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सरोवर नगरी में होगी न्यूजीलैंड के कीवी की खेती, काश्तकारों को होगा फायदा

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Published : Dec 26, 2021, 5:11 PM IST

नैनीताल के पटवाडांगर में न्यूजीलैंड के कीवी का उत्पादन किया जाएगा. जिससे पहाड़ी काश्तकारों की आमदनी बढ़ेगी और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

Kiwi will be cultivated in fields of Nainital
न्यूजीलैंड की कीवी की खेती

नैनीताल: जनपद के पटवाडांगर क्षेत्र में टिश्यू कल्चर विधि से कीवी का उत्पादन (Production of Kiwi by tissue culture method) होगा. पटवाडांगर क्षेत्र में न्यूजीलैंड के कीवी की खेती (New Zealand Kiwi Farming) की जाएगी. साथ ही इस क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता के फल सेब, अखरोट सहित संकटग्रस्त औषधीय पौधों की खेती (cultivation of medicinal plants) की जाएगी.

पटवाडांगर स्थित हल्दी संस्थान (Turmeric Institute at Patwadangar) के इंचार्ज सुनील पुरोहित ने बताया कि पटवाडांगर में प्लांट टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला (Plant Tissue Culture Laboratory Patwadangar) स्थापित की जा रही है. जहां पर एक पौधे से सैकड़ों प्रकार के पौधों की प्रजातियां उत्पादन किया जाएगा. साथ ही पटवाडांगर की 100 एकड़ भूमि पर बायोडायवर्सिटी पार्क का निर्माण (Creation of Biodiversity Park) किया जाएगा.

.सरोवर नगरी में होगी न्यूजीलैंड के कीवी की खेती.

उन्होंने कहा इसके अलावा जीन बैंक, मशरूम के स्पन का उत्पादन भी किया जाएगा, जिससे आने वाले समय में नैनीताल के पटवाडांगर क्षेत्र को कृषि के साथ-साथ पर्यटन स्थल के रूप में नई पहचान मिलेगी और पटवाडांगर को पर्यटन के क्षेत्र में भी जाना जाएगा.

सुनील ने बताया कि नैनीताल क्षेत्र में कीवी की खेती की अपार संभावना है. जिस वजह से यहां पर उच्च गुणवत्ता के कीवी का उत्पादन किया जाएगा, जिसमें एवर्ट, एलिसन, ब्रूनो, हेवर्ड, मोटी, तुमोरी, रेड कीवी प्रजाति का उत्पादन होगा. जिससे पहाड़ के किसानों को फायदा मिलेगा.

ये भी पढ़ें: टिहरी: सड़क बनाने के नाम पर सैकड़ों पेड़ों की बलि, वन विभाग बना मूकदर्शक

पहाड़ के काश्तकारों के लिए कीवी की खेती काफी फायदेमंद साबित होगी. बंदरों के आतंक से परेशान पहाड़ी काश्तकारों के लिए कीवी की खेती काफी फायदेमंद मानी जा रही है. क्योंकि बंदर और जंगली जानवर कीवी की खेती को नुकसान नहीं पहुंचाते, जिस लिहाज से पहाड़ के काश्तकारों के लिए कीवी की खेती को उपयुक्त माना जा रहा है.

अब तक बंदर और जंगली जानवर पहाड़ी क्षेत्र में होने वाली खेती को काफी नुकसान पहुंचाते थे, जिस वजह से पहाड़ के कई क्षेत्रों में किसानों ने खेती करना बंद कर दिया था. कीवी की खेती से पहाड़ के काश्तकारों के सामने खेती करने का एक नया रास्ता खुल गया है, जिससे काश्तकारों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

कीवी की खेती के एक्सपर्ट सुनील पुरोहित बताते हैं कि कीवी की खेती साल में एक बार फल देती है, जिससे किसानों को काफी फायदा होगा. कीवी का फल करीब 6 माह तक स्टोर किया जा सकता है. कीवी में कई औषधीय गुण विद्यमान हैं, जिस वजह से देश में कीवी की तेजी से मांग बढ़ रही है. कीवी का सेवन से डेंगू के उपचार, हृदय की बीमारी को दूर करने समेत इम्युनिटी बढ़ाने के लिए किया जाता है. कोरोना काल में भी देशभर में कीवी की तेजी से मांग बढ़ी थी.

