नैनीतालः औली में हुई शाही शादी के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और डीएम चमोली को 10 दिन के भीतर दोबारा जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.
आज मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने औली में हुए प्रदूषण के मामले की जांच कराने के लिए आज एफआरआई, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (निम), वाडिया इंस्टिट्यूट और ज्युलोजिकल सर्वे आफ इण्डिया को पक्षकार बनाया है.
आज सुनवाई के दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अपनी रिपोर्ट पेश की और प्रदूषण बोर्ड के मेंबर सेकेट्री कोर्ट में पेश हुए. कोर्ट ने प्रदूषण बोर्ड द्वारा दायर शपथ पत्र पेश किया, जिससे संतुष्ट न होकर कोर्ट उनसे दोबारा विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है. बोर्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि शादी होने से पहले और उसके बाद औली में दो सौ मजदूर वहां थे, जिनके लिए कोई टॉयलेट व अन्य की व्यवस्था नहीं थी.
शादी के दौरान वहां बारिश हुई थी, जिसके कारण गन्दगी सीधे धौली गंगा में बहकर चली गयी. रिपोर्ट में यह भी कहा है कि शादी में पॉलीथिन से निर्मित वस्तुओं का प्रयोग किया गया, सफाई आदि के लिए जेसीबी मशीनों का प्रयोग किया गया. कोर्ट ने प्रदूषण बोर्ड से पूछा है कि 320 टन कूड़े का निस्तारण कैसे किया गया, क्या जैविक व अजैविक कूड़ा अलग किया या नहीं, धौली गंगा सहित उसके आस पास के जल स्त्रोतों को कितना नुकसान हुआ.
कोर्ट ने प्रदूषण बोर्ड को आदेश दिए हैं कि वह दोबारा से जांच करे कि वहां कितना पर्यावरण को नुकसान हुआ है. इसके लिए जितना भी पैसा लगेगा वे उसका बिल डी एम चमोली को दें.
याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में इसकी जांच कराने के लिए आज एफआरआई, निम, वाडिया इंस्टिट्यूट व ज्युलोजिकल सर्वे आफ इण्डिया को पक्षकार बनाने की भी मांग की है. जिस पर कोर्ट ने इनको पक्षकार बनाया है, जिससे पता चल सके की औली बुग्याल है या नहीं.