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नैनीताल के इस प्राइमरी स्कूल में फर्राटे से अंग्रेजी बोलते हैं बच्चे, प्राइवेट स्कूल को दे रहा मात - उत्तराखंड शिक्षा व्यवस्था

पतलिया के प्राइमरी की स्थिति सुधरने के बाद एक साल में ही छात्रों की संख्या 17 से बढ़कर 37 हो गई और धीरे-धीरे अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूल से निकाल कर गांव के इस हाईटेक प्राइमरी स्कूल में भेजने लगे.

पतलिया गांव का प्राइमरी स्कूल
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Published : Apr 16, 2019, 6:00 PM IST

Updated : Apr 16, 2019, 9:29 PM IST

नैनीताल: मन में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी मुश्किल आपका रास्ता नहीं रोक सकती. इस कहावत को साबित कर दिखाया है नैनीताल के पतलीया गांव की प्राइमरी पाठशाला की प्रधानाध्यापक ने.

ये है नैनीताल के पतलिया गांव का प्राइमरी स्कूल जो प्रदेश के अन्य सरकारी स्कूलों से बिल्कुल अलग है. इस स्कूल के बच्चे हिंदी बोलने से कतराते हैं और फर्राटे से अंग्रेजी बोलते हैं. इतना ही नहीं बच्चे प्रार्थना भी अंग्रेजी में ही करते हैं. ऐसा मुमकिन हुआ है स्कूल की प्रिंसिपल दीपा जोशी के प्रयासों से.

पतलिया गांव का प्राइमरी स्कूल

पढ़ें- घंटों की देरी से पहुंची दमकल विभाग की गाड़ी, कई एकड़ फसल जलकर राख

दरअसल, साल 2011 में दीपा जोशी की पतलिया गांव के प्राइमरी स्कूल में तैनाती हुई थी. दीपा जोशी ने देखा कि स्कूल काफी बदहाल था. बच्चों को बैठने के लिए कक्षाएं, पीने का पानी तक नहीं था. स्कूल में सिर्फ 17 छात्र थे. जिसके बाद उन्होंने गांव वालों के साथ मिलकर स्कूल की दशा सुधारने का अथक प्रयास शुरू कर दिया, जो सफल भी रहा.

पतलिया के प्राइमरी की स्थिति सुधरने के बाद एक साल में ही छात्रों की संख्या 17 से बढ़कर 37 हो गई और धीरे-धीरे अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूल से निकाल कर गांव के इस हाईटेक प्राइमरी स्कूल में भेजने लगे. आज स्कूलों में बच्चों की संख्या 176 के पार हो गई है. साथ ही 2015 में इस स्कूल का चयन आदर्श स्कूल के लिए भी किया गया.

हाईटेक पाठशाला की खासियत

  • पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए आधुनिक स्मार्ट क्लास की सुविधा
  • कंप्यूटर लैब और आधुनिक लाइब्रेरी समेत अन्य सुविधाएं
  • शिक्षिकाओं ने मिड-डे मील में किया बदलाव
  • खाने से पहले और बाद में सैनिटाइजर से हाथ धुलाने की सुविधा
  • साफ-सफाई का खास ध्यान
  • खेलने के लिए सभी आधुनिक उपकरण
  • बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए स्पेशल क्लास

नैनीताल: मन में अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी मुश्किल आपका रास्ता नहीं रोक सकती. इस कहावत को साबित कर दिखाया है नैनीताल के पतलीया गांव की प्राइमरी पाठशाला की प्रधानाध्यापक ने.

ये है नैनीताल के पतलिया गांव का प्राइमरी स्कूल जो प्रदेश के अन्य सरकारी स्कूलों से बिल्कुल अलग है. इस स्कूल के बच्चे हिंदी बोलने से कतराते हैं और फर्राटे से अंग्रेजी बोलते हैं. इतना ही नहीं बच्चे प्रार्थना भी अंग्रेजी में ही करते हैं. ऐसा मुमकिन हुआ है स्कूल की प्रिंसिपल दीपा जोशी के प्रयासों से.

पतलिया गांव का प्राइमरी स्कूल

पढ़ें- घंटों की देरी से पहुंची दमकल विभाग की गाड़ी, कई एकड़ फसल जलकर राख

दरअसल, साल 2011 में दीपा जोशी की पतलिया गांव के प्राइमरी स्कूल में तैनाती हुई थी. दीपा जोशी ने देखा कि स्कूल काफी बदहाल था. बच्चों को बैठने के लिए कक्षाएं, पीने का पानी तक नहीं था. स्कूल में सिर्फ 17 छात्र थे. जिसके बाद उन्होंने गांव वालों के साथ मिलकर स्कूल की दशा सुधारने का अथक प्रयास शुरू कर दिया, जो सफल भी रहा.

