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सरकारी सेवा में खिलाड़ियों को नहीं मिलेगा कोटा, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

नैनीताल हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सरकारी सेवाओं में खेल कोटे में आरक्षण सम्बंधी याचिका को निरस्त कर दिया है. साथ ही सरकार को निर्देश दिया है कि यदि सरकार चाहे तो सभी मापदंडों का अनुपालन करते हुए खेल कोटे में ‌आरक्षण दे सकती है.

सरकारी सेवा में स्पोर्ट्स कोटा मान्य नहीं होगा.
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Published : May 22, 2019, 6:25 AM IST

नैनीतालः नैनीताल हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सरकारी सेवाओ में खेल कोटे पर आरक्षण सम्बंधित याचिकाओं में सुनवाई करते हुए याचिका को निरस्त कर दिया है. साथ ही सरकार को निर्देश दिया है कि यदि सरकार चाहे तो सभी मापदंडों का अनुपालन करते हुए खेल कोटे में ‌आरक्षण दे सकती है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया एवं न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ में हुई.

आपको बता दें कि पिथौरागढ़ निवासी महेश सिंह नेगी व ‌अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था‌ कि उत्तराखंड के सरकारी विभागों में नेशनल, इंटरनेशनल प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर चुके खिलाड़ियों का राजकीय सेवाओं में कोटा निरस्त किया गया है.

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से आग्रह किया था कि 20 दिसंबर 2011 को जारी विज्ञप्ति के तहत कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर उसे नियुक्ति दिलाई जाए. उत्तराखंड टेक्निकल बोर्ड आफ एजुकेशन रूड़की के सचिव ने 20 दिसंबर 2011 को विज्ञापन जारी कर उत्तराखंड ग्रुप सी भर्ती परीक्षा के लिए विज्ञप्ति जारी की थी. जिसमें य‌ाचिकाकर्ता ने खेल कोटे में सामान्य श्रेणी में आवेदन किया था.

यह भी पढ़ेंः गंगा के अस्तित्व को बचाने के लिए आगे आया जल बिरादरी, माणा से निकलेगी यात्रा

याचिकाकर्ताओं को प्रवेश पत्र जारी कर लिखित परीक्षा में 28 दिसंबर 2012 को बुलाया गया. परीक्षा पास करने के बाद उसे 20 अप्रैल 2013 को टंकण परीक्षा के लिए बुलाया गया. 30 जुलाई 2013 को अंतिम परिणाम घोषित किया गया जिसमें याची का मेरिट लिस्ट में नाम 40वें नंबर पर था, लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं मिली.

बाद में आरटीआई के तहत मिली जानकारी में पता लगा कि 14 अगस्त 2013 को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने क्षैतिज आरक्षण में खेल कोटे को असंवैधानिक घोषित करार दिया था. इसी आधार पर उनके चयन को भी निरस्त कर दिया.

खेल कोटे में आरक्षण दिए जाने व नहीं दिए जाने के सम्बन्ध में अलग-अलग पीठों की राय भिन्न-भिन्न होने पर इस मामले की सुनवाई करने के लिए मुख्य न्यायधीश द्वारा तीन जजों की फुलबैंच गठित की गई.

नैनीतालः नैनीताल हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सरकारी सेवाओ में खेल कोटे पर आरक्षण सम्बंधित याचिकाओं में सुनवाई करते हुए याचिका को निरस्त कर दिया है. साथ ही सरकार को निर्देश दिया है कि यदि सरकार चाहे तो सभी मापदंडों का अनुपालन करते हुए खेल कोटे में ‌आरक्षण दे सकती है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया एवं न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ में हुई.

आपको बता दें कि पिथौरागढ़ निवासी महेश सिंह नेगी व ‌अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था‌ कि उत्तराखंड के सरकारी विभागों में नेशनल, इंटरनेशनल प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर चुके खिलाड़ियों का राजकीय सेवाओं में कोटा निरस्त किया गया है.

