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उत्तराखंड: दुनिया में बजता है यहां की चाय का डंका, लॉकडाउन में प्रभावित हुआ व्यवसाय

कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लागू है. जिसके चलते न ही इन बगानों को देखने पर्यटक आ रहे है, न ही चाय की बिक्री हो रही है. ऐसे में चाय बगानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है.

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Published : Apr 19, 2020, 2:58 PM IST

Updated : Apr 19, 2020, 7:58 PM IST

नैनीताल चाय बागान को हुआ लाखों का नुकसान
नैनीताल चाय बागान को हुआ लाखों का नुकसान

नैनीताल: कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लागू है. जिसकी वजह से नैनीताल के भवाली चाय बागान में पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है. दरअसल, नैनीताल में पर्यटन सीजन शुरू होने का यही समय है. इस समय चाय के बागानों में हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं. लेकिन, लॉकडाउन के कारण चाय भी बगानों में ही पड़ी हुई है. ऐसे में कामगारों और व्यापारियों पर दोहरी मार पड़ी है.

दुनिया में बजता है यहां की चाय का डंका

बता दें कि, देश में कोरोना वायरस के चलते किए गए लॉकडाउन के कारण चाय बागान में सन्नाटा पसरा हुआ है. जिससे चाय बागान से चुगान का काम पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है. जिससे चाय बागान को करीब 50 लाख तक का नुकसान होता दिखाई दे रहा है. इतना ही नहीं इस चाय बागान में पर्यटन सीजन के दौरान करीब एक लाख से अधिक पर्यटक भी घूमने आते हैं. जिनसे चाय बागान के द्वारा ₹20 प्रति व्यक्ति के हिसाब से टिकट भी लिया जाता है. लेकिन, वह भी ठप पड़ा हुआ है. इस वजह से चाय बागान पर दोहरी मार पड़ी है.

बता दें कि उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड ने भवाली श्यामखेत में चाय बागान की स्थापना 1991 में की गई. जिसके कारण बागान में हर साल करीब 5 हजार किलो जैविक चाय का उत्पादन किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती है. साथ ही, चाय विकास बोर्ड को करीब हर साल 50 लाख का राजस्व मिलता है. वहीं चाय बागान में स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलता है. यहां कि अच्छी मिट्टी और मौसम की वजह से बागान में जैविक चाय का बेहतर उत्पादन होता है. जिसकी खास बात यह है कि, इस चाय को उगाने में किसी रासायन का प्रयोग न करके केवल कंपोस्ट खाद का प्रयोग किया जाता है.

यही कारण है कि चाय में औषधीय गुण पर्याप्त मात्रा में बने रहते है. जिसकी वजह से यहां की चाय देश और विदेशों में भी प्रसिद्ध है, जो एंटी ऑक्सीडेंट युक्त है. इस चाय को ब्लड प्रेशर, शुगर जैसी घातक बीमारियों में रामबाण माना जाता है. यही कारण है कि, उत्तराखंड समेत जापान, कोरिया, इंग्लैंड और इटली समेत कई अन्य देशों में यहां की चाय में भेजी जाती है.

पढ़ें- लॉकडाउन में फंसे हों और मदद चाहिए तो श्रम विभाग के इन नंबरों पर करें कॉल

वहीं इस बार जिला प्रशासन के द्वारा पर्यटकों को ऑर्गेनिक चाय पिलाने के लिए नेचर कैफे भी बनाया गया था. जिसमें स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिला. लेकिन, लॉकडाउन के कारण यह नेचर कैफे पूरी तरह बंद पड़ा है. जिससे स्थानीय युवक बेरोजगार हो गए है. युवाओं की मानें तो उन्हें 8 लाख का कैफे का टेंडर उनके नाम हुआ था. लेकिन, उनके काम शुरू करने के कुछ दिन बाद ही लॉकडाउन लागू हो गया.

नैनीताल: कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन लागू है. जिसकी वजह से नैनीताल के भवाली चाय बागान में पूरी तरह से सन्नाटा पसरा हुआ है. दरअसल, नैनीताल में पर्यटन सीजन शुरू होने का यही समय है. इस समय चाय के बागानों में हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं. लेकिन, लॉकडाउन के कारण चाय भी बगानों में ही पड़ी हुई है. ऐसे में कामगारों और व्यापारियों पर दोहरी मार पड़ी है.

दुनिया में बजता है यहां की चाय का डंका

बता दें कि, देश में कोरोना वायरस के चलते किए गए लॉकडाउन के कारण चाय बागान में सन्नाटा पसरा हुआ है. जिससे चाय बागान से चुगान का काम पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है. जिससे चाय बागान को करीब 50 लाख तक का नुकसान होता दिखाई दे रहा है. इतना ही नहीं इस चाय बागान में पर्यटन सीजन के दौरान करीब एक लाख से अधिक पर्यटक भी घूमने आते हैं. जिनसे चाय बागान के द्वारा ₹20 प्रति व्यक्ति के हिसाब से टिकट भी लिया जाता है. लेकिन, वह भी ठप पड़ा हुआ है. इस वजह से चाय बागान पर दोहरी मार पड़ी है.

बता दें कि उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड ने भवाली श्यामखेत में चाय बागान की स्थापना 1991 में की गई. जिसके कारण बागान में हर साल करीब 5 हजार किलो जैविक चाय का उत्पादन किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती है. साथ ही, चाय विकास बोर्ड को करीब हर साल 50 लाख का राजस्व मिलता है. वहीं चाय बागान में स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलता है. यहां कि अच्छी मिट्टी और मौसम की वजह से बागान में जैविक चाय का बेहतर उत्पादन होता है. जिसकी खास बात यह है कि, इस चाय को उगाने में किसी रासायन का प्रयोग न करके केवल कंपोस्ट खाद का प्रयोग किया जाता है.

यही कारण है कि चाय में औषधीय गुण पर्याप्त मात्रा में बने रहते है. जिसकी वजह से यहां की चाय देश और विदेशों में भी प्रसिद्ध है, जो एंटी ऑक्सीडेंट युक्त है. इस चाय को ब्लड प्रेशर, शुगर जैसी घातक बीमारियों में रामबाण माना जाता है. यही कारण है कि, उत्तराखंड समेत जापान, कोरिया, इंग्लैंड और इटली समेत कई अन्य देशों में यहां की चाय में भेजी जाती है.

पढ़ें- लॉकडाउन में फंसे हों और मदद चाहिए तो श्रम विभाग के इन नंबरों पर करें कॉल

वहीं इस बार जिला प्रशासन के द्वारा पर्यटकों को ऑर्गेनिक चाय पिलाने के लिए नेचर कैफे भी बनाया गया था. जिसमें स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिला. लेकिन, लॉकडाउन के कारण यह नेचर कैफे पूरी तरह बंद पड़ा है. जिससे स्थानीय युवक बेरोजगार हो गए है. युवाओं की मानें तो उन्हें 8 लाख का कैफे का टेंडर उनके नाम हुआ था. लेकिन, उनके काम शुरू करने के कुछ दिन बाद ही लॉकडाउन लागू हो गया.

Last Updated : Apr 19, 2020, 7:58 PM IST
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