हल्द्वानी: पितृ विसर्जन अमावस्या (Pitru Visarjan Amavasya) इस बार 25 सितंबर यानी रविवार को पड़ रही है. पितृ विसर्जन के अंतिम दिन पिंडदान करने के साथ ब्राह्मण भोजन और दान पुण्य करने का विशेष महत्व (importance of charity) है. इससे पितर प्रसन्न होकर सुख, समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. मान्यता है कि किसी कारणवश अगर आपने पितृ पक्ष में अपने पितरों की तृप्ति के उपाय (Remedies for the satisfaction of fathers) ना किए हों तो, उन्हें पितृ अमावस्या के दिन उत्तम विदाई देकर उनकी आत्मा का तर्पण कर उनकी शांति और मुक्ति के उपाय कर सकते हैं.
ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी (Astrologer Dr Naveen Chandra Joshi) के मुताबिक पितृ विसर्जन श्राद्ध की अमावस्या (Amavasya of Pitru Visarjan Shradh) रविवार 25 सितंबर को होगी. अश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 25 सितंबर की सुबह 3 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रही है. जिसका समापन 26 सितंबर की सुबह 3 बजकर 22 मिनट पर होगी. ऐसे में पितृ विसर्जन 25 सितंबर को मनाया जाएगा.
धार्मिक मान्यता अनुसार हमारे पूर्वज अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को पृथ्वी लोक पर आते हैं और श्राद्ध पक्ष में 15 दिन रह कर सर्वपितृ अमावस्या के दिन चले जाते हैं. इस दिन पितरों की विदाई की जाती है. जिससे प्रसन्न होकर पितर अपने गंतव्य स्थानों को चले जाते हैं और अपने परिवार की सुख-शांति का आशीर्वाद देते हैं.
सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों के लिए तरह-तरह व्यंजन बनाएं और पितरों का तर्पण करने के पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इस दिन दरवाजे से किसी को खाली हाथ न जाने दें. यदि घर पर कोई भिखारी आता है तो उसका इज्जत सत्कार करें, उसको भोजन खिलाकर दान देकर उसकी विदाई करें. इसके अलावा घर के आसपास रहने वाले जानवरों को भोजन कराएं.