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समलैंगिक विवाह का मामला पहुंचा HC, कोर्ट ने खारिज की याचिका - देहरादून की युवती की याचिका कोर्ट

दो लड़कियों द्वारा आपस में विवाह करने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. देहरादून की युवती की याचिका कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता अपनी समलैंगिक दोस्त के साथ बिना किसी आपत्ति के रह सकती है.

Nainital High Court
समलैंगिक विवाह का मामला पहुंचा HC
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Published : Jun 23, 2020, 5:15 PM IST

देहरादून: दो लड़कियों द्वारा समलैंगिक विवाह का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. देहरादून की युवती ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उसका अपनी महिला मित्र के साथ प्रेम-प्रसंग चल रहा है. दोनों शादी करना चाहते हैं, लेकिन परिजनों द्वारा उसकी दोस्त को बंधक बना लिया गया है. मिलने पर रोक लगा रहे हैं. ऐसे में हमें अपने परिजनों से खतरा महसूस हो रहा है.

समलैंगिक विवाह का मामला पहुंचा HC

मामले में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सभी लोगों को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार है. ऐसे में लोग माता-पिता और समाज के दबाव के बिना एक साथ रह सकते हैं. भारत में समलैंगिक रिश्ते किसी अपराध की श्रेणी में नहीं आते हैं. संविधान के अनुच्छेद-14 के तहत समलैंगिक व्यक्तियों को एक साथ रहने का अधिकार दिया गया है.

ये भी पढ़ें: बॉर्डर पर सेना के 'तीसरी आंख' हैं चरवाहे, जानिए कैसे परेशान करते हैं चीनी सैनिक

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भले ही याचिकाकर्ता शादी करने में सक्षम नहीं हैं. फिर भी उनको अधिकार है कि वे बगैर शादी के एक साथ रह सकते हैं. क्योंकि कानून ने लिव इन रिलेशन को मान्यता दी है. इसमें सामाजिक रीति-रिवाजों को शामिल नहीं किया गया है. लिहाजा याचिकाकर्ता अपनी समलैंगिक दोस्त के साथ बिना किसी आपत्ति के रह सकती हैं.

कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यदि याचिकाकर्ता को जरूरत पड़ी तो वे पुलिस से सुरक्षा की मांग कर सकती हैं. याचिकाकर्ता की महिला मित्र ने कोर्ट को दिए बयान में अपनी दोस्त के साथ रहने की जगह, अपने परिवार के साथ रहने की बात कही थी. इसके आधार पर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है.

देहरादून: दो लड़कियों द्वारा समलैंगिक विवाह का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. देहरादून की युवती ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उसका अपनी महिला मित्र के साथ प्रेम-प्रसंग चल रहा है. दोनों शादी करना चाहते हैं, लेकिन परिजनों द्वारा उसकी दोस्त को बंधक बना लिया गया है. मिलने पर रोक लगा रहे हैं. ऐसे में हमें अपने परिजनों से खतरा महसूस हो रहा है.

समलैंगिक विवाह का मामला पहुंचा HC

मामले में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सभी लोगों को अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार है. ऐसे में लोग माता-पिता और समाज के दबाव के बिना एक साथ रह सकते हैं. भारत में समलैंगिक रिश्ते किसी अपराध की श्रेणी में नहीं आते हैं. संविधान के अनुच्छेद-14 के तहत समलैंगिक व्यक्तियों को एक साथ रहने का अधिकार दिया गया है.

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सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भले ही याचिकाकर्ता शादी करने में सक्षम नहीं हैं. फिर भी उनको अधिकार है कि वे बगैर शादी के एक साथ रह सकते हैं. क्योंकि कानून ने लिव इन रिलेशन को मान्यता दी है. इसमें सामाजिक रीति-रिवाजों को शामिल नहीं किया गया है. लिहाजा याचिकाकर्ता अपनी समलैंगिक दोस्त के साथ बिना किसी आपत्ति के रह सकती हैं.

कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यदि याचिकाकर्ता को जरूरत पड़ी तो वे पुलिस से सुरक्षा की मांग कर सकती हैं. याचिकाकर्ता की महिला मित्र ने कोर्ट को दिए बयान में अपनी दोस्त के साथ रहने की जगह, अपने परिवार के साथ रहने की बात कही थी. इसके आधार पर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है.

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