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हरिद्वार पुस्तकालय घोटाला: HC ने सरकार से मांगा पूरा रिकॉर्ड, जवाब न मिलने पर होगी CBI जांच

नैनीताल हाईकोर्ट ने बहुचर्चित पुस्तकालय घोटाले में सरकार को टेंडर प्रक्रिया से लेकर अब तक का पूरा रिकार्ड पेश करने के आदेश दिए हैं. साथ ही आगामी 10 नवंबर तक जवाब न मिलने पर मामले में CBI जांच करने को कहा है.

नैनीताल हाईकोर्ट
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Published : Sep 29, 2021, 4:53 PM IST

Updated : Sep 29, 2021, 5:06 PM IST

नैनीतालः बहुचर्चित पुस्तकालय घोटाले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने मामले में सरकार को टेंडर प्रक्रिया से लेकर अब तक का पूरा रिकार्ड आगामी 10 नवंबर तक पेश करने के आदेश दिए हैं. इतना ही नहीं कोर्ट ने दो टूक कहा है कि अगर राज्य सरकार रिकॉर्ड नहीं उपलब्ध कराती है तो मामले की जांच सीबीआई से कराई जाएगी.

दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट ने साल 2010 में हरिद्वार में हुए पुस्तकालय घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता शिव भट्ट ने कोर्ट को बताया कि 12 पुस्तकालय में से 10 पुस्तकालय जो बनाए गए हैं, वे मंदिरों और मदन कौशिक के वर्करों के घरों में बनाए गए हैं. जो अभी चालू हालत में नहीं हैं. इनमें से 5 पुस्तकालय पर कब्जा नहीं लिया जा सकता. क्योंकि, वे घरों में बने हैं. जिसका संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने सारा रिकॉर्ड तलब किया. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

ये भी पढ़ेंः हरिद्वार के 16 पुस्तकालयों के घोटाले की पड़ताल, ढूंढ़ने से भी नहीं मिली डेढ़ करोड़ की लाइब्रेरी

गौर हो कि देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि साल 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक की ओर से विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया गया था. पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक की फाइनल पेमेंट कर दी गई, लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया. इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया गया.

ये भी पढ़ेंः कांग्रेस और आप ने कहा- बर्खास्त हों मदन कौशिक, भ्रष्टाचार के आरोपों की हो CBI जांच

वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दिया गया. जबकि, विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट की गई. जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है. लिहाजा, पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए. बहरहाल, कोर्ट ने सरकार को 10 नवंबर तक का समय दिया है.

नैनीतालः बहुचर्चित पुस्तकालय घोटाले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने मामले में सरकार को टेंडर प्रक्रिया से लेकर अब तक का पूरा रिकार्ड आगामी 10 नवंबर तक पेश करने के आदेश दिए हैं. इतना ही नहीं कोर्ट ने दो टूक कहा है कि अगर राज्य सरकार रिकॉर्ड नहीं उपलब्ध कराती है तो मामले की जांच सीबीआई से कराई जाएगी.

दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट ने साल 2010 में हरिद्वार में हुए पुस्तकालय घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता शिव भट्ट ने कोर्ट को बताया कि 12 पुस्तकालय में से 10 पुस्तकालय जो बनाए गए हैं, वे मंदिरों और मदन कौशिक के वर्करों के घरों में बनाए गए हैं. जो अभी चालू हालत में नहीं हैं. इनमें से 5 पुस्तकालय पर कब्जा नहीं लिया जा सकता. क्योंकि, वे घरों में बने हैं. जिसका संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने सारा रिकॉर्ड तलब किया. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

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गौर हो कि देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जिसमें उन्होंने कहा है कि साल 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक की ओर से विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया गया था. पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक की फाइनल पेमेंट कर दी गई, लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया. इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया गया.

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वहीं, याचिकाकर्ता का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दिया गया. जबकि, विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट की गई. जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है. लिहाजा, पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए. बहरहाल, कोर्ट ने सरकार को 10 नवंबर तक का समय दिया है.

Last Updated : Sep 29, 2021, 5:06 PM IST
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