रामनगर: उत्तराखंड में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई जारी है. इसी कड़ी में गांव कालू सिद्ध नई बस्ती और पूछडी क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों ने वन विभाग और प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया. साथ क्षेत्र में विशाल रैली निकाली. वहीं, खटीमा में मजार न तोड़ने हेतु एसडीएम का घेराव कर संबंधित सबूत पेश किए.
बता दें कि उक्त दोनों ग्रामीण क्षेत्रों में 3 दिन पूर्व तराई पश्चिमी वन प्रभाग ने मुनादी के माध्यम से यहां रह रहे ग्रामीणों को अपने-अपने घर खाली करने की चेतावनी दी थी. साथ ही घर खाली ना करने पर उनके मकान तोड़ने की भी चेतावनी दी थी. वन विभाग का कहना है कि इस क्षेत्र में रह रहे लोगों द्वारा वन विभाग की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर अतिक्रमण किया गया है. वहीं, ग्रामीणों ने वन विभाग की कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें यहां रहते हुए 50 से अधिक वर्ष हो गए हैं.
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ग्रामीणों ने विभाग को चेतावनी दी है कि अगर उन्हें विभाग द्वारा उजाड़ने की कोशिश की गई, तो वह अपनी जान दे देंगे, लेकिन मौके से नहीं हटेंगे. साथ ही कहा कि अगर विभाग द्वारा इस कार्रवाई को वापस नहीं लिया गया, तो जल्द ही अपने परिवार और पालतू जानवरों के साथ डीएफओ कार्यालय में अनिश्चितकालीन धरना देने के लिए मजबूर होंगे.
खटीमा में एसडीएम का लोगों ने किया घेराव: खटीमा के सुरई वन रेंज में बनी मजार को ध्वस्त किए जाने से बचाने हेतु बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने उत्तराखंड दिव्यांग सशक्तिकरण एसोसिएशन के बैनर तले खटीमा उप जिलाधिकारी को मजार से जुड़े सबूत सौंपकर मजार ना तोड़ने की गुजारिश की है. खटीमा में अवैध रूप से वन भूमि पर बनी 370 से अधिक मजारें तोड़ी जा चुकी है.लोगों का कहना है कि यह मजार लगभग 157 वर्ष पुरानी है. जिसका कई उर्दू किताबों में भी जिक्र है, इसलिए मजार को अवैध कब्जा ना माना जाए और इसको संरक्षित किया जाए.
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उपजिलाधिकारी ने रविंद्र बिष्ट ने कहा कि सुरई 1 रेंज में स्थित नज्जू मियां की मजार को तोड़े जाने के लिए वन विभाग द्वारा नोटिस जारी किया गया था. जिस पर अल्पसंख्यक समुदाय के सैकड़ों लोग उनसे मिलने आए और उन्होंने मजार को नहीं तोड़ने की मांग उठाई. साथ ही कुछ सबूत पेश किए हैं. उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा पेश किए गए सभी कागजात एसडीओ वन विभाग को भेजे जा रहे हैं. जिससे सबूतों की सही तरीके से जांच हो सके.
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