हल्द्वानीः प्रदेश में बीते सात सालों में 1409 सड़कों का निर्माण हुआ है, जबकि पहाड़ी और दूरस्थ क्षेत्रों में अभी भी सैकड़ों गांव सड़कों से वंचित हैं. कई सड़कें सालों से अधर में हैं. आरटीआई से मिले लोक निर्माण विभाग के आंकड़ें बता रहे हैं कि बीते सात सालों में प्रदेश में 1409 नये सड़कों का निर्माण किया गया है. मौजूदा समय में 535 सड़कों पर काम चल रहा है, जबकि 97 मार्गों पर काम रुका हुआ है. वहीं, लोक निर्माण विभाग की मानें तो अब तक 948843.25 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं.
लोक निर्माण विभाग से सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए आकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में वित्तीय साल 2011 से लेकर अब तक 1409 सड़क बनाए गये हैं. जिसमें 535 सड़कों पर अभी भी काम सुचारू है. जबकि 97 मार्गों पर काम रुका हुआ है. लोक निर्माण विभाग की मानें तो ये सभी सड़कें राज्य सेक्टर, नाबार्ड वित्त पोषित कार्य, केंद्र पोषित योजना, एडीबी वित्त पोषित, स्पेशल कंपोनेंट सब प्लान, ट्राइबल सब प्लान योजना के माध्यम से बनाये गये हैं. अब तक इन सड़कों के निर्माण में 948843.25 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. आरटीआई में ये भी खुलासा हुआ है कि पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों में अभी भी सैकड़ों गांवों में सड़कें नहीं पहुंच पाई हैं. जहां पर सड़कें बनाई जा रही है, वहां पर सालों से अधर में लटके हुए हैं.
आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गौनिया का कहना है कि पहाड़ के दुरुस्त क्षेत्र के रोड अभी भी आपदा से क्षतिग्रस्त हैं. सरकार की पहली प्राथमिकता पहाड़ों में सड़कों का निर्माण होना चाहिए. जिससे पहाड़ के किसान अपने फसलों और उत्पादनों को मंडी तक समय से पहुंचा सके. उन्होंने कहा कि पहाड़ों में सड़कों की जरूरत सबसे ज्यादा है, लेकिन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आज भी पहाड़ के कई जगहों पर सड़कें नहीं पहुंच पाईं है. कई सड़कें क्षतिग्रस्त पड़े हुए हैं.