नैनीताल: हाईकोर्ट के आदेश का पालन न करना उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव समेत सभी सीएमओ को महंगा पड़ गया है. नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव समेत 13 सीएमओ को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
बीते वर्ष 2019 में उत्तराखंड में तेजी से फैल रहे डेंगू के मामले को लेकर यूथ बार एसोसिएशन ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि हल्द्वानी समेत पूरे प्रदेश के अस्पतालों में डेंगू से लड़ने के लिए उचित स्वास्थ्य व्यवस्थाएं नहीं हैं, जिस वजह से कई लोगों को अकाल मौत के मुंह में जाना पड़ रहा है. इसके साथ ही आए दिन अस्पतालों में मरीजों और अस्पताल कर्मचारियों के बीच विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है. प्रदेश के अस्पतालों में डेंगू के उपचार के लिए पर्याप्त मेडिकल सुविधा व स्टाफ नहीं है. याचिका में सरकारी अस्पतालों में जल्द से जल्द स्टाफ की नियुक्ति करने और डेंगू से निपटने के लिए बेहतर मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करवाए जाने की मांग की गई थी.
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मामले में सुनवाई करते हुए बीते वर्ष नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने उत्तराखंड के सभी अस्पतालों में डॉक्टरों की नियुक्ति, मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति समेत बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाने के आदेश दिए थे. लेकिन 1 साल बीत जाने के बावजूद भी राज्य सरकार के द्वारा प्रदेश के अस्पतालों में डॉक्टरों-कर्मचारियों की नियुक्ति और आधुनिक मशीनें न लगाने को लेकर यूथ बार एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की.
इस याचिका पर आज सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा की एकल पीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव समेत उत्तराखंड के सभी 13 सीएमओ को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.