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MKP कॉलेज में 45 लाख के गबन का मामला, HC ने उच्च शिक्षा सचिव को भेजा अवमानना नोटिस

एमकेपी कॉलेज देहरादून (MKP College Dehradun) में 45 लाख रुपए के गबन के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) ने उच्च शिक्षा सचिव आनंद वर्धन (Higher Education Secretary Anand Vardhan) को अवमानना नोटिस (contempt notice) भेजा है.

नैनीताल हाई कोर्ट
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Published : Jun 10, 2021, 7:44 PM IST

नैनीताल: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करना उत्तराखंड के उच्च शिक्षा सचिव आनंद वर्धन को महंगा पड़ा गया है. हाईकोर्ट (Nainital High Court) के न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने उच्च शिक्षा सचिव आनंद वर्धन (Higher Education Secretary Anand Vardhan) को अवमानना नोटिस (contempt notice) जारी किया है. इस मामले में उच्च शिक्षा सचिव को 2 सप्ताह के भीतर अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि एमकेपी कॉलेज देहरादून (MKP College Dehradun) की पूर्व छात्रा सोनिया बेनीवाल ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उनसे कॉलेज प्रबंधन पर 45 लाख रुपए के गबन और घोटाले (Rs 45 lakh scam) का आरोप लगाया था. छात्रा का कहना था कि यूजीसी कि एमकेपी कॉलेज में छात्राओं की शिक्षा में सहूलियत के लिए 45 लाख रुपए की ग्रांट जारी की थी, लेकिन कॉलेज ने इसका इस्तेमाल किसी भी बुनियादी सुविधा के लिए नहीं किया, बल्कि इस पैसे का इस्तेमाल कॉलेज के प्राचार्य ने व्यक्तिगत फायदे के लिए किया.

पढ़ें- महेंद्र भाटी हत्याकांड: आरोपी करण यादव को मिली अंतरिम जमानत

याचिकाकर्ता ने बताया था कि कॉलेज में सभी उपकरण बिना टेंडर के मंगाए गए थे, जिनका कोई भी बिल पेश नहीं किया गया. राज्य सरकार के ऑडिट में भी गड़बड़ झाले की बात स्पष्ट हुई है. वहीं कॉलेज में हुए 45 लाख के घोटाले (Dehradun MKP College scam case) की पुष्टि सीएजी की रिपोर्ट में भी हुई है, जबकि इस घोटाले को लेकर 2016-17 में देहरादून के थाने में एफआईआरदर्ज की गई थी, लेकिन इस मामले में अब तक कोई कार्रवाही नहीं की गई.

इसके बाद जनवरी 2019 में शासन की स्थलीय निरीक्षण के दौरान भी 7 लाख 68 हजार का सामान कॉलेज से गायब मिला, जिसके कारण यूजीसी ने कॉलेज को दी जाने वाली पंचवर्षीय ग्रांड पर रोक लगा दी, जिससे कॉलेज की स्थिति बदहाल हो रही है. लिहाजा घोटाले के पूरे मामले की उच्च स्तरीय या एसआईटी जांच कराई जाए. पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने गबन के मामले पर राज्य सरकार, यूजीसी, कॉलेज के तत्कालीन निदेशक समेत कॉलेज के प्राचार्य को नोटिस जारी किया था.

पढ़ें- सहस्त्रधारा क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण पर हाईकोर्ट सख्त, 2 हफ्ते में मांगा जवाब

इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि तत्काल मामले में उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही याचिका को मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने निस्तारित कर दिया. हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद एमकेपी के सचिव जितेंद्र नेगी ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी और अब तक घोटाले में शामिल लोगों पर कार्रवाई न होने के बाद याचिकाकर्ता के द्वारा हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकल पीठ ने प्रदेश के अपर शिक्षा सचिव के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया है.

नैनीताल: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करना उत्तराखंड के उच्च शिक्षा सचिव आनंद वर्धन को महंगा पड़ा गया है. हाईकोर्ट (Nainital High Court) के न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने उच्च शिक्षा सचिव आनंद वर्धन (Higher Education Secretary Anand Vardhan) को अवमानना नोटिस (contempt notice) जारी किया है. इस मामले में उच्च शिक्षा सचिव को 2 सप्ताह के भीतर अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

बता दें कि एमकेपी कॉलेज देहरादून (MKP College Dehradun) की पूर्व छात्रा सोनिया बेनीवाल ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें उनसे कॉलेज प्रबंधन पर 45 लाख रुपए के गबन और घोटाले (Rs 45 lakh scam) का आरोप लगाया था. छात्रा का कहना था कि यूजीसी कि एमकेपी कॉलेज में छात्राओं की शिक्षा में सहूलियत के लिए 45 लाख रुपए की ग्रांट जारी की थी, लेकिन कॉलेज ने इसका इस्तेमाल किसी भी बुनियादी सुविधा के लिए नहीं किया, बल्कि इस पैसे का इस्तेमाल कॉलेज के प्राचार्य ने व्यक्तिगत फायदे के लिए किया.

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याचिकाकर्ता ने बताया था कि कॉलेज में सभी उपकरण बिना टेंडर के मंगाए गए थे, जिनका कोई भी बिल पेश नहीं किया गया. राज्य सरकार के ऑडिट में भी गड़बड़ झाले की बात स्पष्ट हुई है. वहीं कॉलेज में हुए 45 लाख के घोटाले (Dehradun MKP College scam case) की पुष्टि सीएजी की रिपोर्ट में भी हुई है, जबकि इस घोटाले को लेकर 2016-17 में देहरादून के थाने में एफआईआरदर्ज की गई थी, लेकिन इस मामले में अब तक कोई कार्रवाही नहीं की गई.

इसके बाद जनवरी 2019 में शासन की स्थलीय निरीक्षण के दौरान भी 7 लाख 68 हजार का सामान कॉलेज से गायब मिला, जिसके कारण यूजीसी ने कॉलेज को दी जाने वाली पंचवर्षीय ग्रांड पर रोक लगा दी, जिससे कॉलेज की स्थिति बदहाल हो रही है. लिहाजा घोटाले के पूरे मामले की उच्च स्तरीय या एसआईटी जांच कराई जाए. पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने गबन के मामले पर राज्य सरकार, यूजीसी, कॉलेज के तत्कालीन निदेशक समेत कॉलेज के प्राचार्य को नोटिस जारी किया था.

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इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि तत्काल मामले में उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही याचिका को मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने निस्तारित कर दिया. हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद एमकेपी के सचिव जितेंद्र नेगी ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिका खारिज कर दी और अब तक घोटाले में शामिल लोगों पर कार्रवाई न होने के बाद याचिकाकर्ता के द्वारा हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की एकल पीठ ने प्रदेश के अपर शिक्षा सचिव के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया है.

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