रामनगरः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने पर बाघों की गणना के नतीजों की घोषणा की. प्रोजेक्ट टाइगर के बेहद सुखद परिणाम सामने आए हैं. इस प्रोजेक्ट से देश में बाघों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है, जो अच्छी खबर है. बाघों के संरक्षण और संवर्धन में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व का अहम योगदान है. यहीं से प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत हुई थी. वहीं इस बार भी गणना के आंकड़े सामने आने के बाद बाघों की संख्या में इजाफा होने की उम्मीद जताई जा रही है. क्यों कि पूर्व के आंकड़े काफी अच्छे रहे हैं.
दरअसल, साल 2022 में भारत में बाघों की संख्या बढ़कर 3,167 हो गई थी. जबकि, साल 2018 की गणना में देश में बाघों की संख्या 2,967 थी. साल 2014 की बात करें तो उस समय बाघों की संख्या 2,226 थी. वहीं, 2010 में 1706 बाघ तो 2006 में 1411 बाघ भारत में थे. प्रोजेक्ट टाइगर के चलते भारत के प्राइड कहे जाने वाले बाघों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी देखी गई है.
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बता दें कि प्रोजेक्ट टाइगर को 50 साल पूरे हो गए हैं. बाघों के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की गई थी. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत उत्तराखंड के प्रसिद्ध कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से ही हुई थी. बाघों के कुनबा बढ़ाने में प्रोजेक्ट टाइगर का अहम रोल है. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में भी बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है. हालांकि, बाघों की संख्या कितनी बढ़ी है, इसका अभी कोई आंकड़ों से जुड़ा पत्र जारी नहीं हुआ है, लेकिन सूत्रों की मानें तो कॉर्बेट पार्क में बाघों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है.
गौर हो कि विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में साल 2006 के बाद लगातार बाघों का कुनबा बढ़ा है. अगर साल 2006 की बात करें तो कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 160 बाघ पाए गए थे. उसके बाद 2010 में इनकी संख्या बढ़कर 186 हुई. इसके बाद साल 2014 इनकी गणना हुई. जिसमें बाघों की संख्या 215 पाई गई. वहीं, साल 2020 की गणना में बाघों की 250 से ज्यादा पाई गई. साल 2022 की गणना में इनकी संख्या में और इजाफा होने की संभावना है. कुछ ही दिनों में इसके आंकड़े भी सार्वजनिक किए जाएंगे.