नैनीतालः ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद की ओर से बीरपुर खुर्द, वीरभद्र, गंगा नदी के किनारे 8 हेक्टेयर क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण करने के मामले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. मामले में कोर्ट ने पौड़ी डीएम से अतिक्रमण मामले की जांच कर 2 हफ्ते के भीतर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. वहीं, कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी इस मामले में जवाब पेश करने को कहा है.
बता दें कि हरिद्वार निवासी अर्चना शुक्ला ने नैनीताल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि चिदानंद मुनि ने साल 2000 से 2019 तक ऋषिकेश के बीरपुर खुर्द, वीरभद्र क्षेत्र में गंगा किनारे करीब 8 हेक्टेयर रिजर्व वन क्षेत्र की भूमि पर अवैध कब्जा किया है. साथ ही इस क्षेत्र में अवैध रूप से 52 कमरों का निर्माण के साथ गौशाला भी बनाई गई है.
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वहीं, स्वामी चिदानंद इस क्षेत्र में गांव गंगा गोकुल के नाम पर आश्रम चला रहे हैं. जिस पर जिला प्रशासन, राजस्व विभाग और वन विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि स्वामी चिदानंद के राजनीतिक पहुंच और डर की वजह से कोई भी व्यक्ति आवाज उठाने को तैयार नहीं है. जिस वजह से चिदानंद अन्य क्षेत्रों में भी अवैध रूप से अतिक्रमण कर रहे हैं.
याचिकाकर्ता का कहना है कि रिजर्व फॉरेस्ट में अतिक्रमण होने के बावजूद भी वन विभाग, राजस्व विभाग और पशुलोक विभाग मामले पर अनदेखी कर रहे हैं. वहीं, चिदानंद के द्वारा किए गए अतिक्रमण मामले में एसडीएम और अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग पौड़ी ने भी माना है कि क्षेत्र में अतिक्रमण हुआ है.
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साथ ही कहा कि मामले में पहले भी अतिक्रमणकारियों को नोटिस भी दिए जा चुके हैं. याचिकाकर्ता का कहना है कि अधिकारी दबाव की वजह से कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, क्योंकि इस आश्रम में नेता, अभिनेता समेत प्रदेश के बड़े अधिकारी आते-जाते रहते हैं.
वहीं, नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने डीएम पौड़ी को अतिक्रमण की जांच कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. जबकि, मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी.
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कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति सरकारी भूमि पर झोपड़ी भी बनाता है तो उसे तोड़ दिया जाता है, लेकिन इतने बड़े स्तर के अतिक्रमण पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई?