नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रामगढ़ ब्लॉक के सतोली गांव में बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिये पानी की बोरिंग किये जाने के खिलाफ ग्रामीणों की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई की. मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार समेत बोरिंगकर्ता को नोटिस जारी किया है. साथ ही नैनीताल जिलाधिकारी को चार हफ्ते के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं, साथ ही जिलाधिकारी से अवैध बोरिंग के खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी मांगी है.
सतोली के ग्रामीणों के अनुसार भवाली निवासी विपिन पंत ने सतोली में अपने आवासीय क्षेत्र के लिये प्रशासन से अनुमति मांगी, जबकि विपिन पंत का गांव में मकान नहीं है और बोरिंग का पानी ऊपर एक बिल्डर की कॉटेज में पहुंचाया जा रहा है, जबकि पूरे क्षेत्र में पहले से ही स्वजल की लाइन उपलब्ध है.
ग्रामीणों के मुताबिक विपिन पंत को साल 2011 में बोरिंग की अनुमति दी गई थी, तब उसने बोरिंग नहीं की. इधर, उसने 10 साल पहले मिली अनुमति के आधार पर पुनः एनओसी मांगी, जिस पर नैनीताल तहसील ने पुरानी अनुमति को देखते हुए नए सिरे से अनुमति देने की आवश्यकता नहीं समझी और पुरानी अनुमति के आधार पर ही बोरिंग करने को कह दिया, जबकि इस मामले में केंद्रीय भूजल प्राधिकरण की अनुमति लेनी जरूरी थी.
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याचिका की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति आर एस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ ने की. कोर्ट ने राज्य व केंद्र सरकार सहित बोरिंगकर्ता, बिल्डर को नोटिस जारी किया है, जबकि जिलाधिकारी नैनीताल से रिपोर्ट तलब की है. याचिका की सुनवाई 22 दिसम्बर को होगी.