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गौला के मजदूरों का कोई मसीहा नहीं, घायल किशोरी का कोई नहीं ले रहा हाल

मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला मजदूर परिवार गौला नदी में पिछले कई सालों से खनन चुगान का कार्य कर अपने परिवार की जीविका चलाता है. 14 मार्च का दिन इस मजदूर परिवार के लिए मुसीबत बन कर आया. मजदूर धर्मपाल की मां 55 वर्षीय नारायणी देवी की मौत हो चुकी है, जबकि उसकी 14 साल की बेटी गंभीर रूप से घायल है.

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A girl struggling with life and death in haldwani
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Published : Mar 22, 2021, 9:15 AM IST

Updated : Mar 22, 2021, 2:34 PM IST

हल्द्वानीः अपने खून पसीने से हर साल गौला नदी में काम करने वाले मजदूर सरकार को करोड़ों का राजस्व देते हैं. लेकिन नदी में काम करने वाले मजदूरों के लिए बनायी गयी वेलफेयर सोसाइटी और कमेटी इन मजदूरों के काम नहीं आ रही है. मामला 14 मार्च का है. हल्द्वानी के गौला नदी के आंवला खनन निकासी गेट पर अचानक उपखनिज की ढांग गिर जाने से 55 वर्षीय नारायणी देवी और उनकी 14 साल की पोती उपखनिज के चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गई थीं. नारायणी देवी की इलाज के दौरान मौत हो गई है, जबकि उसकी पोती 14 वर्षीय गुंजा मौत से जिंदगी के लिए लड़ रही है. लेकिन सरकारी सिस्टम इतना लापरवाह है कि इस मजदूर परिवार को मरहम तक लगाने नहीं पहुंचा.

गौला के मजदूरों का कोई मसीहा नहीं.

ऐसे में अब मजदूर परिवार टूट चुका है और सरकार और सिस्टम से सहायता की गुहार लगा रहा है. यही नहीं, सरकारी सिस्टम द्वारा मजदूर परिवार को अभी तक कोई सहायता नहीं की गई है, ना ही इलाज के लिए कोई पैसा उपलब्ध कराया गया है.

वहीं, मजदूर धर्मपाल का कहना है कि उसकी मां की मौत हो चुकी है. जमा पूंजी बच्ची के इलाज में लगा दी है. लेकिन सरकार और उसके सिस्टम का कोई भी व्यक्ति उससे मिलने भी नहीं पहुंचा. मजदूर धर्मपाल का आरोप है कि खनन करने के दौरान अगर उनके परिवार को नियमानुसार मिलने वाला हेलमेट उपलब्ध हुआ होता, तो शायद उसकी मां की जान बच जाती.

ये भी पढ़ेंः हरिद्वार पहुंचे CM तीरथ, ₹130 करोड़ लागत की योजनाओं का किया लोकार्पण

प्रदेश सरकार को खनन से सबसे ज्यादा राजस्व की प्राप्ति होती है. कुमाऊं के गौला नदी में काम करने वाले मजदूर अपने खून पसीने से सरकार को हर साल करोड़ों का राजस्व देते हैं. यही नहीं, मजदूरों के हित के लिए वेलफेयर सोसाइटी का भी गठन किया गया है, जिससे कि मजदूरों को सहायता के अलावा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं. वेलफेयर के तहत ₹2.13 प्रति कुंतल जिला खनन न्यास में जाता है, जिससे कि मजदूरों को आर्थिक सहायता और सुविधा उपलब्ध कराई जा सके. लेकिन सिस्टम इस पैसे पर कुंडली मारकर बैठा है. नदी में काम करने वाले मजदूरों को ना ही कोई सुविधा उपलब्ध करा पा रहा है, ना ही पीड़ित परिवार को कोई तत्काल राहत सहायता देने की जहमत उठा रहा है.

