हल्द्वानी: कुमाऊं का सबसे बड़ा अस्पताल सुशीला तिवारी कभी बेहतरीन इलाज के लिए जाना जाता था. लेकिन इनदिनों ये अपनी लापरवाही के कारण सुर्खियों में बना रहता है. पिछले 18 सालों में इस अस्पताल में 12697 मरीज इलाज के दौरान दम तोड़ चुके हैं. ये चौंकाने वाला आंकड़ा सूचना के अधिकार में मिली जानकारी से सामने आया है.
दरअसल, आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत गोनिया ने ये जानकारी मांगी थी कि सुशील तिवारी अस्पताल में इलाज के दौरान कितने मरीजों की मौत हुई है. अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, उत्तराखंड बनने के बाद से अबतक 12697 मरीजों की मौत इलाज के दौरान मौत चुकी है. आंकड़ों पर नजर डाले तो सुशीला तिवारी अस्पताल में हर महीने करीब 60 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो रही है. यानी रोजाना 2 लोग अस्तपाल में इलाज के दौरान मौत के मुंह में समा जाते हैं.
आरटीआई से ये भी जानकारी मिली है कि सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम हाउस खोलने के बाद से बीते 8 सालों में 5104 लोगों का पोस्टमार्टम किया गया है. RTI कार्यकर्ता हेमंत गोनिया का कहना है कि अस्पताल की लापरवाही के चलते लगातार मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में लोग अब सुशीला तिवारी अस्पताल में इलाज कराने से कतरा रहे हैं. लेकिन गरीब मरीजों के पास सुशीला तिवारी अस्पताल के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है.
बता दें कि सुशीला तिवारी अस्पताल प्रशासन पर हमेशा से ही मरीजों के इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप लगते आए हैं. इसी वजह से कई बार लोगों ने धरने प्रदर्शन भी किया है लेकिन फिर भी स्थिति जस की तस है. वहीं, इस मामले में अस्पताल प्रशासन कुछ भी कहने से बच रहा है.