नैनीताल: हरिद्वार कुंभ मेला (Haridwar Kumbh Mela) में हुए कोरोना टेस्टिंग फर्जीवाड़ा (corona testing fraud) मामले में लिप्त मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज (Max Corporate Services) के सर्विस पार्टनर शरत पंत और मलिका पंत की पाथर्नापत्र पर उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने सुनवाई की. मामले कोर्ट ने फिलहाल उनको कोई राहत नहीं दी है. साथ ही मामले में सरकार से तीन सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने को कहा है.
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की एकलपीठ में हुई. आज सरकार की तरफ से कहा गया कि पूर्व में कोर्ट ने इनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी, लेकिन पुलिस की जांच में इनके ऊपर गंभीर आरोप पाए गए हैं. जिसके बाद कोर्ट ने इन्हें निचली अदालत में पेश होने को कहा था.
निचली अदालत ने इनके ऊपर गंभीर आरोप को सही पाते हुए इनकी जमानत याचिका खारिज कर दी. इस आदेश को शरत पंत और मलिका पंत ने हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. मामले के अनुसार शरत पंत व मलिका पंत ने याचिका दायर कर कहा था कि वे मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेस में एक सर्विस प्रोवाइडर हैं. परीक्षण और डेटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स कॉर्पोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था.
ये भी पढ़ें: अब गैरसैंण नहीं 9-10 दिसंबर को देहरादून में होगा उत्तराखंड विस का शीतकालीन सत्र
उन्होंने कहा परीक्षण और डेटा प्रविष्टि का सारा काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था. इन अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण स्टॉलों ने जो कुछ भी किया था, उसे अपनी मंजूरी दे दी. अगर कोई गलत कार्य कर रहा था तो कुंभ मेले के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे ?
वहीं, मामले में हरिद्वार मुख्य चिकित्सा अधिकारी (Haridwar Chief Medical Officer) ने शरत पंत और मलिका पंत के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. सीएमओ का आरोप है कि कुंभ मेले के दौरान इनके द्वारा खुद को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी तरीके से टेस्ट कराए गए. 2021 में एक व्यक्ति ने सीएमओ को पत्र भेजकर मामले की शिकायत की थी. जिसमें उसने बताया कि कुंभ मेले में टेस्ट कराने वाले लैबों द्वारा उसकी आईडी व फोन नंबर का उपयोग किया गया है. जबकि, उनके द्वारा रेपिड एंटीजन टेस्ट (rapid antigen test) कराने के लिए कोई रजिस्ट्रेशन व सैम्पल नहीं दिया गया.