नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने साल 2009 के पत्नी के हत्या करने के मामले में सुनवाई करते हुए निचली अदालत के आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है. कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को सही पाते हुए अभियुक्त की अपील को निरस्त कर दिया है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.
क्या था मामला: बनखंडी ऋषिकेश निवासी महेश शर्मा ने 19 मई 2009 को थाना लक्ष्मण झूला में एफआईआर दर्ज कराई थी कि, उनकी भतीजी नीतू शर्मा अपने पति सुबोध शर्मा के साथ नीलकंठ के लिए घर से एक साथ चले थे, लेकिन शाम को वो घर वापस नहीं आई. जब उसके पति से नीतू के बारे में पूछा गया तो उसने नीतू के गुम हो जाने की बात कही. काफी तलाश के बाद भी नीतू नहीं मिली. दूसरे दिन पुलिस ने नीतू के शव को ग्राम जोंक से बरामद किया. जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो सुबोध ने अपना जुर्म कबूल लिया.
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कैसे कबूला जुर्म: मृतका का चाचा महेश शर्मा ने निचली अदालत में दर्ज बयान में बताया था कि, नीतू की शादी 11 साल पहले बिजनौर निवासी सुबोध शर्मा के साथ हुई थी. शादी के दो साल बाद से ही सुबोध शर्मा अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ अपने ससुराल बनखंडी ऋषिकेश में ही रह रहा था. ससुराल में उसकी सास व साली भी रहती थी. शादी के बाद सुबोध अकसर नीतू के साथ मारपीट करता रहता था.
18 मई 2009 को वो नीतू को घुमाने के बहाने से नीलकंठ ले गया और फिर वहां वो घर नहीं लौटी. जब इसके बारे में सुबोध से पूछा गया तो वो अपने बयान बदलता रहा. कभी कहता था नीतू कहीं गुम हो गई है तो कभी कहता था नीतू गाड़ी से कहीं और चली गई है. जब पुलिस ने सख्ती से पूछताथ तो उसने कबूला कि उसने नीतू की गला दबाकर हत्या कर दी है और उसके शव को ग्राम जोंक के पास खड्डे में डाल दिया है. उसकी निशानदेही पर पुलिस ने 20 मई 2009 को नीतू का शव बरामद किया.
पुलिस ट्रायल के दौरान इस मामले में 13 गवाह पेश हुए. 4 जुलाई 2014 को विवेक शर्मा सत्र न्यायाधीश पौड़ी गढ़वाल की कोर्ट ने अभियुक्त सुबोध शर्मा को आईपीसी की धारा 302 में आजीवन कारावास और 25 हजार का जुर्माना, धारा 201 में तीन साल की सश्रम कारावास और 10 हजार का जुर्माना लगाया था.
इस आदेश के खिलाफ दोषी सुबोध शर्मा ने हाईकोर्ट में 17 जुलाई 2014 को अपील की थी. कोर्ट ने इस मामले में 3 अगस्त 2021 को सुनवाई पूरी कर ली थी, जिसमें आज यह फैसला दिया गया.