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बीते 7 सालों में प्रदेश में बने 1409 नए सड़क, दूरस्थ इलाकों में नहीं पहुंची अभीतक सड़कें - उत्तराखंड न्यूज

उत्तराखंड में वित्तीय साल 2011 से लेकर अब तक 1409 सड़क बनाए गये हैं. जिसमें 535 सड़कों पर अभी भी काम सुचारू है. जबकि 97 मार्गों पर काम रुका हुआ है.

उत्तराखंड की सड़कें
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Published : Feb 11, 2019, 6:43 PM IST

हल्द्वानीः प्रदेश में बीते सात सालों में 1409 सड़कों का निर्माण हुआ है, जबकि पहाड़ी और दूरस्थ क्षेत्रों में अभी भी सैकड़ों गांव सड़कों से वंचित हैं. कई सड़कें सालों से अधर में हैं. आरटीआई से मिले लोक निर्माण विभाग के आंकड़ें बता रहे हैं कि बीते सात सालों में प्रदेश में 1409 नये सड़कों का निर्माण किया गया है. मौजूदा समय में 535 सड़कों पर काम चल रहा है, जबकि 97 मार्गों पर काम रुका हुआ है. वहीं, लोक निर्माण विभाग की मानें तो अब तक 948843.25 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं.


लोक निर्माण विभाग से सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए आकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में वित्तीय साल 2011 से लेकर अब तक 1409 सड़क बनाए गये हैं. जिसमें 535 सड़कों पर अभी भी काम सुचारू है. जबकि 97 मार्गों पर काम रुका हुआ है. लोक निर्माण विभाग की मानें तो ये सभी सड़कें राज्य सेक्टर, नाबार्ड वित्त पोषित कार्य, केंद्र पोषित योजना, एडीबी वित्त पोषित, स्पेशल कंपोनेंट सब प्लान, ट्राइबल सब प्लान योजना के माध्यम से बनाये गये हैं. अब तक इन सड़कों के निर्माण में 948843.25 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. आरटीआई में ये भी खुलासा हुआ है कि पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों में अभी भी सैकड़ों गांवों में सड़कें नहीं पहुंच पाई हैं. जहां पर सड़कें बनाई जा रही है, वहां पर सालों से अधर में लटके हुए हैं.

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जानकारी देते आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गौनिया.
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आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गौनिया का कहना है कि पहाड़ के दुरुस्त क्षेत्र के रोड अभी भी आपदा से क्षतिग्रस्त हैं. सरकार की पहली प्राथमिकता पहाड़ों में सड़कों का निर्माण होना चाहिए. जिससे पहाड़ के किसान अपने फसलों और उत्पादनों को मंडी तक समय से पहुंचा सके. उन्होंने कहा कि पहाड़ों में सड़कों की जरूरत सबसे ज्यादा है, लेकिन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आज भी पहाड़ के कई जगहों पर सड़कें नहीं पहुंच पाईं है. कई सड़कें क्षतिग्रस्त पड़े हुए हैं.

हल्द्वानीः प्रदेश में बीते सात सालों में 1409 सड़कों का निर्माण हुआ है, जबकि पहाड़ी और दूरस्थ क्षेत्रों में अभी भी सैकड़ों गांव सड़कों से वंचित हैं. कई सड़कें सालों से अधर में हैं. आरटीआई से मिले लोक निर्माण विभाग के आंकड़ें बता रहे हैं कि बीते सात सालों में प्रदेश में 1409 नये सड़कों का निर्माण किया गया है. मौजूदा समय में 535 सड़कों पर काम चल रहा है, जबकि 97 मार्गों पर काम रुका हुआ है. वहीं, लोक निर्माण विभाग की मानें तो अब तक 948843.25 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं.


