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राजनीति के धुरंधर थे 'बचदा', 4 बार लगातार MP बन बनाया था रिकॉर्ड - उत्तराखंड न्यूज

बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री बची सिंह रावत चार 4 बार सांसद रहे चुके थे. वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री भी थे. जानिए इसके अलावा उनका पूरा राजनीतिक सफर...

bachi singh rawat
बची सिंह रावत
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Published : Apr 19, 2021, 10:27 AM IST

Updated : Apr 19, 2021, 1:23 PM IST

हल्द्वानीः अपनी सौम्यता और सादगी के लिए पहचाने जाने वाले पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री बची सिंह रावत के निधन से प्रदेश में शोक की लहर है. 72 साल के बची सिंह रावत उर्फ 'बचदा' के निधन के बाद पहाड़ की राजनीति के एक युग का अंत हुआ है. बची सिंह रावत उत्तराखंड की राजनीति में एक धुरंधर के रूप जाने जाते थे. बची सिंह रावत लगातार छह बार चुनाव जीतकर पहाड़ के लिए रिकॉर्ड भी बनाया था.

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एम वेंकैया नायडू के साथ बची सिंह रावत.

गौर हो कि बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री बची सिंह रावत का शनिवार को एम्स ऋषिकेश में निधन हो गया था. वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. रविवार को ही हालत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें एयर एंबुलेंस के हल्द्वानी से ऋषिकेश एम्स रेफर किया गया था, जहां इलाज के दौरान शनिवार रात को उन्होंने दम तोड़ दिया. बची सिंह रावत फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे थे. बची सिंह रावत 4 बार सांसद रहे चुके हैं. वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री भी थे.

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पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बची सिंह रावत.

ये भी पढ़ेंः पूर्व केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत का निधन, PM मोदी और CM तीरथ ने जताया शोक

साल 1999 में बने रक्षा राज्य मंत्री और विज्ञान प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री

साल 1992 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए थे, जहां वे 4 महीने तक राज्य मंत्री रहे. साल 1993 में उन्होंने विधायक का चुनाव जीता था. जिसके बाद 1996 में अविभाजित उत्तराखंड की अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद उनकी जीत का सीलसीला शुरू हो गया.

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पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी थे बची सिंह रावत.

वे साल 1998, 1999 में भी संसद पहुंचे. जिसमें उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत को पटखनी दी थी. साल 1999 में रिकॉर्ड तोड़ मतों से जीत हासिल करने के बाद बची सिंह रावत को अटल बिहारी वाजेयपी की सरकार में रक्षा राज्य मंत्री और विज्ञान प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री बनाया गया था.

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सीएम तीरथ के संग बची सिंह रावत.

प्रदेश अध्यक्ष की कमान भी संभाली

अल्मोड़ा संसदीय सीट से लगातार जीतने कारण उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई है. यहीं कारण था कि साल 2004 में वे फिर से संसद पहुंचे. बची सिंह रावत का कद उत्तराखंड की राजनीति में लगातार बढ़ता गया.

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बची सिंह रावत का राजनीतिक सफर.

साल 2007 में उन्हें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई. जिसमें उन्होंने विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत दिलाया और 2009 तक बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने रहे.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड पुलिस ने कॉन्स्टेबल का ग्रेड पे घटाया, हरदा ने सरकार पर साधा निशाना

केसी सिंह बाबा से हार गए थे बची सिंह

बची सिंह रावत ने अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर लगातार चार बार अपनी जीत दर्ज कराई है. साल 2009 में अल्मोड़ा संसदीय सीट आरक्षित हो गए थे. इसके बाद बची सिंह रावत ने नैनीताल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार कांग्रेस प्रत्याशी केसी सिंह बाबा से हार वो हार गए.

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'बचदा' का राजनीतिक सफर.

साल 2012 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बची सिंह रावत बीजेपी प्लानिंग कमेटी के चेयरमैन रहे और मेनिफेस्टो बनाने में उनकी अहम भूमिका थी. लेकिन साल 2014 में पार्टी द्वारा उपेक्षा किए जाने से नाराज होकर उन्होंने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन बाद में पार्टी के शीर्ष नेताओं के कहने पर बीजेपी में वापसी की थी.

पाली गांव के रहने वाले थे बची सिंह

मूल रूप से अल्मोड़ा के पाली गांव के रहने वाले बची सिंह रावत की जन्म 1 अगस्त 1949 को हुआ था. जहां उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई. जिसके बाद उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा आगरा विश्वविद्यालय से की. आगरा विश्वविद्यालय में उन्होंने एमए अर्थशास्त्र की डिग्री हासिल करने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलबी की. साल 2007 से बची सिंह रावत अपने परिवार के साथ हल्द्वानी के करायल जौलासल में रहते लगे.

