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दशकों पहले 'खत्म' हो चुकी बासमती को इस किसान ने किया जीवित, बाजार में बढ़ी डिमांड

हल्द्वानी में एक प्रगतिशील किसान द्वारा ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से पारंपरिक फसलों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है. साथ ही अन्य लोगों को ऑर्गेनिक खेती के बारे में बताकर जागरुक कर रहे हैं.

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Published : Oct 29, 2019, 11:18 AM IST

Updated : Oct 29, 2019, 12:44 PM IST

जैविक खेती से पारंपरिक फसलों को बचाने की कवायद.

हल्द्वानी: आधुनिक समय में पारंपरिक खेती धीरे-धीरे रासायनिक खेती का रूप लेती जा रही है. रासायनिक खेती से लगातार जमीनों की उर्वरक शक्ति और लोगों की सेहत खराब हो रही है. धान, गेहूं और मंडुआ सहित कई फसलें पारंपरिक खेती के नाम पर विलुप्ति की कगार पर हैं. ऐसे में गोरा पड़ाव के हिम्मतपुर गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान अनिल पांडे जैविक खेती के माध्यम से इसको बचाने का काम कर रहे हैं.

जैविक खेती से पारंपरिक फसलों को बचाने की कवायद.

हल्द्वानी के गोरापड़ाव के हिम्मतपुर गांव के रहने वाले किसान अनिल पांडे जैविक खेती कर रहे हैं. साथ ही लोगों को इस कार्य के लिए जागरुक भी कर रहे हैं. अनिल पांडे जैविक सब्जियों की खेती के साथ-साथ पारंपरिक विलुप्त हो चुकी धान, गेहूं, मंडुआ की कई प्रजातियों को जैविक खेती के माध्यम से बचाने का काम कर रहे हैं.

अनिल पांडे ने बताया कि वो विलुप्त हो चुकी सुगंधित तिलक बासमती धान और मंडुआ का ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से उत्पादन कर रहे हैं. ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से उनके उत्पादन में बढ़ावा हुआ है. विलुप्त हो चुकी तिलक बासमती चावल को किसान दशकों पहले लगाना छोड़ चुके थे और धीरे-धीरे ये फसल विलुप्ति की कगार पर थी. जैविक विधि से तैयार किए गये धान का उत्पादन अन्य धान की तुलना में ज्यादा हो रहा है. इस खेती के माध्यम से प्रति बीघा 2 कुंटल बासमती धान तैयार हो रही है. बाजार में तिलक बासमती के सुगंधित चावल 150 रुपये प्रति किलो पर बिक रहा है.

ये भी पढ़ें: शहर में नहीं थम रहा डेंगू का आतंक, 55 नये मरीजों में डेंगू की पुष्टि

किसान अनिल पांडे पारंपरिक खेती के साथ-साथ जैविक सब्जी का उत्पादन भी कर रहे हैं. किसान अनिल पांडे खुद जैविक खेती तो कर रहे हैं. साथ ही अन्य किसानों को भी जैविक खेती के लिए जागरुक भी कर रहे हैं. जैविक खेती में रसायन का प्रयोग नहीं किया जाता है. जैविक खेती में गोबर की खाद, गोमूत्र, गुड से तैयार किया गया वर्मी कंपोस्ट खाद, केंचुए की खाद का प्रयोग किया जाता है.

हल्द्वानी: आधुनिक समय में पारंपरिक खेती धीरे-धीरे रासायनिक खेती का रूप लेती जा रही है. रासायनिक खेती से लगातार जमीनों की उर्वरक शक्ति और लोगों की सेहत खराब हो रही है. धान, गेहूं और मंडुआ सहित कई फसलें पारंपरिक खेती के नाम पर विलुप्ति की कगार पर हैं. ऐसे में गोरा पड़ाव के हिम्मतपुर गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान अनिल पांडे जैविक खेती के माध्यम से इसको बचाने का काम कर रहे हैं.

जैविक खेती से पारंपरिक फसलों को बचाने की कवायद.

हल्द्वानी के गोरापड़ाव के हिम्मतपुर गांव के रहने वाले किसान अनिल पांडे जैविक खेती कर रहे हैं. साथ ही लोगों को इस कार्य के लिए जागरुक भी कर रहे हैं. अनिल पांडे जैविक सब्जियों की खेती के साथ-साथ पारंपरिक विलुप्त हो चुकी धान, गेहूं, मंडुआ की कई प्रजातियों को जैविक खेती के माध्यम से बचाने का काम कर रहे हैं.

अनिल पांडे ने बताया कि वो विलुप्त हो चुकी सुगंधित तिलक बासमती धान और मंडुआ का ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से उत्पादन कर रहे हैं. ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से उनके उत्पादन में बढ़ावा हुआ है. विलुप्त हो चुकी तिलक बासमती चावल को किसान दशकों पहले लगाना छोड़ चुके थे और धीरे-धीरे ये फसल विलुप्ति की कगार पर थी. जैविक विधि से तैयार किए गये धान का उत्पादन अन्य धान की तुलना में ज्यादा हो रहा है. इस खेती के माध्यम से प्रति बीघा 2 कुंटल बासमती धान तैयार हो रही है. बाजार में तिलक बासमती के सुगंधित चावल 150 रुपये प्रति किलो पर बिक रहा है.

