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जमरानी बांध परियोजना से पेयजल संकट से मिलेगी निजात, लोगों में उत्साह की लहर - uttarakhand news

जमरानी बांध परियोजना को लेकर पिछले 40 सालों से प्रयास किए जा रहे थे, लेकिन तकनीकि दिक्कतों के कारण इस परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिल पा रही थी. हालांकि अब पर्यावरणीय स्वीकृति मिलने के बाद जमरानी बांध परियोजना में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आएगी.

जमरानी बांध को मंजूरी मिलने से लोगों में उत्साह.
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Published : Oct 17, 2019, 4:34 PM IST

नैनीताल: केंद्र सरकार की ओर से उत्तराखंड के लिए अच्छी खबर आई है. जमरानी बांध परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति मिल चुकी है. इस खबर के बाद से ही लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. उम्मीद है कि इस परियोजना से पर्यटन गतिविधियों में भी तेजी आएगी और लोगों की सालों पुरानी पेयजल की समस्या दूर होगी

जमरानी बांध को मंजूरी मिलने से लोगों में उत्साह.

बता दें कि, केंद्रीय जलायोग की तकनीकी सलाहकार समिति की ओर से जमरानी बांध परियोजना को मंजूरी दी जा चुकी है. इससे स्थानीय लोगों की सालों पुरानी पेयजल की समस्या दूर होगी. 09 किलोमीटर लंबे, 130 मीटर चौड़े और 485 मीटर ऊंचे इस बांध के निर्माण से 14 मेगावाट विद्युत उत्पादन के साथ ही पेयजल व सिंचाई के लिए पानी भी उपलब्ध होगा. इससे खासतौर पर ऊधम सिंह नगर व नैनीताल जिले को ग्रेविटी आधारित जलापूर्ति होगी.

वहीं, जमरानी बांध का मुद्दा बनाकर कई नेता और सांसद विधानसभा और लोकसभा की कई पारियां खेल चुके हैं, लेकिन धरातल पर जमरानी बांध आज तक नहीं बन पाया है. ऐसे में बुधवार को जमरानी बांध को पर्यावरणीय सुकृति की मंजूरी मिलने से परियोजना का काम जल्द आगे बढ़ने की उम्मीद है. जिस बांध को 44 साल पहले 61 करोड़ में बनाया था आज उसी परियोजना की लागत 2600 करोड़ के आसपास पहुंच चुकी है. 1975 में बांध निर्माण की स्वीकृति मिली करीब 9 किलोमीटर लंबी 130 मीटर ऊंचा और 480 मीटर चौड़ा 45 साल पहले बांध की लागत 61 करोड़ था, जो वर्तमान में परियोजना की लागत 2600 करोड़ के आसपास यानी 45 सालों में लगभग 39 गुना बढ़ गई.

जमरानी बांध के निर्माण में उत्तराखंड को करीब 9458 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश को 47607 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा मिलेगी. उम्मीद है कि इस परियोजना से पर्यटन गतिविधियों में भी तेजी आएगी. बता दें कि, नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने 2 माह पूर्व जमरानी क्षेत्र का भ्रमण भी किया था और डूब क्षेत्र में आने वाले स्थानीय लोगों से मुलाकात की थी. उन्होंने तब जल्द ही जमरानी बांध परियोजना को पर्यावरण स्वीकृति मिलने की बात कही थी.

नैनीताल: केंद्र सरकार की ओर से उत्तराखंड के लिए अच्छी खबर आई है. जमरानी बांध परियोजना को पर्यावरणीय स्वीकृति मिल चुकी है. इस खबर के बाद से ही लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. उम्मीद है कि इस परियोजना से पर्यटन गतिविधियों में भी तेजी आएगी और लोगों की सालों पुरानी पेयजल की समस्या दूर होगी

जमरानी बांध को मंजूरी मिलने से लोगों में उत्साह.

बता दें कि, केंद्रीय जलायोग की तकनीकी सलाहकार समिति की ओर से जमरानी बांध परियोजना को मंजूरी दी जा चुकी है. इससे स्थानीय लोगों की सालों पुरानी पेयजल की समस्या दूर होगी. 09 किलोमीटर लंबे, 130 मीटर चौड़े और 485 मीटर ऊंचे इस बांध के निर्माण से 14 मेगावाट विद्युत उत्पादन के साथ ही पेयजल व सिंचाई के लिए पानी भी उपलब्ध होगा. इससे खासतौर पर ऊधम सिंह नगर व नैनीताल जिले को ग्रेविटी आधारित जलापूर्ति होगी.