हल्द्वानीः अपनी सौम्यता और सादगी के लिए पहचाने जाने वाले पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री बची सिंह रावत के निधन से प्रदेश में शोक की लहर है. 72 साल के बची सिंह रावत उर्फ 'बचदा' के निधन के बाद पहाड़ की राजनीति के एक युग का अंत हुआ है. बची सिंह रावत उत्तराखंड की राजनीति में एक धुरंधर के रूप जाने जाते थे. बची सिंह रावत लगातार छह बार चुनाव जीतकर पहाड़ के लिए रिकॉर्ड भी बनाया था.

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एम वेंकैया नायडू के साथ बची सिंह रावत.

गौर हो कि बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री बची सिंह रावत का शनिवार को एम्स ऋषिकेश में निधन हो गया था. वे पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. रविवार को ही हालत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें एयर एंबुलेंस के हल्द्वानी से ऋषिकेश एम्स रेफर किया गया था, जहां इलाज के दौरान शनिवार रात को उन्होंने दम तोड़ दिया. बची सिंह रावत फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे थे. बची सिंह रावत 4 बार सांसद रहे चुके हैं. वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री भी थे.

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पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बची सिंह रावत.

ये भी पढ़ेंः पूर्व केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत का निधन, PM मोदी और CM तीरथ ने जताया शोक

साल 1999 में बने रक्षा राज्य मंत्री और विज्ञान प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री

साल 1992 में पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य चुने गए थे, जहां वे 4 महीने तक राज्य मंत्री रहे. साल 1993 में उन्होंने विधायक का चुनाव जीता था. जिसके बाद 1996 में अविभाजित उत्तराखंड की अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीता. इसके बाद उनकी जीत का सीलसीला शुरू हो गया.

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पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी थे बची सिंह रावत.

वे साल 1998, 1999 में भी संसद पहुंचे. जिसमें उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत को पटखनी दी थी. साल 1999 में रिकॉर्ड तोड़ मतों से जीत हासिल करने के बाद बची सिंह रावत को अटल बिहारी वाजेयपी की सरकार में रक्षा राज्य मंत्री और विज्ञान प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री बनाया गया था.

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सीएम तीरथ के संग बची सिंह रावत.

प्रदेश अध्यक्ष की कमान भी संभाली

अल्मोड़ा संसदीय सीट से लगातार जीतने कारण उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई है. यहीं कारण था कि साल 2004 में वे फिर से संसद पहुंचे. बची सिंह रावत का कद उत्तराखंड की राजनीति में लगातार बढ़ता गया.

bachi singh rawat
बची सिंह रावत का राजनीतिक सफर.

साल 2007 में उन्हें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई. जिसमें उन्होंने विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत दिलाया और 2009 तक बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने रहे.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड पुलिस ने कॉन्स्टेबल का ग्रेड पे घटाया, हरदा ने सरकार पर साधा निशाना

केसी सिंह बाबा से हार गए थे बची सिंह

बची सिंह रावत ने अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर लगातार चार बार अपनी जीत दर्ज कराई है. साल 2009 में अल्मोड़ा संसदीय सीट आरक्षित हो गए थे. इसके बाद बची सिंह रावत ने नैनीताल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार कांग्रेस प्रत्याशी केसी सिंह बाबा से हार वो हार गए.

bachi singh rawat
'बचदा' का राजनीतिक सफर.

साल 2012 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बची सिंह रावत बीजेपी प्लानिंग कमेटी के चेयरमैन रहे और मेनिफेस्टो बनाने में उनकी अहम भूमिका थी. लेकिन साल 2014 में पार्टी द्वारा उपेक्षा किए जाने से नाराज होकर उन्होंने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन बाद में पार्टी के शीर्ष नेताओं के कहने पर बीजेपी में वापसी की थी.

पाली गांव के रहने वाले थे बची सिंह

मूल रूप से अल्मोड़ा के पाली गांव के रहने वाले बची सिंह रावत की जन्म 1 अगस्त 1949 को हुआ था. जहां उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई. जिसके बाद उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा आगरा विश्वविद्यालय से की. आगरा विश्वविद्यालय में उन्होंने एमए अर्थशास्त्र की डिग्री हासिल करने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएलबी की. साल 2007 से बची सिंह रावत अपने परिवार के साथ हल्द्वानी के करायल जौलासल में रहते लगे.

Last Updated : Apr 19, 2021, 1:23 PM IST
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