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कॉर्बेट पार्क में अवैध निर्माण पर HC सख्त, राज्य और केंद्र सरकार से मांगा जवाब - nainital high court strict on illegal construction

नैनीताल हाईकोर्ट ने कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण के मामले में सख्त रुख अपनाया है. साथ ही राज्य और केंद्र सरकार को 8 नवंबर तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

nainital high court
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Published : Oct 27, 2021, 3:39 PM IST

नैनीतालः कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध रूप से किए जा रहे निर्माण कार्यों के मामले का नैनीताल हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. साथ ही हाईकोर्ट ने मामले में सख्त रुख अपनाते हुए ने राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी बताने को कहा है कि पार्क के कौन-कौन सी जगहों पर अवैध निर्माण किया गया है. वहीं, कोर्ट ने 8 नवंबर तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

गौर हो कि दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें बताया गया था कि कॉर्बेट नेशनल पार्क के मोरघट्टी और पोखरो फारेस्ट रेस्ट हाउस (एफआरएच) के आस पास अवैध निर्माण किए जा रहे हैं. जिन्हें हटाया जाए. जिससे निर्माण कार्य बंद कर बाघों और अन्य जंगली जानवरों को बचाया जा सके. इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने एनटीसीए को निर्देश दिए थे कि वे याचिकाकर्ता के प्रत्यावेदन को निस्तारित करें.

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एनटीसीए ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए अवैध निर्माणों कार्यों की जांच हेतु एक कमेटी गठित की. बीते 24 अक्टूबर को इस कमेटी ने कॉर्बेट पार्क का दौरा किया. कमेटी ने जांच में पाया कि नेशनल पार्क के मोरघट्टी और एफआरएच परिसर के कई क्षेत्रों में अवैध निर्माण कार्य चल रहे हैं. जिनमें होटल, भवन, पुल और रोड आदि शामिल हैं. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन को निर्देश दिए कि इन क्षेत्रों से जल्द अवैध निर्माणों को हटाया जाए. जिन अधिकारियों की अनुमति से ये निर्माण कार्य किए गए हैं. उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.

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कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख भी किया है कि वन विभाग के अधिकारियों ने वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972, इंडियन फारेस्ट एक्ट 1927 और फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 का उल्लंघन किया गया है. एनटीसीए ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख भी किया है कि उन्होंने इससे 12 अगस्त 2021 को चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन को पत्र भेजकर कहा था कि इस मामले की जांच करें, लेकिन उनके इस पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. कोई कार्रवाई नहीं होने पर एनटीसीए ने जांच हेतु 24 अक्टूबर को एक कमेटी यहां भेजी.

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कोर्ट ने पेपर में छपी खबर का स्वतः संज्ञान लेकर केंद्र सरकार, मुख्य सचिव उत्तराखंड, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, उत्तराखंड वाइल्ड लाइफ एडवाजरी बोर्ड, पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ वॉर्डन और संबंधित क्षेत्र के डीएफओ को पक्षकार बनाया है. मामले की सुनवाई आज मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ में हुई.

नैनीतालः कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध रूप से किए जा रहे निर्माण कार्यों के मामले का नैनीताल हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. साथ ही हाईकोर्ट ने मामले में सख्त रुख अपनाते हुए ने राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी बताने को कहा है कि पार्क के कौन-कौन सी जगहों पर अवैध निर्माण किया गया है. वहीं, कोर्ट ने 8 नवंबर तक जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

गौर हो कि दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जिसमें बताया गया था कि कॉर्बेट नेशनल पार्क के मोरघट्टी और पोखरो फारेस्ट रेस्ट हाउस (एफआरएच) के आस पास अवैध निर्माण किए जा रहे हैं. जिन्हें हटाया जाए. जिससे निर्माण कार्य बंद कर बाघों और अन्य जंगली जानवरों को बचाया जा सके. इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने एनटीसीए को निर्देश दिए थे कि वे याचिकाकर्ता के प्रत्यावेदन को निस्तारित करें.

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एनटीसीए ने कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए अवैध निर्माणों कार्यों की जांच हेतु एक कमेटी गठित की. बीते 24 अक्टूबर को इस कमेटी ने कॉर्बेट पार्क का दौरा किया. कमेटी ने जांच में पाया कि नेशनल पार्क के मोरघट्टी और एफआरएच परिसर के कई क्षेत्रों में अवैध निर्माण कार्य चल रहे हैं. जिनमें होटल, भवन, पुल और रोड आदि शामिल हैं. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन को निर्देश दिए कि इन क्षेत्रों से जल्द अवैध निर्माणों को हटाया जाए. जिन अधिकारियों की अनुमति से ये निर्माण कार्य किए गए हैं. उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.

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कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख भी किया है कि वन विभाग के अधिकारियों ने वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972, इंडियन फारेस्ट एक्ट 1927 और फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 का उल्लंघन किया गया है. एनटीसीए ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख भी किया है कि उन्होंने इससे 12 अगस्त 2021 को चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन को पत्र भेजकर कहा था कि इस मामले की जांच करें, लेकिन उनके इस पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. कोई कार्रवाई नहीं होने पर एनटीसीए ने जांच हेतु 24 अक्टूबर को एक कमेटी यहां भेजी.

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कोर्ट ने पेपर में छपी खबर का स्वतः संज्ञान लेकर केंद्र सरकार, मुख्य सचिव उत्तराखंड, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, उत्तराखंड वाइल्ड लाइफ एडवाजरी बोर्ड, पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ वॉर्डन और संबंधित क्षेत्र के डीएफओ को पक्षकार बनाया है. मामले की सुनवाई आज मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ में हुई.

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