नैनीताल: वित्तीय लेनदेन डिजिटल माध्यम से करने में हुई अनियमितता मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए मुख्य सचिव को अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं. आज भी मुख्य सचिव द्वारा जवाब कोर्ट में पेश किया गया, जिससे कोर्ट संतुष्ट नहीं दिखा और मुख्य सचिव को एक बार पुनः अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिया है.
देहरादून निवासी आरटीआई कार्यकर्ता सीमा भट्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय लेन देन को कैशलेस बनाने के लिए डिजिटल योजना तैयार की गई थी. केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्य सरकार में भी डिजिटल लेनदेन एनआईसी (NIC) के माध्यम से शुरू किया गया. लेकिन कुछ समय बाद राज्य सरकार द्वारा इस कार्य के लिए प्राइवेट कंपनियों को टेंडर आमंत्रित किए गए. ताकि डिजिटल लेनदेन का कार्य आसानी से किया जा सके. लेकिन डिजिटल लेनदेन का टेंडर जिस कंपनी को दिया गया वह कंपनी ब्लैक लिस्ट हो गई, जिसके बाद सरकार द्वारा पुनः टेंडर आमंत्रित करने के बजाए एक दूसरी कंपनी को वित्तीय लेनदेन का टेंडर दे दिया गया.
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याचिकाकर्ता सीमा भट्ट का कहना है कि सरकार द्वारा जिस कंपनी को वित्तीय लेनदेन का काम दिया गया है. उस कंपनी को इंटीग्रेशन मॉनिटरिंग, वित्तीय लेनदेन करने का कोई ज्ञान नहीं है. जिस वजह से कंपनी के द्वारा लगातार अनियमितता की जा रही है.
याचिकाकर्ता ने बताया कि कंपनी को एक व्यक्ति को 14 हजार का भुगतान करना था और कंपनी ने उस व्यक्ति को 1 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया. इतना ही नहीं कई कर्मचारियों को तीन-तीन महीने की अतिरिक्त वेतन भी दे दिया और कई लोगों को वेतन तक नहीं मिला, लिहाजा कंपनी का टेंडर निरस्त करने की कार्रवाई की जाए.