM IST

नैनीताल: आयुष और एलोपैथिक दोनों चिकित्सक समान वेतन के हकदार हैं. राज्य सरकार इनमें भेदभाव नहीं कर सकती है. सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड सरकार की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को खारिज कर करते हुए यह वक्तय दिया है. वहीं, कोर्ट के इस निर्णय से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में नियुक्त करीब 300 आयुष चिकित्सक लाभान्वित होंगे.

बता दें कि राज्य सरकार ने 2012 में एलोपैथिक व आयुष चिकित्सकों को 25 हजार मासिक मानदेय के साथ पांच प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के अनुबंध पर चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त किया. बाद में सरकार ने सिर्फ एलोपैथिक चिकित्सकों का मानदेय बढ़ाकर 50 हजार कर दिया. आयुष चिकित्सकों के मानदेय में कोई वृद्धि नहीं की.

नैनीताल जिले के मोटाहल्दू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात आयुष चिकित्सक संजय सिंह ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सरकार के निर्णय को चुनौती दी. याचिका में कहा गया कि दोनों तरह के चिकित्सक समान वेतन के हकदार हैं. वर्ष 2018 में हाई कोर्ट ने दोनों चिकित्सकों को समान वेतन देने के आदेश पारित किए. इस निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर चुनौती दी.
ये भी पढ़ेंः नैनीताल में आवारा कुत्तों का आतंक, HC ने जिला प्रशासन का किया तलब

वहीं, सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष आयुष चिकित्सक के अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने तर्क दिया कि आयुष व एलोपैथिक चिकित्सकों की नियुक्ति मेडिकल अफसर के रूप में हुई है. नियुक्ति की विज्ञप्ति में यह साफ किया गया था. वहीं, राज्य सरकार ने दलील दी कि दोनों चिकित्सक अलग-अलग तरह का इलाज करते हैंय एलोपैथिक चिकित्सकों का काम अधिक गंभीर व महत्वपूर्ण है.

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विनीत सरन व जस्टिस माहेश्वरी की संयुक्त पीठ ने राज्य सरकार के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि दोनों चिकित्सक मरीजों का इलाज अपनी-अपनी विधि से करते हैं. राज्य सरकार उनके बीच अंतर नहीं कर सकती. उपचार के आधार पर भेदभाव अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है. सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की एसएलपी को खारिज कर एलोपैथिक व आयुष चिकित्सकों को समान वेतन देने के नैनीताल हाई कोर्ट के निर्णय को सही करार दिया.

नैनीताल: आयुष और एलोपैथिक दोनों चिकित्सक समान वेतन के हकदार हैं. राज्य सरकार इनमें भेदभाव नहीं कर सकती है. सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड सरकार की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को खारिज कर करते हुए यह वक्तय दिया है. वहीं, कोर्ट के इस निर्णय से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में नियुक्त करीब 300 आयुष चिकित्सक लाभान्वित होंगे.

बता दें कि राज्य सरकार ने 2012 में एलोपैथिक व आयुष चिकित्सकों को 25 हजार मासिक मानदेय के साथ पांच प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के अनुबंध पर चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त किया. बाद में सरकार ने सिर्फ एलोपैथिक चिकित्सकों का मानदेय बढ़ाकर 50 हजार कर दिया. आयुष चिकित्सकों के मानदेय में कोई वृद्धि नहीं की.

नैनीताल जिले के मोटाहल्दू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात आयुष चिकित्सक संजय सिंह ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सरकार के निर्णय को चुनौती दी. याचिका में कहा गया कि दोनों तरह के चिकित्सक समान वेतन के हकदार हैं. वर्ष 2018 में हाई कोर्ट ने दोनों चिकित्सकों को समान वेतन देने के आदेश पारित किए. इस निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर चुनौती दी.
ये भी पढ़ेंः नैनीताल में आवारा कुत्तों का आतंक, HC ने जिला प्रशासन का किया तलब

वहीं, सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष आयुष चिकित्सक के अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने तर्क दिया कि आयुष व एलोपैथिक चिकित्सकों की नियुक्ति मेडिकल अफसर के रूप में हुई है. नियुक्ति की विज्ञप्ति में यह साफ किया गया था. वहीं, राज्य सरकार ने दलील दी कि दोनों चिकित्सक अलग-अलग तरह का इलाज करते हैंय एलोपैथिक चिकित्सकों का काम अधिक गंभीर व महत्वपूर्ण है.

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विनीत सरन व जस्टिस माहेश्वरी की संयुक्त पीठ ने राज्य सरकार के तर्क को खारिज करते हुए कहा कि दोनों चिकित्सक मरीजों का इलाज अपनी-अपनी विधि से करते हैं. राज्य सरकार उनके बीच अंतर नहीं कर सकती. उपचार के आधार पर भेदभाव अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है. सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की एसएलपी को खारिज कर एलोपैथिक व आयुष चिकित्सकों को समान वेतन देने के नैनीताल हाई कोर्ट के निर्णय को सही करार दिया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.