नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल के ऐतिहासिक राजभवन ने 124 साल का सफर पूरा कर लिया है. ब्रिटिश शासकों को नैनीताल की खूबसूरत वादियां बेहद पसंद थी. इस वजह से ब्रिटिश शासकों ने नैनीताल को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था.
देश भर में सैकड़ों ब्रिटिश कालीन हेरिटेज भवन हैं, लेकिन इनमें से गिने-चुने भवन ही ऐसे हैं. जिनका जन्मदिन मनाया जाता है. उनमें नैनीताल का राजभवन भी शामिल है. जिसने 124 साल का सफर पूरा कर लिया है. नैनीताल के राजभवन की नींव 27 अप्रैल 1897 को रखी गई थी और मार्च 1900 में राजभवन बनकर पूरी तरह से तैयार हुआ. पश्चिमी गौथिक शैली में बने अंग्रेजी के E आकार के इस राजभवन को तैयार करने में ब्रिटिश गर्वनर सर एंटनी पैट्रिक मैकडोनॉल्ड की विशेष भूमिका रही.
मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल का डिजाइन बनाने वाले चर्चित डिजाइनर फेडरिक विलियम स्टीवन ने ही इस राजभवन का डिजायन भी तैयार किया था. माना जाता है कि इस राजभवन के खड़े होने से इंग्लैंड के बकिंघम पैलेस के सामने खड़े होने का सा अनुभव होता है.
साल 1862 में सर्वप्रथम नॉर्थ वेस्ट प्रॉविंसेस के गवर्नर का प्रवास नैनीताल से शुरू हुआ था. राजभवन बनने के बाद यह जगह भारतीय राजनेताओं की भी पसंदीदा जगह में शुमार हो गया है. ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने देश की राजधानी दिल्ली और ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला को चुना. वहीं, अवध की राजधानी के लिए लखनऊ और ग्रीष्मकालीन राजधानी नैनीताल को चुना. जिसके बाद सर्वप्रथम नैनीताल में पहला राजभवन साल 1862 में रैमजे अस्पताल परिसर में स्थापित किया गया. इसके बाद साल 1865 में यह राजभवन माल्डन हाउस में स्थापित किया गया.
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इसी बीच एक बार फिर से 1875 में राजभवन को नैनीताल के स्नोव्यू क्षेत्र में स्थापित किया गया है. जिसके बाद इस क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को देखते हुए 27 अप्रैल 1897 को राजभवन शेरवुड हाउस के पास स्थायी रूप से बना दिया गया. ब्रिटिश शासकों द्वारा नैनीताल के राजभवन को करीब 160 एकड़ के घने जंगल में स्थापित किया गया, जिसके बाद हर साल ब्रिटिश शासक ग्रीष्मकाल के दौरान नैनीताल आते थे.
ब्रिटिश शासक इस जगह को देख कर इतने आकर्षित हुए कि उन्होंने 1925 में राजभवन क्षेत्र के घने जंगल की करीब 75 एकड़ भूमि पर एशिया का सबसे ऊंचा और देश का सबसे बेहतरीन गोल्फ कोर्स बनाया, जिसमें ब्रिटिश गोल्फ खेला करते थे. इस ऐतिहासिक भवन में लंबे समय तक स्थानीय और पर्यटकों के प्रवेश पर प्रतिबंध था. लेकिन 1994 में इस राजभवन को स्थानीय लोगों के साथ-साथ यहां आने वाले पर्यटकों के दीदार के लिए खोल दिया गया.
हर साल अब लाखों की संख्या में देशी-विदेशी व स्थानीय पर्यटक यहां पहुंचते हैं. वहीं, इस शानदार गोल्फ कोर्स में गवर्नर गोल्ड गोल्फ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, जिसमें देशभर के जाने-माने खिलाड़ी और स्थानीय स्कूल के बच्चे भी प्रतिभाग करते हैं.