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Govardhan puja 2021: ऐसे करें गोवर्धन पूजा, सारे मनोरथ होंगे पूरे - govardhan puja 2021

हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा का अलग ही महत्व है. यह पर्व दिवाली के ठीक दूसरे दिन मनाया जाता है. गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है. जानिए गोवर्धन पूजा का महत्व...

Govardhan puja 2021:
गोवर्धन पूजा
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Published : Nov 5, 2021, 7:36 AM IST

हल्द्वानी: दीपावली के ठीक अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का पर्व मनाया जाता है.इस दिन लोग भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं और उन्हें छप्पन भोग अर्पित करते हैं. यह त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रजवासियों को बचाया था.द्वापर युग से चली आ रही यह परंपरा आज भी कायम है.

आज गोवर्धन पूजा खासकर गाय के गोबर से बने गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर उसको फूलों से सजा कर पूजा करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि गाय में 64 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है और गोवर्धन पूजा के दिन गाय के गोबर का पर्वत बनाकर पूजा करने से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं. घरों और मंदिरों में गाय के गोबर का पर्वत बनाकर छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाए जाने का महत्व है.इस दिन गोवंश और खेती के काम के लिए पशुओं की भी पूजा की जाती है.

ऐसे करें गोवर्धन पूजा.

पढ़ें-दीपावली पर जगमग हुआ केदार धाम, श्रद्धालुओं ने धूमधाम से मनाई दिवाली

मान्यता है कि गोवर्धन पूजा करने से धन, संतान और गोवंश की वृद्धि होती है, गोवर्धन पूजा भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है. इस दिन मंदिरों में धार्मिक आयोजन और अन्नकूट (भंडारा) का प्रसाद बांटा जाता है. इस दिन आर्थिक संपन्नता के लिए गाय को स्नान, तिलक, हरा चारा खिलाने और फिर गाय के सात परिक्रमा करने से धन धान्य की वृद्धि होती है.

मान्यता के अनुसार जब भगवान कृष्ण ने गांववालों से देव राज इंद्र की पूजा करने से मना कर दिया था तब देव राज इंद्र को गुस्सा आ गया और उन्होंने खूब बारिश की जिसकी वजह से पूरा गोकुल तबाह हो गया. तब भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से गोकुलवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था. जिससे सभी गोकुलवासियों की रक्षा हुई और इंद्र देव का घमंड भी टूट गया तभी से इस पर्व को मनाने की परंपरा चली आ रही है.

पढ़ें-...तो बाबा केदार करेंगे BJP का कल्याण, 2022 के जरिए 2024 की राह होगी आसान

ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक गोवर्धन पूजा का विशेष सुबह और शाम की जाती है. इस बार गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:30 बजे से लेकर 9 बजे तक जबकि दोपहर 3:20 से 5:30 तक शुभ मुहूर्त है. पूजा करने के लिए सबसे पहले घर की साफ सफाई और घर, आंगन में मंदिर की गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं, इसके बाद और रोली ,चावल ,खीर ,बतासे, दूध ,दही फूल आदि से भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें. गोवर्धन पर्वत पर भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा की स्थापित करें और गोमाता को इस दिन गुड़ चावल खिलाने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और सभी तरह के पापों से मुक्ति के साथ-साथ मोक्ष की भी प्राप्ति होती है.

हल्द्वानी: दीपावली के ठीक अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का पर्व मनाया जाता है.इस दिन लोग भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं और उन्हें छप्पन भोग अर्पित करते हैं. यह त्योहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रजवासियों को बचाया था.द्वापर युग से चली आ रही यह परंपरा आज भी कायम है.

आज गोवर्धन पूजा खासकर गाय के गोबर से बने गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर उसको फूलों से सजा कर पूजा करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि गाय में 64 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है और गोवर्धन पूजा के दिन गाय के गोबर का पर्वत बनाकर पूजा करने से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं. घरों और मंदिरों में गाय के गोबर का पर्वत बनाकर छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाए जाने का महत्व है.इस दिन गोवंश और खेती के काम के लिए पशुओं की भी पूजा की जाती है.

ऐसे करें गोवर्धन पूजा.

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मान्यता है कि गोवर्धन पूजा करने से धन, संतान और गोवंश की वृद्धि होती है, गोवर्धन पूजा भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है. इस दिन मंदिरों में धार्मिक आयोजन और अन्नकूट (भंडारा) का प्रसाद बांटा जाता है. इस दिन आर्थिक संपन्नता के लिए गाय को स्नान, तिलक, हरा चारा खिलाने और फिर गाय के सात परिक्रमा करने से धन धान्य की वृद्धि होती है.

मान्यता के अनुसार जब भगवान कृष्ण ने गांववालों से देव राज इंद्र की पूजा करने से मना कर दिया था तब देव राज इंद्र को गुस्सा आ गया और उन्होंने खूब बारिश की जिसकी वजह से पूरा गोकुल तबाह हो गया. तब भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से गोकुलवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था. जिससे सभी गोकुलवासियों की रक्षा हुई और इंद्र देव का घमंड भी टूट गया तभी से इस पर्व को मनाने की परंपरा चली आ रही है.

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ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक गोवर्धन पूजा का विशेष सुबह और शाम की जाती है. इस बार गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:30 बजे से लेकर 9 बजे तक जबकि दोपहर 3:20 से 5:30 तक शुभ मुहूर्त है. पूजा करने के लिए सबसे पहले घर की साफ सफाई और घर, आंगन में मंदिर की गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं, इसके बाद और रोली ,चावल ,खीर ,बतासे, दूध ,दही फूल आदि से भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें. गोवर्धन पर्वत पर भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा की स्थापित करें और गोमाता को इस दिन गुड़ चावल खिलाने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और सभी तरह के पापों से मुक्ति के साथ-साथ मोक्ष की भी प्राप्ति होती है.

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