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नैनीताल हाईकोर्ट ने पूर्व सीएम आवास किराया मामले में फैसला रखा सुरक्षित

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Published : Dec 9, 2019, 10:36 PM IST

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास समेत अन्य भत्ते जमा करने के मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. इसके साथ ही अगर सरकार मुख्यमंत्रियों को छूट देने के इरादे से अध्यादेश लाएगी तो याचिकाकर्ता फिर से न्यायालय की शरण में आ सकते हैं.

nainital high court.
नैनीताल हाईकोर्ट ने सीएम आवास किराया मामला.

नैनीताल: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास का किराया और अन्य भत्तों के बिल जमा करने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने ये फैसला लिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए हैं कि अगर सरकार मुख्यमंत्रियों को छूट देने के इरादे से अध्यादेश लाएगी तो याचिकाकर्ता फिर से न्यायालय की शरण में आ सकते हैं. अब कभी भी पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास और अन्य भत्तों के मामले पर बड़ा फैसला आ सकता है.

पूर्व में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले का किराया और अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए थे. इसके बाद राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के मामले में अध्यादेश जारी कर सरकारी घर समेत अन्य भत्ते जमा नहीं करने का फैसला किया था, जिसको याचिकाकर्ता ने एक बार फिर हाई कोर्ट में चुनौती दी है.

फैसला रखा सुरक्षित.

पूर्व में सरकार ने 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों पर 2 करोड़ 85 लाख रुपये की राशि बकाया होने की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी. इसमें सरकार ने बताया कि पूर्व सीएम निशंक पर 40 लाख 95 हजार रुपए, बी सी खंडूडी पर 46 लाख 59 हजार रुपए, विजय बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार रुपए, भगत सिंह कोश्यारी( वर्तमान में महाराष्ट्र राज्यपाल) पर 47 लाख 57 हजार रुपए बकाया है. इनमें पूर्व मुख्‍यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के नाम पर एक करोड़ 13 लाख रुपए की राशि बकाया है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली के पत्रकार हरिद्वार से संदिग्ध परिस्थितियों में गायब, कमरे में मिले खून के निशान

बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में देहरादून की रुलर लिटिगेशन संस्था ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार द्वारा जो सरकारी भवन और सुविधाएं दी जा रही हैं, वो गलत है. साथ ही जब से पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी भवन का प्रयोग कर रहे हैं, उनसे उक्त अवधि के दौरान का किराया वसूलने की मांग भी की गई थी.

पूर्व में मुख्य न्यायाधीशों की पीठ ने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों को बकाया जमा करने के आदेश दिए, जिसके बाद राज्य सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश लाकर मुख्यमंत्रियों पर बकाया राशि को माफ करने का फैसला लिया था, जिसको याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. साथ ही कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सरकार मामले में अध्यादेश ला रही है, जो गलत है.

नैनीताल: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास का किराया और अन्य भत्तों के बिल जमा करने के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने ये फैसला लिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए हैं कि अगर सरकार मुख्यमंत्रियों को छूट देने के इरादे से अध्यादेश लाएगी तो याचिकाकर्ता फिर से न्यायालय की शरण में आ सकते हैं. अब कभी भी पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास और अन्य भत्तों के मामले पर बड़ा फैसला आ सकता है.

पूर्व में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले का किराया और अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए थे. इसके बाद राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के मामले में अध्यादेश जारी कर सरकारी घर समेत अन्य भत्ते जमा नहीं करने का फैसला किया था, जिसको याचिकाकर्ता ने एक बार फिर हाई कोर्ट में चुनौती दी है.

फैसला रखा सुरक्षित.

पूर्व में सरकार ने 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों पर 2 करोड़ 85 लाख रुपये की राशि बकाया होने की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी. इसमें सरकार ने बताया कि पूर्व सीएम निशंक पर 40 लाख 95 हजार रुपए, बी सी खंडूडी पर 46 लाख 59 हजार रुपए, विजय बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार रुपए, भगत सिंह कोश्यारी( वर्तमान में महाराष्ट्र राज्यपाल) पर 47 लाख 57 हजार रुपए बकाया है. इनमें पूर्व मुख्‍यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के नाम पर एक करोड़ 13 लाख रुपए की राशि बकाया है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली के पत्रकार हरिद्वार से संदिग्ध परिस्थितियों में गायब, कमरे में मिले खून के निशान

बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट में देहरादून की रुलर लिटिगेशन संस्था ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार द्वारा जो सरकारी भवन और सुविधाएं दी जा रही हैं, वो गलत है. साथ ही जब से पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी भवन का प्रयोग कर रहे हैं, उनसे उक्त अवधि के दौरान का किराया वसूलने की मांग भी की गई थी.

पूर्व में मुख्य न्यायाधीशों की पीठ ने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों को बकाया जमा करने के आदेश दिए, जिसके बाद राज्य सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश लाकर मुख्यमंत्रियों पर बकाया राशि को माफ करने का फैसला लिया था, जिसको याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी. साथ ही कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सरकार मामले में अध्यादेश ला रही है, जो गलत है.

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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रीयो को आवास समेत अन्य भत्ते जमा करने के मामले में हाई कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

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उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास का किराया व अन्य भत्तों के बिल जमा करने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है, वहीं कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए हैं कि अगर सरकार मुख्यमंत्रियों को छूट देने के इरादे से अध्यादेश लाएगी तो याचिकाकर्ता फिर से न्यायालय की शरण में आ सकता है, अब कभी भी पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास व अन्य भत्तों के मामले पर बड़ा फैसला आ सकता है।


Body:पूर्व में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले का किराया व अन्य भत्ते जमा करने के आदेश दिए थे, जिसके बाद राज्य सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों के मामले में अध्यादेश जारी कर सरकारी घर समेत अन्य भत्ते जमाना करने का फैसला किया था, जिसको यकचिककर्ता ने एक बार फिर हाई कोर्ट में चुनौती दी।
पूर्व में सरकार ने 5 पूर्व मुख्यमंत्रीयो पर 2 करोड़ 85 लाख रुपए की राशि बकाया होने की रिर्पोट कोर्ट में पेश करी,,, जिसमें सरकार ने बताया की पूर्व सीएम निशंक पर 40 लाख 95 हजार, 

बीसी खण्डूरी पर 46 लाख 59 हजार, 

विजय बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार, 

भगत सिंह कोश्यारी पर 47 लाख 57 हजार रुपए बकाया हैं,,, जबकी पूर्व मुख्‍यमंत्री स्व. एनडी तिवारी के नाम पर एक करोड़ 13 लाख रुपए की राशि बकाया है,,,


Conclusion:अपाको बता दे कि नैनीताल हाईकोर्ट में देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में पुर्व मुख्यमंत्रीयो को सरकार द्धारा जो सरकारी भवन और सुविधाए दी जा रही है वो गलत है साथ ही जब से पुर्व मुख्यमंत्री सरकारी भवन का प्रयोग कर रहे है उनसे उक्त अवधि के दौरान का किराया वसूलने की मांग भी की गई थी,
पूर्व में मुख्य न्यायाधीशों की पीठ ने प्रदेश के सभी मुख्यमंत्रियों को बकाया जमा करने के आदेश दिए जिसके बाद राज्य सरकार ने कैबिनेट में अध्यादेश लाकर मुख्यमंत्रियों पर बकाया को माफ करने का फैसला लिया था जिसको याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद सरकार मामले में अध्यादेश ला रही है जो गलत है।

बाईट- कार्तिके हरी गुप्ता, अधिवक्ता याचिकाकर्ता।
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