पतलिया के प्राइमरी की स्थिति सुधरने के बाद एक साल में ही छात्रों की संख्या 17 से बढ़कर 37 हो गई और धीरे-धीरे अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूल से निकाल कर गांव के इस हाईटेक प्राइमरी स्कूल में भेजने लगे. आज स्कूलों में बच्चों की संख्या 176 के पार हो गई है. साथ ही 2015 में इस स्कूल का चयन आदर्श स्कूल के लिए भी किया गया.

हाईटेक पाठशाला की खासियत

  • पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए आधुनिक स्मार्ट क्लास की सुविधा
  • कंप्यूटर लैब और आधुनिक लाइब्रेरी समेत अन्य सुविधाएं
  • शिक्षिकाओं ने मिड-डे मील में किया बदलाव
  • खाने से पहले और बाद में सैनिटाइजर से हाथ धुलाने की सुविधा
  • साफ-सफाई का खास ध्यान
  • खेलने के लिए सभी आधुनिक उपकरण
  • बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए स्पेशल क्लास
Intro:नोट खबर के विजुअल और बाइट मेल से भेजे हैं plz उठा ले।

स्लग-मोर्डन स्कूल

रिपोर्ट-गौरव जोशी

स्थान-नैनीताल

एंकर- अगर मन में कुछ कर गुजरने का सपना हो तो पूरा जरूर होता है ऐसा ही कुछ कर दिखाया है नैनीताल के पतलीय गांव की प्राइमरी स्कूल कि प्रिन्सपल ने जो आज सबके लिये एक मिशाल है,


Body:वी ओ- ये है नैनीताल के पतलीया गांव का सरकारी प्राइमरी स्कूल जो प्रदेश के अन्य सरकारी स्कूलों से बिल्कुल विपरीत है, जहां आज प्राइमरी स्कूल के बच्चे हिंदी बोलने में कतराते हैं तो वहीं इस स्कूल के बच्चे फर्राटा मारकर अंग्रेजी में बात कर रहे हैं यही नहीं बल्कि सुबह स्कूल में होने वाली प्रार्थना भी बच्चे अंग्रेजी में ही करते हैं यह सब संभव हुआ है इस स्कूल की प्रिंसिपल दीपा जोशी के प्रयासों से 2011 में पतलिया के प्राइमरी स्कूल में आने के बाद दीपा ने देखा की स्कूल काफी बदहाल था स्कूल में बच्चों के लिए बैठने के लिए कक्षाएं, पीने के पानी तक नहीं था स्कूल में मात्र 17 छात्र थे जिसके बाद उन्होंने गांव वालों के साथ मिलकर स्कूल की दशा सुधारने का प्रयास करें जो सफल भी रहा,, स्कूल की स्थिति सही करने के बाद पहले ही वर्ष स्कूल में छात्रों की संख्या 17 से बढ़कर 37 हो गई और धीरे-धीरे अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से निकाल कर गांव के इस हाईटेक प्राइमरी स्कूल में भेजने लगे और आज स्कूलों में बच्चों की संख्या 176 के पार हो गई है साथ ही 2015 में इस स्कूल का चयन आदर्श स्कूल के लिए भी करा गया,,

बाइट दीपा जोशी प्रिंसिपल प्राइमरी स्कूल पलिया।


Conclusion:वी ओ- वहीं बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए बच्चों के लिए आधुनिक स्मार्ट क्लास कंप्यूटर लैब आधुनिक लाइब्रेरी समेत अन्य सुविधाएं हैं जिसको देखते हुए यहां के लोगों ने अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों से निकालकर गांव के प्राइमरी स्कूल में भेजना शुरु करा है इतना ही नहीं सरकार की तरफ से बच्चों को दिए जाने वाले मिड डे मील को भी यहां की शिक्षिकाओं ने नया रूप दे दिया है बच्चों को मिड डे मील इस तरह दिया जा रहा है मानव बच्चे मिड-डे मील नहीं बल्कि किसी होटल का खाना खा रहे हैं वहीं मिड डे मील खाने से पहले और बाद में बच्चों को सैनिटाइजर से भी हाथ धुलाई जा रहे हैं ताकि बच्चे साफ-सफाई का भी ध्यान रखें वह स्कूल में खेलने के लिए भी सभी आधुनिक उपकरण बच्चों को दिए जा रहे हैं ताकि बच्चों के मानसिक विकास के साथ साथ बच्चों का शारीरिक विकास भी हो सके,,

बाइट- रमेश बुडलाकोटी अभिभावक।
बाइट- राशि बुडलाकोटी,छात्रा

एफ वी ओ- कुछ साल पहले जो एक टीचर ने सपना देखा था आज जो सपना पूरा होता दिखाई दे रहा है अब जरूरत है कि प्रदेश सरकार और प्रदेश के अन्य शिक्षकों को कि वो भी इस स्कूल और यहां की शिक्षिकाओं से प्रेरणा लेकर दूसरे प्राइमरी स्कूलों की दिशा और दशा सुधारें,, ताकि प्रदेश में गिर रहे शिक्षा के स्तर और सरकारी स्कूलों से बच्चों की कम हो रही संख्या को बढ़ाया जा सके।
Last Updated : Apr 16, 2019, 9:29 PM IST
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