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वर्ल्ड टाइगर डे पर PM मोदी ने जारी किए आंकड़ें, 10 साल में उत्तराखंड में दोगुनी हुई बाघों की संख्या

प्रदेश में वन विभाग की सतर्कता और लोगों की जागरूकता के चलते सूबे में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है.

उत्तराखंड में बाघों की संख्या बढ़ी.
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Published : Jul 29, 2019, 12:24 PM IST

Updated : Jul 29, 2019, 12:40 PM IST

हल्द्वानी: वर्ल्ड टाइगर डे पर पीएम मोदी ने देशभर में बाघों की संख्या जारी की है. सूबे में बाघों की संख्या साल 2018 की गणना के अनुसार 442 हो गई है, जबकि 2014 तक ये बाघों की संख्या सिर्फ 340 थी. वन विभाग के लगातार अध्ययन के बाद बाघों की उपस्थिति प्रदेश के सभी 13 जिलों में पहुंच चुकी है.

वन विभाग द्वारा वनों के दोहन और जीवों की सुरक्षा को लेकर चलाए गए अभियान सफल साबित हुए हैं. यही कारण है कि बाघों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है.

वर्ल्ड टाइगर डे.

साल 2006 में उत्तराखंड में बाघों की जनसंख्या 178 थी. वहीं, 2010 में ये आंकड़ा बढ़कर 227 हो गया. साल 2014 में सूबे में बाघों की संख्या 340 हो गई थी. वन विभाग द्वारा बाघों के रहन-सहन का ध्यान रखते हुए मिश्रित वनों के उपयोग ने भी बाघों की उपलब्धता को बढ़ाया है. इसके अलावा कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के साथ पश्चिमी वृत के कुमाऊं क्षेत्र में भी बाघों की काफी संख्या बढ़ी है, जोकि वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है.

ये भी पढ़ें: बीजेपी प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू का दावा, 4 लाख बनाए गए नए सदस्य

वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त डॉ. पराग मधुकर धक्काते ने बताया कि उत्तराखंड में लोग भी वन्य जीवों की सुरक्षा के प्रति जागरुक हैं. लिहाजा वन विभाग और उत्तराखंड के आम जनमानस के लिए यह एक बेहतर खबर है. उत्तराखंड में बाघों की संख्या बढ़ना किसी खुशखबरी से कम नहीं है.

हल्द्वानी: वर्ल्ड टाइगर डे पर पीएम मोदी ने देशभर में बाघों की संख्या जारी की है. सूबे में बाघों की संख्या साल 2018 की गणना के अनुसार 442 हो गई है, जबकि 2014 तक ये बाघों की संख्या सिर्फ 340 थी. वन विभाग के लगातार अध्ययन के बाद बाघों की उपस्थिति प्रदेश के सभी 13 जिलों में पहुंच चुकी है.

वन विभाग द्वारा वनों के दोहन और जीवों की सुरक्षा को लेकर चलाए गए अभियान सफल साबित हुए हैं. यही कारण है कि बाघों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है.

वर्ल्ड टाइगर डे.

साल 2006 में उत्तराखंड में बाघों की जनसंख्या 178 थी. वहीं, 2010 में ये आंकड़ा बढ़कर 227 हो गया. साल 2014 में सूबे में बाघों की संख्या 340 हो गई थी. वन विभाग द्वारा बाघों के रहन-सहन का ध्यान रखते हुए मिश्रित वनों के उपयोग ने भी बाघों की उपलब्धता को बढ़ाया है. इसके अलावा कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के साथ पश्चिमी वृत के कुमाऊं क्षेत्र में भी बाघों की काफी संख्या बढ़ी है, जोकि वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है.

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वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त डॉ. पराग मधुकर धक्काते ने बताया कि उत्तराखंड में लोग भी वन्य जीवों की सुरक्षा के प्रति जागरुक हैं. लिहाजा वन विभाग और उत्तराखंड के आम जनमानस के लिए यह एक बेहतर खबर है. उत्तराखंड में बाघों की संख्या बढ़ना किसी खुशखबरी से कम नहीं है.

Intro:sammry- उत्तराखंड में बाघों की संख्या बढ़ी।( विजुअल बाइट मेल से उठाएं)


एंकर-वर्ल्ड टाइगर डे के दिन बाघों की गणना के रिजल्ट जारी होते ही उत्तराखंड में वन्यजीव प्रेमी और वन विभाग बेहद खुश और संतुष्ट नजर आ रहा है ।क्योंकि उत्तराखंड में 2018 की गणना के अनुसार 442 बाघों की उपलब्धता पाई गई है । वन विभाग के लगातार अध्ययन के बाद बाघों की उपस्थिति प्रदेश के 13 जिलों में पहुंच चुकी हैं।


Body:मानव वन्यजीव संघर्ष के अलावा लगातार वनों के हो रहे दोहन को रोकने में, बाघों की तस्करी रोकने ,वन्य जीवों के सुरक्षा को लेकर अभियान उत्तराखंड वन विभाग सफल रहा यही वजह है कि बाघों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है। 2006 में उत्तराखंड में बाघों की जनसंख्या 178 और 2010 में 227 और वर्ष 2014 में 340 भाग उत्तराखंड में थे ।वन विभाग द्वारा बाघों के रहन-सहन का ध्यान रखते हुए मिश्रित वनों के उपयोग ने भी बाघों की उपलब्धता को बढ़ाया है इसके अलावा कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के साथ साथ पश्चिमी वृत के कुमाऊं क्षेत्र में भी बाघों की काफी संख्या पाई गई है जो कि वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है।


Conclusion: वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त डॉ पराग मधुकर घकाते ने बताया कि उत्तराखंड में लोग भी वन्य जीवो की सुरक्षा के प्रति जागरुक है लिहाजा वन विभाग और उत्तराखंड के आम जनमानस के लिए यह एक बेहतर खबर है। उत्तराखंड में बाघों की संख्या बढ़ना किसी खुशखबरी से कम नहीं है।

बाइट- पराग मधुकर धक्काते वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त
Last Updated : Jul 29, 2019, 12:40 PM IST
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