नैनीतालः उत्तराखंड में बंदरों और कुत्तों के बढ़ते आतंक से निजात दिलाने से जुड़ी जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सुनवाई की. मामले में मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने नैनीताल नगर पालिका ईओ की ओर से पूर्व के आदेश का पालन न करने पर नाराजगी जताई. कोर्ट ने अवमानना का दोषी मानते हुए ईओ को नोटिस जारी किया है. साथ ही 3 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने को कहा है.
तत्कालीन डीएम और ईओ को जारी हो चुका अवमानना नोटिसः बता दें कि इससे पहले नैनीताल हाईकोर्ट कोर्ट ने तत्कालीन जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल और ईओ आलोक उनियाल को अवमानना का नोटिस जारी किया था. आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि ईओ और जिला प्रशासन की ओर से पूर्व में दिए गए आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है.
इनकी ओर से नैनीताल में आवारा कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी की गयी, लेकिन फिर उन्हें छोड़ दिया जा रहा है. जबकि, कोर्ट ने पूर्व में आदेश दिया था कि इनके लिए स्थायी सेल्टर बनाया जाए. इन्हें छोड़ा न जाए. उस आदेश पर जिलाधिकारी और ईओ की ओर से बिरला स्कूल के पास 2200 वर्ग मीटर जगह अलॉट कर दी गई, लेकिन अभी तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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नैनीताल निवासी गिरीश चंद्र खोलिया ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि समूचे उत्तराखंड के साथ ही नैनीताल शहर में कुत्तों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है. बंदर भी लगातार हमले कर रहे हैं. अभी तक नैनीताल में सैकड़ों लोग आवारा कुत्तों के हमले में घायल हो चुके हैं.
याचिकाकर्ता का कहना था कि पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में आवारा कुत्ते 40 हजार से ज्यादा लोगों को काट चुके हैं. कुछ समय पहले कुत्तों की नसबंदी भी की गई, लेकिन इसके बावजूद आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से बंदरों और कुत्तों की बढ़ती संख्या पर रोक लगाने की गुहार लगाई है.