रामनगर: वन प्रभाग रामनगर के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में हाथियों के हमलों से किसानों को जल्द राहत मिल सकती है. हाथियों के आतंक से छुटकारा दिलाने के लिए वन विभाग ने प्रोजेक्ट री-हैब लॉन्च किया है, जिसके प्रयोग के सार्थक नजीते सामने आ रहे हैं. हाथी के आतंक से छुटकारा देने के लिए वन विभाग के साथ ही खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने संयुक्त रूप से रास्ता ढूंढ निकाला है.
हाथियों को आबादी में आने से रोकने का प्लान: रामनगर वन प्रभाग के फतेहपुर रेंज के चौसला में री-हैब, रिड्यूस इन ह्यूमन अटैक यूजिंग बाय हनी बी' कार्यक्रम की शुरुआत की है. इसका अभी ट्रायल चल रहा है. ट्रायल को दो महीने होने को हैं. इसमें मौन के बॉक्स लगाकर हाथियों को आबादी क्षेत्र से दूर रखने का प्रयास किया जा रहा है. देश में अब तक प्रोजेक्ट री-हैब का प्रयोग, कई जगह पर किया जा चुका है, जिसके परिणाम सार्थक सामने आए हैं.
बता दें, इसमें मधुमक्खियों के बॉक्स को ऐसी जगह लगाया जाता है, जहां हाथियों का आवागमन मानव बस्ती और खेती की तरफ अक्सर रहता है. ऐसे क्षेत्रों में वन विभाग ने मधुमक्खियों (मौन) के 330 बॉक्स लगाए हैं. वन विभाग ऐसा दावा कर रहा है कि मधुमखियों की आवाज से हाथी घबराते हैं. अगर हाथी ग्रामीणों और खेती की तरफ आने की कोशिश करता है, तो मधुमक्खी हाथी के ऊपर मंडराते हुए हाथी को डंक मारते हैं. हाथी को वापस जंगल की ओर वापस लौटने को मजबूर करते हैं.
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पूर्व प्रधान ललित मोहन बोरा का कहना है कि हम सभी हाथियों के आंतक से परेशान थे. जब से यह प्रयोग हुआ है, तब से हाथी आबादी क्षेत्रों से दूर हैं. ग्रामसभा चौसला के पूर्व प्रधान यासीन कहते हैं कि क्षेत्र में हाथियों का आतंक बना हुआ था. इस प्रयोग से हाथी आबादी वाले क्षेत्रों दूर हैं. इस प्रोजेक्ट का शुरू होना अच्छा संकेत है.
मौन पालन से हाथियों की निगरानी: वहीं वन्यजीव प्रेमी संजय छिम्वाल कहते हैं कि हाथी ग्रामीण क्षेत्रों में आकर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. मानव वन्यजीव टकराव होने की संभावना रहती है. उन्होंने कहा कि वन विभाग द्वारा बायो फेंसिंग मौन पालन किया जा रहा है, जिसके अच्छे संकेत हैं. इसके दो फायदे होंगे. एक तरफ मधुमक्खी के जरिए ग्रामीण प्योर व ऑर्गेनिक शहद का उत्पादन कर सकेंगे. वहीं, हाथी भी आबादी क्षेत्र से दूर रहेंगे. अगर ये प्रयोग सफल रहेगा तो इसे विभाग और भी जगह प्रयोग करेगा.
फतेहपुर रेंज के रेंज अधिकारी ख्याली राम आर्या कहते हैं कि वन ग्राम क्षेत्र में स्थित चौसला गांव क्षेत्र में हाथियों की लगातार मूवमेंट बनी रहती है. हाथी जंगलों से निकलकर किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे थे. प्रयोग के तौर पर मौन पालन (मधुमक्खी) के बॉक्स रखे गए हैं. जिन क्षेत्रों से हाथी आबादी क्षेत्रों में व खेती की तरफ प्रवेश करते थे, उन क्षेत्रों में ये मधुमक्खियों के बॉक्स लगाए गए हैं, जिसके सार्थक परिणाम हैं.
मॉनिटरिंग के लिए कैमरा ट्रैप भी लगाए: उन्होंने कहा कि जब से ये कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं, तब से इस क्षेत्र में हाथियों की मूवमेंट की सूचना आबादी क्षेत्रों में नहीं मिली है. अभी तक फसलें सुरक्षित हैं. रेंज अधिकारी ने कहा कि अगर ये प्रयोग सार्थक होता है, तो कई अन्य जगह ये प्रयोग किया जाएगा.