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जेलों में रिक्त पड़े पदों को लेकर हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

उत्तराखंड की जेल में रिक्त पड़े वरिष्ठ अधीक्षक जेल और अधीक्षक जेल के पदों के मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है.

nainital high court
नैनीताल हाईकोर्ट
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Published : Mar 24, 2021, 9:30 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड की जेलों में रिक्त पड़े पदों के मामले पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. जिस पर अब कभी भी कोई बड़ा फैसला आ सकता है.

बता दें कि काशीपुर निवासी अधिवक्ता संजीव कुमार आकाश ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य की जिला जेलों में वरिष्ठ जेल अधीक्षक और जेल अधीक्षक के करीब 7 पद रिक्त थे. जिनको राज्य सरकार की ओर से द्वारा 12 फरवरी 2021 को एक शासनादेश जारी कर पुलिस विभाग को भरने का आदेश जारी किया गया है, जो गलत है.

ये भी पढ़ेंः श्रम कार्ड बनाने के लिए उमड़ रही भीड़, लोग परेशानी झेलने को मजबूर

वहीं, सरकार के इस शासनादेश को याचिकाकर्ता की ओर से नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा जेल का जिम्मा सरकार के द्वारा पुलिस को दिया गया तो न्यायिक हिरासत व पुलिस हिरासत में कोई अंतर नहीं रहेगा. सरकार के इस फैसले से जेल में कैदियों के साथ दुर्व्यवहार होगा. लिहाजा, सरकार के इस फैसले पर रोक लगाई जाए.

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ में सुनवाई करते हुए मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है. जिस पर अब कभी भी कोई बड़ा फैसला सकता है.

नैनीताल: उत्तराखंड की जेलों में रिक्त पड़े पदों के मामले पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. जिस पर अब कभी भी कोई बड़ा फैसला आ सकता है.

बता दें कि काशीपुर निवासी अधिवक्ता संजीव कुमार आकाश ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य की जिला जेलों में वरिष्ठ जेल अधीक्षक और जेल अधीक्षक के करीब 7 पद रिक्त थे. जिनको राज्य सरकार की ओर से द्वारा 12 फरवरी 2021 को एक शासनादेश जारी कर पुलिस विभाग को भरने का आदेश जारी किया गया है, जो गलत है.

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वहीं, सरकार के इस शासनादेश को याचिकाकर्ता की ओर से नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा जेल का जिम्मा सरकार के द्वारा पुलिस को दिया गया तो न्यायिक हिरासत व पुलिस हिरासत में कोई अंतर नहीं रहेगा. सरकार के इस फैसले से जेल में कैदियों के साथ दुर्व्यवहार होगा. लिहाजा, सरकार के इस फैसले पर रोक लगाई जाए.

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ में सुनवाई करते हुए मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है. जिस पर अब कभी भी कोई बड़ा फैसला सकता है.

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