नैनीताल: कुमाऊं में कुल देवी के रूप में पूजी जाने वाली मां नंदा-सुनंदा के महोत्सव का समापन मां के डोले के विसर्जन के साथ हो गया. मान्यता है कि मां नंदा अष्टमी को तीन दिन के लिए कुमाऊं की धरती पर अपने मायके आती हैं. यहां तीन दिन तक प्रवास के बाद वापस अपने ससुराल हिमालय चली जाती हैं. इसी के तहत मां के डोले का विसर्जन किया जाता है.
सरोवर नगरी नैनीताल में बीते 3 दिन से चल रहा मां नंदा-सुनंदा का महोत्सव का शुक्रवार को विधिवत रूप से समापन हो गया. मां नंदा-सुनंदा के डोले को मंदिर परिसर में भ्रमण कराया गया. इसके बाद डोले को मंदिर परिसर से ही नैनी झील में विसर्जित कर दिया गया. इसके साथ ही मां के महोत्सव का समापन हो गया.
मां के डोले के विसर्जन के दौरान मंदिर के बाहर सैकड़ों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए मौजूद रहे लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के चलते भक्त मां के डोले को स्पर्श नहीं कर सके. कोरोना काल में सादगीपूर्वक श्रद्धालुओं ने मां नंदा और सुनंदा को विदाई दी.
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बता दें, हर साल नैनीताल में मां नंदा-सुनंदा के महोत्सव का आयोजन होता है. हर साल मां नंदा-सुनंदा के डोले का नगर भ्रमण कराया जाता है. इसमें नैनीताल समेत आसपास के शहरों के लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं और मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. लेकिन इस बार कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मां के डोले का नगर भ्रमण नहीं कराया जा सका, जिस वजह से मां के भक्तों में निराशा रही.