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ऑर्गेनिक खेती कर रोजगार को नई बुलंदियां दे रहे अनिल, मुनाफा कमाने के बताए टिप्स

गोरापड़ाव क्षेत्र के हिम्मतपुर में रहने वाले काश्तकार अनिल पांडे ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से जैविक फार्म की स्थापना कर सब्जियां उगाने का काम कर रहे हैं. अनिल पांडे अपने बागान में लौकी, तुरई, भिंडी सहित कई सब्जियों का ऑर्गेनिक उत्पादन कर रहे हैं. साथ ही मोटा मुनाफा कमा रहे हैं.

ऑर्गेनिक खेती करते काश्तकार अनिल पांडे.
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Published : Aug 25, 2019, 4:42 PM IST

हल्द्वानी: अगर मन में हौसला और लगन हो तो हर चीज संभव है. इस कथन को हल्द्वानी के गोरापड़ाव क्षेत्र के हिम्मतपुर में रहने वाले प्रगतिशील काश्तकार अनिल पांडे ने सच कर दिखाया है. ये प्रगतिशील काश्तकार ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से खेती कर अपने रोजगार को नई बुलंदियां दे रहे हैं. बता दें कि अनिल पांडे ने जैविक खेती का संकल्प लेते हुए सब्जियों का उत्पादन शुरू किया है.

ऑर्गेनिक खेती करते काश्तकार अनिल पांडे.

अनिल पांडे ने बताया कि आज रासायनिक प्रदूषण से कृषि भूमि समाप्त हो रही है. साथ ही उससे उत्पादित होने वाली साग सब्जियों के खाने से लोगों की सेहत पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है. जैविक खेती में कंपोस्ट खाद के अलावा केंचुआ खाद, नीम खली, लेमनग्रास के साथ-साथ गोमूत्र का प्रयोग कर इन सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं. जो खाने में स्वादिष्ट और सेहतमंद हैं.

ये भी पढ़ें: बहुत कम लोग जानते हैं कहां है दूसरा 'राजघाट'

साथ ही काश्तकार अनिल पांडे ने बताया कि कृषि में लगातार उर्वरक और कीटनाशकों के प्रयोग से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. वहीं, जैविक खेती लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है. जैविक खेती के माध्यम से देश हरित क्रांति की ओर जा सकता है, इसके लिए काश्तकारों को जागरूक होना पड़ेगा. साथ ही सरकार को भी ऑर्गेनिक खेती को लेकर काश्तकारों को प्रोत्साहन करना चाहिए.

हल्द्वानी: अगर मन में हौसला और लगन हो तो हर चीज संभव है. इस कथन को हल्द्वानी के गोरापड़ाव क्षेत्र के हिम्मतपुर में रहने वाले प्रगतिशील काश्तकार अनिल पांडे ने सच कर दिखाया है. ये प्रगतिशील काश्तकार ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से खेती कर अपने रोजगार को नई बुलंदियां दे रहे हैं. बता दें कि अनिल पांडे ने जैविक खेती का संकल्प लेते हुए सब्जियों का उत्पादन शुरू किया है.

ऑर्गेनिक खेती करते काश्तकार अनिल पांडे.

अनिल पांडे ने बताया कि आज रासायनिक प्रदूषण से कृषि भूमि समाप्त हो रही है. साथ ही उससे उत्पादित होने वाली साग सब्जियों के खाने से लोगों की सेहत पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है. जैविक खेती में कंपोस्ट खाद के अलावा केंचुआ खाद, नीम खली, लेमनग्रास के साथ-साथ गोमूत्र का प्रयोग कर इन सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं. जो खाने में स्वादिष्ट और सेहतमंद हैं.

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साथ ही काश्तकार अनिल पांडे ने बताया कि कृषि में लगातार उर्वरक और कीटनाशकों के प्रयोग से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. वहीं, जैविक खेती लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है. जैविक खेती के माध्यम से देश हरित क्रांति की ओर जा सकता है, इसके लिए काश्तकारों को जागरूक होना पड़ेगा. साथ ही सरकार को भी ऑर्गेनिक खेती को लेकर काश्तकारों को प्रोत्साहन करना चाहिए.

Intro:sammry- ऑर्गेनिक खेती कर किसान ने बनाया रोजगार का जरिया।

एंकर- अगर मन में हौसला और लगन हो तो हर चीज संभव हो सकता है। ऐसा ही कर दिखाया है हल्द्वानी के गोरापड़ाव क्षेत्र के हिमतपुर के रहने वाले प्रगतिशील काश्तकार जो अब ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से खेती कर अपने रोजगार का संसाधन बनाया है। अनिल पांडे जैविक खेती को संकल्प लेते हुए सब्जियों का उत्पादन शुरू किया है।


Body:गोरापड़ाव क्षेत्र के हिम्मतपुर के रहने वाले काश्तकार अनिल पांडे अब ऑर्गेनिक खेती के माध्यम से जैविक फार्म की स्थापना कर सब्जियों का काम कर रहे हैं। अनिल पांडे में अपने भगवानी में लौकी तुरई भिंडी सहित कई सब्जियों का ऑर्गेनिक उत्पादन कर रहे हैं और उससे मोटा मुनाफा भी कमा रहे है साथी लोगों को ऑर्गेनिक खेती के लिए जागरूक भी कर रहे हैं। अनिल पांडे का कहना है कि आज रासायनिक प्रदूषण से कृषि भूमि समाप्त हो रही है साथी उससे उत्पादित होने वाली साग सब्जियां के खाने से लोगों की सेहत के लिए काफी नुकसानदायक हो रही है।
काश्तकार अनिल पांडे का कहना है कि जैविक खेती में कंपोस्ट खाद के अलावा केंचुआ खाद, नीम खली ,और लेमनग्रास के साथ-साथ गोमूत्र का प्रयोग कर इन सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं जो खाने में स्वादिष्ट और सेहतमंद है। उन्होंने बताया कि ऑर्गेनिक खेती को लेकर पिछले कई सालों से काम कर रहे हैं लेकिन कोई साल बाद उनको इसमें सफलता मिली है।


Conclusion:कृषि में लगातार उर्वरक और कीटनाशकों के पर्यावरण के साथ-साथ लोगों की सेहत पर पढ़ने वाले प्रभाव को रोकने के लिए जैविक खेती वरदान साबित हो सकती है जैविक खेती के माध्यम से देश हरित क्रांति की ओर जा सकता है लेकिन इसके लिए काश्तकारों को जागरूक होना पड़ेगा और सरकार को भी ऑर्गेनिक खेती को लेकर काश्तकारों को प्रोत्साहन करना चाहिए जिससे कि ज्यादा से ज्यादा किसान ऑर्गेनिक खेती पर काम कर सकें।
बाइट -अनिल पांडे काश्तकार ऑर्गेनिक फार्मर
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