नैनीताल: जनपद के पटवाडांगर क्षेत्र में टिश्यू कल्चर विधि से कीवी का उत्पादन (Production of Kiwi by tissue culture method) होगा. पटवाडांगर क्षेत्र में न्यूजीलैंड के कीवी की खेती (New Zealand Kiwi Farming) की जाएगी. साथ ही इस क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता के फल सेब, अखरोट सहित संकटग्रस्त औषधीय पौधों की खेती (cultivation of medicinal plants) की जाएगी.

पटवाडांगर स्थित हल्दी संस्थान (Turmeric Institute at Patwadangar) के इंचार्ज सुनील पुरोहित ने बताया कि पटवाडांगर में प्लांट टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला (Plant Tissue Culture Laboratory Patwadangar) स्थापित की जा रही है. जहां पर एक पौधे से सैकड़ों प्रकार के पौधों की प्रजातियां उत्पादन किया जाएगा. साथ ही पटवाडांगर की 100 एकड़ भूमि पर बायोडायवर्सिटी पार्क का निर्माण (Creation of Biodiversity Park) किया जाएगा.

.सरोवर नगरी में होगी न्यूजीलैंड के कीवी की खेती.

उन्होंने कहा इसके अलावा जीन बैंक, मशरूम के स्पन का उत्पादन भी किया जाएगा, जिससे आने वाले समय में नैनीताल के पटवाडांगर क्षेत्र को कृषि के साथ-साथ पर्यटन स्थल के रूप में नई पहचान मिलेगी और पटवाडांगर को पर्यटन के क्षेत्र में भी जाना जाएगा.

सुनील ने बताया कि नैनीताल क्षेत्र में कीवी की खेती की अपार संभावना है. जिस वजह से यहां पर उच्च गुणवत्ता के कीवी का उत्पादन किया जाएगा, जिसमें एवर्ट, एलिसन, ब्रूनो, हेवर्ड, मोटी, तुमोरी, रेड कीवी प्रजाति का उत्पादन होगा. जिससे पहाड़ के किसानों को फायदा मिलेगा.

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पहाड़ के काश्तकारों के लिए कीवी की खेती काफी फायदेमंद साबित होगी. बंदरों के आतंक से परेशान पहाड़ी काश्तकारों के लिए कीवी की खेती काफी फायदेमंद मानी जा रही है. क्योंकि बंदर और जंगली जानवर कीवी की खेती को नुकसान नहीं पहुंचाते, जिस लिहाज से पहाड़ के काश्तकारों के लिए कीवी की खेती को उपयुक्त माना जा रहा है.

अब तक बंदर और जंगली जानवर पहाड़ी क्षेत्र में होने वाली खेती को काफी नुकसान पहुंचाते थे, जिस वजह से पहाड़ के कई क्षेत्रों में किसानों ने खेती करना बंद कर दिया था. कीवी की खेती से पहाड़ के काश्तकारों के सामने खेती करने का एक नया रास्ता खुल गया है, जिससे काश्तकारों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.

कीवी की खेती के एक्सपर्ट सुनील पुरोहित बताते हैं कि कीवी की खेती साल में एक बार फल देती है, जिससे किसानों को काफी फायदा होगा. कीवी का फल करीब 6 माह तक स्टोर किया जा सकता है. कीवी में कई औषधीय गुण विद्यमान हैं, जिस वजह से देश में कीवी की तेजी से मांग बढ़ रही है. कीवी का सेवन से डेंगू के उपचार, हृदय की बीमारी को दूर करने समेत इम्युनिटी बढ़ाने के लिए किया जाता है. कोरोना काल में भी देशभर में कीवी की तेजी से मांग बढ़ी थी.

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