नैनीताल: प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग मामले में नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई टल गई है. अब मामले में 2 मार्च को हाईकोर्ट में अगली सुनवाई होनी है. मंगलवार को सुनवाई के दौरान नैनीताल हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने सीबीआई को निर्देश दिए हैं कि हरीश रावत के खिलाफ चार्टशीट दायर करने से पहले उनको कोर्ट से अनुमति लेनी होगी. वहीं, कोर्ट ने हरीश रावत को आदेश दिए हैं कि वह सीबीआई को जांच में सहयोग करें. तबतक के लिए हरीश रावत के खिलाफ चल रही सीबीआई जांच जारी रहेगी.
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बता दें कि साल 2016 में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया था. जिसके बाद से उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार गिरी और राष्ट्रपति शासन लागू किया गया. वहीं, सरकार जाने के बाद राज्यपाल की संस्तुति से 31 मार्च 2016 को हरीश रावत पर सीबीआई जांच शुरू हुई. सीबीआई हरीश रावत की गिरफ्तारी की तैयारी कर रहा था, लेकिन इसी बीच हरीश रावत ने स्टिंग को फर्जी बताते हुए नैनीताल हाईकोर्ट की शरण लेते हुए अपनी गिरफ्तारी पर रोक और सीबीआई जांच को खत्म करने की मांग की थी.
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पूर्व में मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने हरीश रावत को सीबीआई जांच में सहयोग करने के आदेश दिए थे. साथ ही सीबीआई को निर्देश दिए थे कि वह हरीश रावत की गिरफ्तारी न करें. साथ ही सीबीआई को आदेश दिए थे कि अगर हरीश रावत की गिरफ्तारी करने की जरूरत पड़ेगी तो सीबीआई गिरफ्तारी से पहले हाईकोर्ट की एकल पीठ को अवगत कराएंगे. जिसके बाद से सीबीआई मामले की जांच कर रही है.
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दरअसल, उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटने के बाद एक बार फिर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और सरकार ने 15 जून 2016 की कैबिनेट बैठक में हरीश रावत पर चल रही सीबीआई जांच को हटाकर जांच एसआईटी से करने का फैसला लिया था. जिसको हरक सिंह रावत ने नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि अगर राज्यपाल किसी मामले में एक बार सीबीआई जांच की संस्तुति दे देते हैं, तो उसे हटाया नहीं जा सकता है. वहीं, राज्य सरकार द्वारा 15 जून को हुई बैठक में हरीश रावत पर चल रही सीबीआई जांच को हटाने की संस्तुति कर दी गई है, जो नियम के विरुद्ध है.