वहीं, इस पूरे मामले में कार्यदाई संस्था वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक केएन भारती का कहना है कि वन निगम के पास मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है. मजदूरों के हित के लिए जिला खनन न्यास का गठन किया गया है, जिसके मुखिया जिला अधिकारी हैं. विभाग द्वारा इस पूरे मामले को लेकर जिलाधिकारी को पत्र भेजा गया है. जिलाधिकारी के माध्यम से ही मुआवजा और राहत राशि देने का प्रावधान है.

हल्द्वानीः अपने खून पसीने से हर साल गौला नदी में काम करने वाले मजदूर सरकार को करोड़ों का राजस्व देते हैं. लेकिन नदी में काम करने वाले मजदूरों के लिए बनायी गयी वेलफेयर सोसाइटी और कमेटी इन मजदूरों के काम नहीं आ रही है. मामला 14 मार्च का है. हल्द्वानी के गौला नदी के आंवला खनन निकासी गेट पर अचानक उपखनिज की ढांग गिर जाने से 55 वर्षीय नारायणी देवी और उनकी 14 साल की पोती उपखनिज के चपेट में आने से गंभीर रूप से घायल हो गई थीं. नारायणी देवी की इलाज के दौरान मौत हो गई है, जबकि उसकी पोती 14 वर्षीय गुंजा मौत से जिंदगी के लिए लड़ रही है. लेकिन सरकारी सिस्टम इतना लापरवाह है कि इस मजदूर परिवार को मरहम तक लगाने नहीं पहुंचा.

गौला के मजदूरों का कोई मसीहा नहीं.

ऐसे में अब मजदूर परिवार टूट चुका है और सरकार और सिस्टम से सहायता की गुहार लगा रहा है. यही नहीं, सरकारी सिस्टम द्वारा मजदूर परिवार को अभी तक कोई सहायता नहीं की गई है, ना ही इलाज के लिए कोई पैसा उपलब्ध कराया गया है.

वहीं, मजदूर धर्मपाल का कहना है कि उसकी मां की मौत हो चुकी है. जमा पूंजी बच्ची के इलाज में लगा दी है. लेकिन सरकार और उसके सिस्टम का कोई भी व्यक्ति उससे मिलने भी नहीं पहुंचा. मजदूर धर्मपाल का आरोप है कि खनन करने के दौरान अगर उनके परिवार को नियमानुसार मिलने वाला हेलमेट उपलब्ध हुआ होता, तो शायद उसकी मां की जान बच जाती.

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प्रदेश सरकार को खनन से सबसे ज्यादा राजस्व की प्राप्ति होती है. कुमाऊं के गौला नदी में काम करने वाले मजदूर अपने खून पसीने से सरकार को हर साल करोड़ों का राजस्व देते हैं. यही नहीं, मजदूरों के हित के लिए वेलफेयर सोसाइटी का भी गठन किया गया है, जिससे कि मजदूरों को सहायता के अलावा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं. वेलफेयर के तहत ₹2.13 प्रति कुंतल जिला खनन न्यास में जाता है, जिससे कि मजदूरों को आर्थिक सहायता और सुविधा उपलब्ध कराई जा सके. लेकिन सिस्टम इस पैसे पर कुंडली मारकर बैठा है. नदी में काम करने वाले मजदूरों को ना ही कोई सुविधा उपलब्ध करा पा रहा है, ना ही पीड़ित परिवार को कोई तत्काल राहत सहायता देने की जहमत उठा रहा है.

वहीं, इस पूरे मामले में कार्यदाई संस्था वन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक केएन भारती का कहना है कि वन निगम के पास मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है. मजदूरों के हित के लिए जिला खनन न्यास का गठन किया गया है, जिसके मुखिया जिला अधिकारी हैं. विभाग द्वारा इस पूरे मामले को लेकर जिलाधिकारी को पत्र भेजा गया है. जिलाधिकारी के माध्यम से ही मुआवजा और राहत राशि देने का प्रावधान है.

Last Updated : Mar 22, 2021, 2:34 PM IST
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