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अब मैदानी क्षेत्रों में भी होगी पहाड़ी फलों की बागवानी, हल्द्वानी के संजय ने किया कमाल - Sanyaj did horticulture of Poolam

पहाड़ी फलों आडू, पूलम और खुमानी की मैदानी क्षेत्रों में काफी डिमांड है, लेकिन अब इन फलों को मैदानी क्षेत्रों में भी उत्पादन की किया जा सकेगा.

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पहाड़ी फलों की बागवानी
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Published : Jun 3, 2020, 10:06 AM IST

Updated : Jun 3, 2020, 11:08 AM IST

हल्द्वानी: पहाड़ों के रसीले और स्वास्थ्यवर्धक फल आड़ू, पुलम, खुमानी की डिमांड मैदानी क्षेत्रों में खूब है. ऐसे में अब इन पहाड़ी फलों का मैदानी इलाकों में भी उत्पादन शुरू हो गया है. मई, जून और जुलाई माह में उत्पादित होने वाला पहाड़ के रसीले पुलम फल की बगवानी ऊंचाई और सबसे ठंडे इलाके में होती है, लेकिन हल्द्वानी के रहने वाले हैं संजय पांडे ने पहाड़ के ठंडे इलाकों में होने वाले पुलम फल की बागवानी अपने घर में तैयार की है. जिसमें भारी मात्रा में स्वादिष्ट पुलम के फल तैयार हुए हैं.

पहाड़ी फलों की बागवानी

पुलम की बागवानी अक्सर पहाड़ के ऊंचाई और ठंडे इलाकों में की जाती है. वहीं, जलवायु परिवर्तन के चलते अब पुलम की बागवानी हल्द्वानी और उसके आसपास के क्षेत्रों में भी की जा सकती है. ऐसा ही कर दिखाया है हल्द्वानी के रहने वाले पंकज पांडे ने जो अपने घर की बागवानी में तरह-तरह के मैदानी फल के अलावा पहाड़ी फल भी लगाए हैं. उन्होंने पहली बार पहाड़ी फल पुलम का उत्पादन किया है.

ये भी पढ़े: आज ये हैं देहरादून राशन, फल और सब्जियों के दाम

संजय पांडे ने कहा कि उन्होंने 3 साल पहले चौबटिया से पुलम का पेड़ लाकर हल्द्वानी में लगाया. जबकि, उनको उम्मीद नहीं थी कि यहां भी पुलम की बगवानी की जा सकती है. उन्होंने पुलम का उत्पादन कर अन्य किसानों को इस खेती के लिए प्रेरित किया है. संजय पांडे ने कहा कि किसान अगर चाहे तो पहाड़ के कई उत्पादन को हल्द्वानी और उसके आसपास के क्षेत्र में उत्पादित कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि पहली बार मैंने पुलम की बागवानी कर एक पेड़ से करीब 50 किलो से अधिक पुलम का उत्पादन किया है.

संजय पांडे ने तराई के किसानों से अपील की है कि वह पहाड़ के इस फल को उत्पादन कर रोजगार का संसाधन बना सकते हैं. जिससे कि उत्तराखंड के इस फल को अन्य राज्यों में भी पहचान मिल सके और लोग इससे मुनाफा कमा अपना आजीविका चला सकते हैं.

हल्द्वानी: पहाड़ों के रसीले और स्वास्थ्यवर्धक फल आड़ू, पुलम, खुमानी की डिमांड मैदानी क्षेत्रों में खूब है. ऐसे में अब इन पहाड़ी फलों का मैदानी इलाकों में भी उत्पादन शुरू हो गया है. मई, जून और जुलाई माह में उत्पादित होने वाला पहाड़ के रसीले पुलम फल की बगवानी ऊंचाई और सबसे ठंडे इलाके में होती है, लेकिन हल्द्वानी के रहने वाले हैं संजय पांडे ने पहाड़ के ठंडे इलाकों में होने वाले पुलम फल की बागवानी अपने घर में तैयार की है. जिसमें भारी मात्रा में स्वादिष्ट पुलम के फल तैयार हुए हैं.

पहाड़ी फलों की बागवानी

पुलम की बागवानी अक्सर पहाड़ के ऊंचाई और ठंडे इलाकों में की जाती है. वहीं, जलवायु परिवर्तन के चलते अब पुलम की बागवानी हल्द्वानी और उसके आसपास के क्षेत्रों में भी की जा सकती है. ऐसा ही कर दिखाया है हल्द्वानी के रहने वाले पंकज पांडे ने जो अपने घर की बागवानी में तरह-तरह के मैदानी फल के अलावा पहाड़ी फल भी लगाए हैं. उन्होंने पहली बार पहाड़ी फल पुलम का उत्पादन किया है.

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संजय पांडे ने कहा कि उन्होंने 3 साल पहले चौबटिया से पुलम का पेड़ लाकर हल्द्वानी में लगाया. जबकि, उनको उम्मीद नहीं थी कि यहां भी पुलम की बगवानी की जा सकती है. उन्होंने पुलम का उत्पादन कर अन्य किसानों को इस खेती के लिए प्रेरित किया है. संजय पांडे ने कहा कि किसान अगर चाहे तो पहाड़ के कई उत्पादन को हल्द्वानी और उसके आसपास के क्षेत्र में उत्पादित कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि पहली बार मैंने पुलम की बागवानी कर एक पेड़ से करीब 50 किलो से अधिक पुलम का उत्पादन किया है.

संजय पांडे ने तराई के किसानों से अपील की है कि वह पहाड़ के इस फल को उत्पादन कर रोजगार का संसाधन बना सकते हैं. जिससे कि उत्तराखंड के इस फल को अन्य राज्यों में भी पहचान मिल सके और लोग इससे मुनाफा कमा अपना आजीविका चला सकते हैं.

Last Updated : Jun 3, 2020, 11:08 AM IST
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