रामनगर: विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों और हाथियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. जिसके चलते कार्बेट पार्क के आस-पास रहने वालों लोग डर के साए में जीवन जीने को मजबूर है. वहीं, कॉर्बेट प्रशासन वन्य जीवों के साथ संघर्ष में मृत्यु होने पर मृतक के परिजनों को तीन लाख मुआवजा देती है. वहीं, समाजिक कार्यकर्ता ने इस मुआवजा राशि को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
बता दें कि इन दिनों कॉर्बेट नेशनल पार्क में लगभग 260 से अधिक बाघ, 12 सौ के करीब हाथी और 400 के आस-पास लेपर्ड मौजूद है. वहीं, दर्जनों भालू और जहरीले सांप भी कॉर्बेट नेशनल पार्क में पाए जाते हैं. जो इंसानों के लिए हमेशा खतरा बने रहते हैं. हालांकि, स्थानीय लोग इन जानवरों से कभी नफरत नहीं करते, वे चाहते है कि जानवर उनकी फसलों को बर्बाद न करे.
मामले में स्थानीय व सामाजिक कार्यकर्ता मुनीश कुमार का कहना है कि सरकार कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघों और हाथियों की संख्या बढ़ने पर खुशियां मना रहा है. लेकिन बाघों द्वारा मारे गए लोगों व जिन किसानों की खेती बर्बाद हुई, जिनके परिवार वाले नहीं रहे. उनकी बात कोई नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों की मृत्यु हो जाती है. सरकार उनके परिवार वालों को मात्र तीन लाख मुआवजा राशि देती है. उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति की मृत्यु की कीमत मात्र तीन लाख रुपए जो हमारे देश के लिए दुर्भाग्य पूर्ण है.
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कॉर्बेट पार्क के निदेशक राहुल कुमार का कहना है कि उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष होने पर नियमावली 2012 के उसके अनुसार ही मुआवजा दिया जाता है. उन्होंने कहा कि अगर मानव वन्यजीव में किसी की मृत्यु हो जाती है. तो उसको 3 लाख, कोई मामूली घायल होता है तो उसको 15हज़ार, व कोई गंभीर घायल होता है तो उसे 50हज़ार रुपेय मुआवाजा मिलता है. वहीं, आंशिक व पूर्ण रूप से विकलांग होने पर ₹1लाख या 2लाख का मुआवजा दिया जाता है. ऐसे ही मवेशियों के लिए मारे जाने पर भी अलग-अलग तरीके से मुआवजे का प्रावधान है. फसल क्षति का भी मुआवजा फसल के प्रकार के आधार पर व कितने क्षेत्र में लगाई गई है. उसके आधार पर देने का प्रावधान है.