नैनीताल: केंद्र सरकार की ओर से उत्तराखंड के लिए अच्छी खबर आई है. जमरानी बांध परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति मिल चुकी है. इस खबर के बाद से ही लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. उम्मीद है कि इस परियोजना से पर्यटन गतिविधियों में भी तेजी आएगी और लोगों की सालों पुरानी पेयजल की समस्या दूर होगी
बता दें कि, केंद्रीय जलायोग की तकनीकी सलाहकार समिति की ओर से जमरानी बांध परियोजना को मंजूरी दी जा चुकी है. इससे स्थानीय लोगों की सालों पुरानी पेयजल की समस्या दूर होगी. 09 किलोमीटर लंबे, 130 मीटर चौड़े और 485 मीटर ऊंचे इस बांध के निर्माण से 14 मेगावाट विद्युत उत्पादन के साथ ही पेयजल व सिंचाई के लिए पानी भी उपलब्ध होगा. इससे खासतौर पर ऊधम सिंह नगर व नैनीताल जिले को ग्रेविटी आधारित जलापूर्ति होगी.
वहीं, जमरानी बांध का मुद्दा बनाकर कई नेता और सांसद विधानसभा और लोकसभा की कई पारियां खेल चुके हैं, लेकिन धरातल पर जमरानी बांध आज तक नहीं बन पाया है. ऐसे में बुधवार को जमरानी बांध को पर्यावरणीय सुकृति की मंजूरी मिलने से परियोजना का काम जल्द आगे बढ़ने की उम्मीद है. जिस बांध को 44 साल पहले 61 करोड़ में बनाया था आज उसी परियोजना की लागत 2600 करोड़ के आसपास पहुंच चुकी है. 1975 में बांध निर्माण की स्वीकृति मिली करीब 9 किलोमीटर लंबी 130 मीटर ऊंचा और 480 मीटर चौड़ा 45 साल पहले बांध की लागत 61 करोड़ था, जो वर्तमान में परियोजना की लागत 2600 करोड़ के आसपास यानी 45 सालों में लगभग 39 गुना बढ़ गई.
जमरानी बांध के निर्माण में उत्तराखंड को करीब 9458 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश को 47607 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा मिलेगी. उम्मीद है कि इस परियोजना से पर्यटन गतिविधियों में भी तेजी आएगी. बता दें कि, नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने 2 माह पूर्व जमरानी क्षेत्र का भ्रमण भी किया था और डूब क्षेत्र में आने वाले स्थानीय लोगों से मुलाकात की थी. उन्होंने तब जल्द ही जमरानी बांध परियोजना को पर्यावरण स्वीकृति मिलने की बात कही थी.