वहीं, जमरानी बांध का मुद्दा बनाकर कई नेता और सांसद विधानसभा और लोकसभा की कई पारियां खेल चुके हैं, लेकिन धरातल पर जमरानी बांध आज तक नहीं बन पाया है. ऐसे में बुधवार को जमरानी बांध को पर्यावरणीय सुकृति की मंजूरी मिलने से परियोजना का काम जल्द आगे बढ़ने की उम्मीद है. जिस बांध को 44 साल पहले 61 करोड़ में बनाया था आज उसी परियोजना की लागत 2600 करोड़ के आसपास पहुंच चुकी है. 1975 में बांध निर्माण की स्वीकृति मिली करीब 9 किलोमीटर लंबी 130 मीटर ऊंचा और 480 मीटर चौड़ा 45 साल पहले बांध की लागत 61 करोड़ था, जो वर्तमान में परियोजना की लागत 2600 करोड़ के आसपास यानी 45 सालों में लगभग 39 गुना बढ़ गई.

जमरानी बांध के निर्माण में उत्तराखंड को करीब 9458 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश को 47607 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा मिलेगी. उम्मीद है कि इस परियोजना से पर्यटन गतिविधियों में भी तेजी आएगी. बता दें कि, नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने 2 माह पूर्व जमरानी क्षेत्र का भ्रमण भी किया था और डूब क्षेत्र में आने वाले स्थानीय लोगों से मुलाकात की थी. उन्होंने तब जल्द ही जमरानी बांध परियोजना को पर्यावरण स्वीकृति मिलने की बात कही थी.

Intro:sammry-जमरानी बांध को मिली मंजूरी के बाद लोगों में उत्साह।( खबर को मेल से उठाएं )

एंकर- कुमाऊ की जमरानी बांध जैसी महत्वपूर्ण योजना को जल्द ही पंख लग सकते हैं पर्यावरणीय सुकृति की मंजूरी मिलने से परियोजना का काम जल्द आगे बढ़ सकता है जिस बांध को करीब 44 साल पहले 61 करोड़ में बना था आज उसी परियोजना की लागत 2600 करोड़ के आसपास पहुंच चुकी है क्या है जमरानी बांध का भविष्य एक रिपोर्ट में......


Body:1975 में बांध निर्माण की स्वीकृति मिली करीब 9 किलोमीटर लंबी 130 मीटर ऊंचा और 480 मीटर चौड़ा 45 साल पहले बांध की लागत 61 करोड़ था जो वर्तमान में परियोजना की लागत 2600 करोड़ के आसपास यानी 45 सालों में लगभग 39 गुना बढ़ गई। 45 साल का वक्त और 61 करोड़ में बनने वाली परियोजना में एक इंची काम आगे नहीं बढ़ पाया जिससे सालों से जमरानी बांध केवल कागजों पर बनता जा रहा है ।हर लोकसभा विधानसभा चुनाव के दौरान एक ही मुद्दा की जमरानी बांध बनेगा अब तक नेताओं ने इस बयान में कोई कमी नहीं आई ।जमरानी बांध परियोजना से जुड़े लोग रिटायर हो गए लेकिन जमरानी की नाव कागजों पर ही चलती रही लेकिन अब इस परियोजना के लिए पर्यावरणीय सुकृति की मंजूरी मिल गई है हालांकि अब सरकार को वित्तीय संसाधन जुटाने होंगे।

बाइट- हुकुम सिंह कुंवर स्थानीय निवासी
बाइट -राम सिंह स्थानीय निवासी
जमरानी बांध के निर्माण में उत्तराखंड को करीब 9458 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश को 47607 हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा मिलेगी इस बात में 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी प्रस्तावित है जबकि उत्तराखंड की 52 क्यूबिक मीटर पानी भी पेयजल के लिए मिल सकेगा। वहीं उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को 57 और 43 के अनुपात में पानी बटेगा। उम्मीद है कि इस परियोजना से पर्यटन गतिविधियों में भी तेजी आएगी लेकिन इन सबके बीच देखने वाली बात यह है कि 45 सालों में भी ज्यादा सालों के इंतजार के बाद जमरानी बांध कागजों से उतर कर जमीन पर बनना कब शुरू होगा।

बाइट ललित जोशी स्थानीय निवासी

वही नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने 2 माह पूर्व जमरानी क्षेत्र का भ्रमण भी किया था और डूब क्षेत्र में आने वाले स्थानीय लोगों से मुलाकात की थी उन्होंने तब जल्द ही जमरानी बांध परियोजना को पर्यावरण स्वीकृति मिलने की बात कही थी।

बाइट -अजय भट्ट सांसद नैनीताल


Conclusion:फिलहाल जमरानी बांध बनने की उम्मीद के बाद लोगों में उत्साह है ।जमरानी बांध का मुद्दा बनाकर कई नेता और सांसद विधानसभा और लोकसभा की कई पारियां खेल चुके हैं लेकिन धरातल पर जमरानी बांध आज तक नहीं बन पाया है देखने वाली बात है कि आखिर अब जमरानी बांध जमीनी हकीकत बनने के बाद ही पता चल पाएगा या 1975 की तरह फिर ठंडे बस्ते में ही चला जाएगा।
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