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किसान अनिल पांडे पारंपरिक खेती के साथ-साथ जैविक सब्जी का उत्पादन भी कर रहे हैं. किसान अनिल पांडे खुद जैविक खेती तो कर रहे हैं. साथ ही अन्य किसानों को भी जैविक खेती के लिए जागरुक भी कर रहे हैं. जैविक खेती में रसायन का प्रयोग नहीं किया जाता है. जैविक खेती में गोबर की खाद, गोमूत्र, गुड से तैयार किया गया वर्मी कंपोस्ट खाद, केंचुए की खाद का प्रयोग किया जाता है.

Intro:sammry- प्रगतिशील किसान अनिल पांडे जैविक खेती कर ,विलुप्त हो रही तिलक, बासमती धान और मडुआ की फसल को ऑर्गेनिक के माध्यम से कर रहे हैं संरक्षित।( स्पेशल खबर)

एंकर- पुराने समय में जैविक तरीके से उत्पादन होने वाली परंपरिक खेती अब रसायन का रूप ले चुका है रासायनिक खेती लगातार जमीनों को उर्वरक शक्ति को खत्म कर रहा है। यही नहीं रासायनिक खेतों से उत्पादन होने वाले अनाज भी लोगों के सेहत को खराब कर रहे हैं। औऱ कई ऐसे धान गेहूं और मडुआ सहित परंपरिक की खेती विलुप्त के कगार पर हैं ऐसे में हल्द्वानी के गोरा पड़ाव के रहने वाले प्रगतिशील किसान विलुप्त हो रही प्रजाति के धान गेहूं मडुआ सहित अन्य प्रजाति के फसलों को जैविक खेती के माध्यम से बचाने का काम कर रहे हैं।


Body:हल्द्वानी के गोरापड़ाव के हिम्मतपुर गांव के रहने वाले किसान अनिल पांडे इन दिनों जैविक खेती पर काम कर रहे हैं और लोगों को भी जैविक खेती करने के लिए जागरूक कर रहे हैं। अनिल पांडे जैविक सब्जियों की खेती के साथ-साथ परंपरिक विलुप्त हो चुकी धान ,गेहूं ,मडुआ के कई प्रजातियों के फसलों को जैविक खेती के माध्यम से बचाने का काम कर रहे हैं। अनिल पांडे ने बताया कि उन्होंने विलुप्त हो चुकी सुगंधित तिलक बासमती धान और मडुआ की खेती को ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से उत्पादन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से उनके उत्पादन में बढ़ावा हुआ है। विलुप्त हो चुकी तिलक बासमती चावल को किसान दशकों पहले लगाना छोड़ चुके थे। और धीरे-धीरे यह फसल विलुप्त हो रही थी। उन्होंने बताया कि 6 बीघे में जैविक धान को तैयार किया है धान की फसल की ऊंचाई करीब 5 फीट के आसपास हैं ।जबकि रसायन विधि से तैयार किए गए धान की ऊंचाई 2 से 3 फीट तक होती है । ऑर्गेनिक विधि से तैयार किया गया धान का उत्पादन अन्य धान की तुलना में ज्यादा हो रहा है उन्होंने बताया कि प्रति बीघा 2 कुंटल बासमती धान तैयार हो रहा है। बाजार में तिलक बासमती के सुगंधित चावल प्रति किलो ₹150 प्रति किलो रेट है ।
किसान अनिल पांडे पारंपरिक खेती के साथ-साथ जैविक सब्जी के उत्पादन भी कर रहे हैं। किसान अनिल पांडे खुद जैविक खेती तो कर रहे हैं साथ ही अन्य किसानों को भी जैविक खेती के लिए जागरूक भी कर रहे हैं और ट्रेनिंग भी देते हैं।
उन्होंने बताया कि जैविक खेती में रसायन का प्रयोग नहीं किया जाता है जैविक खेती में गोबर की खाद, गोमूत्र, गुड से तैयार किया गया बर्मी कंपोस्ट खाद, केंचुए की खाद का प्रयोग किया जाता है ।


Conclusion:खेती में लगातार रसायन के प्रयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म हो रही है। यही नहीं रसायन से उत्पादित होने वाली अनाज लोगों के सेहत भी खराब कर रहे हैं जिसे रोकने के लिए अब जैविक खेती वरदान साबित हो सकती है जैविक खेती के माध्यम से हरित क्रांति की ओर बढ़ा जा सकता है इसके लिए सरकार को पहल करते हुए किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहन करने की जरूरत है जिससे कि जैविक खेती के साथ-साथ किसानों के आय में भी इजाफा हो सके।

बाइट- अनिल पांडेय ऑर्गेनिक फार्मर
Last Updated : Oct 29, 2019, 12:44 PM IST
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