लोक निर्माण विभाग से सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए आकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में वित्तीय साल 2011 से लेकर अब तक 1409 सड़क बनाए गये हैं. जिसमें 535 सड़कों पर अभी भी काम सुचारू है. जबकि 97 मार्गों पर काम रुका हुआ है. लोक निर्माण विभाग की मानें तो ये सभी सड़कें राज्य सेक्टर, नाबार्ड वित्त पोषित कार्य, केंद्र पोषित योजना, एडीबी वित्त पोषित, स्पेशल कंपोनेंट सब प्लान, ट्राइबल सब प्लान योजना के माध्यम से बनाये गये हैं. अब तक इन सड़कों के निर्माण में 948843.25 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. आरटीआई में ये भी खुलासा हुआ है कि पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों में अभी भी सैकड़ों गांवों में सड़कें नहीं पहुंच पाई हैं. जहां पर सड़कें बनाई जा रही है, वहां पर सालों से अधर में लटके हुए हैं.

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जानकारी देते आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गौनिया.
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आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत गौनिया का कहना है कि पहाड़ के दुरुस्त क्षेत्र के रोड अभी भी आपदा से क्षतिग्रस्त हैं. सरकार की पहली प्राथमिकता पहाड़ों में सड़कों का निर्माण होना चाहिए. जिससे पहाड़ के किसान अपने फसलों और उत्पादनों को मंडी तक समय से पहुंचा सके. उन्होंने कहा कि पहाड़ों में सड़कों की जरूरत सबसे ज्यादा है, लेकिन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आज भी पहाड़ के कई जगहों पर सड़कें नहीं पहुंच पाईं है. कई सड़कें क्षतिग्रस्त पड़े हुए हैं.

Note- कांग्रेस अध्यक्ष पीतम सिंह और नेता प्रतिपक्ष इन रेड देश के बाइक मोजो 1165 से भेजी गई है।

रिपोर्ट- धीरज सजवाण, देहरादून

बजट सत्र की हंगामेदार शुरुआत विपक्ष ने किया वकआउट
बजट सत्र के पहला दिन की शुरुआत हंगामे के साथ हुई। जहां एक तरफ विपक्ष पहले से ही सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में थी तो वहीं सत्ता पक्ष द्वारा राज्यपाल का अभिभाषण समय से पहले शुरू करवा कर विपक्ष एक और मौका दे दिया जिसके बाद विपक्ष ने समय से पहले हुए राज्यपाल के अभिभाषण पर जमकर हंगामा किया और इसे संसदीय परंपरा में चूक बताया। विपक्ष ने हंगामा करते हुए सदन से वॉकआउट कर लिया और विपक्ष के सभी विधायक सदन से बाहर आ गए। 
सदन से बाहर आए नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने मीडिया को बताया कि जिस तरह का काम आज सदन के अंदर हुआ है यह संसदीय परंपराओं के खिलाफ है और कार्यसूची में 11:00 बजे से राज्यपाल का अभिभाषण का समय होने के बावजूद से जल्द शुरू कर आना नेता प्रतिपक्ष ने संसदीय रूप करार दिया इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार शराब से हुई मौतों के बाद भी नींद में सोई हुई है इंद्र देश ने कहा की जहरीली शराब से हुई मौतों के बाद कई परिवारों ने खो दिया है लेकिन उसे बावजूद भी सरकार जागने का नाम नहीं ले रही है इंदिरा हरदेश ने यह भी कहा कि जिन परिवारों में मौत हुई है उनके पास अंत्येष्टि तक के पैसे नहीं थे उसके बावजूद भी जिला प्रशासन द्वारा कोई मदद पीड़ित परिवारों को नहीं की गई।
बाइट- इंद्रा हृदेश, नेता प्रतिपक्ष

इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि बजट सत्र के पहले दिन ही सत्ता पक्ष ने दिखा दिया है कि किस तरह से वह सत्ता के नशे में मशहूर हैं और राज्यपाल का अभिभाषण समय से शुरू कर आना यह संसदीय परंपराओं के खिलाफ है वहीं कांग्रेस अध्यक्ष प्रथम सिंह ने आबकारी मंत्री के साथ साथ सरकार को बर्खास्त करने की मांग की
बाइट- प्रीतम सिंह, कोंग्रेस अध्यक्ष
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