रामनगर: विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क में लगातार बाघों की बढ़ती संख्या से गुलदारों के लिए चुनौती बनती जा रही है. बाघ टेरिटोरियल जानवर की प्रजाति के होते है, वो अपने इलाके में किसी और का रहना पसंद नहीं करते. ऐसे में बाघों द्वारा गुलदारों को कॉर्बेट पार्क से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है. जिससे गुलदार अब आबादी वाले इलाकों की तरफ रुख कर रहे हैं. गुलदार के आबादी वाले इलाकों में जाने से वन्यजीव प्रेमियों के साथ ही कॉर्बेट प्रशासन की चिंता बढ़ रही है.
बता दें कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में 231 बाघ हैं तो वहीं उसके लैंडस्केप में 35 टाइगर मौजूद हैं जबकि कॉर्बेट पार्क में गुलदारों की संख्या एक अनुमान के मुताबिक मात्र 80 से 82 बतायी जाती है. वन्यजीव प्रेमी संजय छिम्वाल बताते हैं कि बाघ और गुलदार दोनों के स्वभाव में काफी अंतर होता है. बाघ एकाकी प्राणी है साथ ही बिल्ली प्रजाति में सबसे बड़ा जीव है और टेरिटोरियल एनिमल भी है. वह किसी और परभक्षी को अपने इलाके में पसंद नहीं करता.
उन्होंने बताया कि गुलदार शरीर से आकार में बहुत कम होता है, जिसके चलते वह बाघ से लड़ नहीं सकता. गुलदार के अंदर एक कुशलता होती है, वह पेड़ों पर चढ़कर अपनी जान बचा सकता है. लेकिन जब बाघों की संख्या में इजाफा होता है तो छोटे परजीवी इसके शिकार होते हैं. बाघों की धमक के चलते गुलदार उस इलाके में चले जाते हैं, जहां बाघ नहीं आते हैं. इसी कारण इन दिनों मानव और वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं.
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कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल कुमार बताते हैं कि गुलदार आबादी के पास रहना पसंद करते हैं. ऐसे में बाघों की संख्या बढ़ने के कारण गुलदार उस एरिया को छोड़कर आबादी की तरफ मूव करते हैं. उन्होंने बताया कि आसपास के लोगों को जागरूक किया जा रहा है, जिससे मानव वन्यजीव की घटनाएं कम हो सकें.