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से आग्रह किया था कि 20 दिसंबर 2011 को जारी विज्ञप्ति के तहत कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर उसे नियुक्ति दिलाई जाए. उत्तराखंड टेक्निकल बोर्ड आफ एजुकेशन रूड़की के सचिव ने 20 दिसंबर 2011 को विज्ञापन जारी कर उत्तराखंड ग्रुप सी भर्ती परीक्षा के लिए विज्ञप्ति जारी की थी. जिसमें य‌ाचिकाकर्ता ने खेल कोटे में सामान्य श्रेणी में आवेदन किया था.

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याचिकाकर्ताओं को प्रवेश पत्र जारी कर लिखित परीक्षा में 28 दिसंबर 2012 को बुलाया गया. परीक्षा पास करने के बाद उसे 20 अप्रैल 2013 को टंकण परीक्षा के लिए बुलाया गया. 30 जुलाई 2013 को अंतिम परिणाम घोषित किया गया जिसमें याची का मेरिट लिस्ट में नाम 40वें नंबर पर था, लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं मिली.

बाद में आरटीआई के तहत मिली जानकारी में पता लगा कि 14 अगस्त 2013 को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने क्षैतिज आरक्षण में खेल कोटे को असंवैधानिक घोषित करार दिया था. इसी आधार पर उनके चयन को भी निरस्त कर दिया.

खेल कोटे में आरक्षण दिए जाने व नहीं दिए जाने के सम्बन्ध में अलग-अलग पीठों की राय भिन्न-भिन्न होने पर इस मामले की सुनवाई करने के लिए मुख्य न्यायधीश द्वारा तीन जजों की फुलबैंच गठित की गई.

Intro:स्लग-झटका

रिपोर्ट-गौरव जोशी

स्थान-नैनीताल

एंकर-नैनीताल हाईकोर्ट की तीन सदस्यी खण्डपीठ ने सरकारी सेवाओ में खेल कोटे पर आरक्षण सम्बंधित याचिकाओं में सुनवाई करते हुए याचिका को निरस्त कर दिया और सरकार को निर्देश दिए है कि यदि सरकार चाहे तो सभी मापदंडो का अनुपालन करते हुए खेल कोटे में ‌आरक्षण दे सकती है,,मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया एवं न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ में हुई।



Body:आपको बता दे की पिथौरागढ निवासी महेश सिंह नेगी व ‌अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था‌ कि उत्तराखंड के सरकारी विभागों में नेशनल, इंटरनेशनल प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर चुके खिलाडियों का राजकीय सेवाओं में कोटा निरस्त किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से आग्रह किया था कि 20 दिसंबर 2011 को जारी विज्ञप्ति के तहत कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर उसे नियुक्ति दिलाई जाए। उत्तराखंड टेक्निकल बोर्ड आफ एजूकेशन रूडकी के सचिव ने 20 दिसंबर 2011 को विज्ञापन जारी कर उत्तराखंड ग्रुप सी भर्ती परीक्षा के लिए विज्ञप्ति जारी की थी। जिसमे य‌ाचिकाकर्ता ने खेल कोटे में सामान्य श्रेणी में आवेदन किया था। यचिकर्ताओ को प्रवेश पत्र जारी कर लिखित परीक्षा में 28 दिसंबर 2012 को बुलाया गया। परीक्षा पास करने के बाद उसे 20 अप्रैल 2013 को टंकण परीक्षा के लिए बुलाया गया। 30 जुलाई 2013 को अंतिम परिणाम घोषित किया गया जिसमें याची का मेरिट लिस्ट में  नाम 40वें नंबर पर था, लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं मिली


Conclusion:बाद में आरटीआई के तहत मिली जानकारी में पता लगा कि 14 अगस्त 2013 को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने क्षैतिज आरक्षण में खेल कोटे को असंवैधानिक घोषित करार दिया था इसी आधार पर उनके चयन को भी निरस्त कर दिया। खेल कोटे में आरक्षण दिए जाने व नही दिए जाने के सम्बन्ध मे अलग अलग पीठों की राय भिन्न भिन्न होने पर इस मामले की सुनवाई करने के मुख्य न्यायधीश द्वारा तीन जजों की फूलबैंच गठित की गई।
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