रामनगर: कोरोना की रोकथाम और बचाव के लिए लागू किए लॉकडाउन का सबसे ज्याद असर श्रमिकों पर पड़ा है. रामनगर के होटल रिजॉर्ट्स प्रधानमंत्री मोदी की अपील और श्रम मंत्रालय के दिशा निर्देशों को ताक पर रखकर कर्मचारियों को नौकरी से बाहर करने पर तुले हुए हैं. इतना ही नहीं जो कर्मचारी बचे हुए उन्हें रिजॉर्ट संचालक सैलरी नहीं दे रहे हैं. ऐसे में कर्मचारियों ने अपनी पीड़ा श्रम विभाग के सामने रखी है, लेकिन विभागीय कर्मचारी भी उच्चाधिकारियों के न होने का रोना रोने लगे.
रामनगर क्षेत्र में सौ से ज्यादा होटल और रिजॉर्ट है, इन रिजॉर्ट में लॉकडाउन के बाद पर्यटक तो नहीं आ रहे है. हालांकि, सरकार ने इन रिजॉर्ट को क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील किया है, लेकिन यहां रिजॉर्ट मालिक लॉकडाउन के बाद अपने कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे रहे हैं. रेजेंटा रिसोर्ट के कर्मचारियों का भी कुछ ऐसा ही हाल है.
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रेजेंटा रिसोर्ट के कर्मचारियों कमलेश नेगी ने प्रबंधन पर आरोप लगाया कि बीते तीन महीने से उन्हें सैलरी नहीं मिली है. इतना ही नहीं कई कर्मचारियों को निकाल भी दिया गया है. अब उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. उनके पास जो पैसा था उसे वे घर भेज चुके हैं. वे लोग जान जोखिम में डालकर क्वारंटाइन सेंटरों की ड्यूटी पर लगे हैं. इसको लेकर वे श्रम विभाग के दरवाजे पर भी पहुंचे है, लेकिन कोई उनकी मदद नहीं कर रहे हैं.
इस संबंध में जब रेजेंटा रिसॉर्ट के जनरल मैनेजर राहुल शर्मा ने बात कि गई तो कहा कि उन्होंने श्रम विभाग से 10 जुलाई तक का समय मांगा है. 10 जुलाई तक हम सभी कर्मचारियों की सैलरी दे देंगे. जब ईटीवी भारत ने कर्मचारियों की समस्या से क्षेत्रीय विधायक दीवान सिंह बिष्ट को अवगत कराया तो उन्होंने कहा कि वे खुद रिसॉर्ट के मालिक से बात करके कर्मचारियों को सैलरी दिलवाने की प्रयास करेंगे. क्योंकि, सरकार के साफ आदेश है कि किसी की भी सैलरी न रोकी जाए.