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स्वास्थ्य कारणों से हटाए गए असम रायफल के जवान को मिलेगी पेंशन, HC का केंद्र सरकार को आदेश

याचिकाकर्ता का कहना था कि उन्हें नौकरी के दौरान बीमारी हुई थी. इस कारण उन्हें घर भेज दिया गया. लेकिन उन्हें पेंशन देने की बजाय कमांडेंट द्वारा मृत घोषित कर दिया गया. अब इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है.

Nainital High Court
नैनीताल हाईकोर्ट
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Published : Dec 22, 2021, 9:57 AM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने असम रायफल के जवान के मेडिकली अनफिट होने पर कमांडेंट द्वारा उसे मृत घोषित करने के मामले पर सुनवाई की. न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद केंद्र सरकार को जवान को पेंशन व अन्य लाभ दिए जाने के आदेश दिए हैं.

ये था पूरा मामला: मामले के अनुसार पौड़ी गढ़वाल निवासी सुरेंद्र सिंह रावत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वे साल 1996 में असम रायफल में भर्ती हुए थे. साल 2002 में हड्डी की बीमारी होने के कारण उन्हें कमांडेंट ने घर भेज दिया था. घर आने के बाद जब उन्होंने पेंशन व अन्य लाभ के लिए आवेदन किया तो कमांडेंट ने उनकी माता को पत्र लिखकर कहा कि उन्हें मृत घोषित किया जाता है और आप मृत आश्रित कोटे के भीतर आवेदन करें.

पढ़ें-नई खेल नीति लागू: राष्ट्रीय खेलों में पदक विजेता खिलाड़ियों को मिलेगी नौकरी, इतनी दी जाएगी प्रोत्साहन राशि

इस पत्र को उनके द्वारा माननीय उच्च न्यायलय में चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ता का कहना था कि उन्हें नौकरी के दौरान बीमारी हुई थी. इस कारण उन्हें घर भेज दिया गया. लेकिन उन्हें पेंशन देने की बजाय मृत घोषित कर दिया गया. वहीं याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य कारणों से नौकरी से हटाए गए असम राइफल्स के जवान को पेंशन व अन्य लाभ देने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने असम रायफल के जवान के मेडिकली अनफिट होने पर कमांडेंट द्वारा उसे मृत घोषित करने के मामले पर सुनवाई की. न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद केंद्र सरकार को जवान को पेंशन व अन्य लाभ दिए जाने के आदेश दिए हैं.

ये था पूरा मामला: मामले के अनुसार पौड़ी गढ़वाल निवासी सुरेंद्र सिंह रावत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वे साल 1996 में असम रायफल में भर्ती हुए थे. साल 2002 में हड्डी की बीमारी होने के कारण उन्हें कमांडेंट ने घर भेज दिया था. घर आने के बाद जब उन्होंने पेंशन व अन्य लाभ के लिए आवेदन किया तो कमांडेंट ने उनकी माता को पत्र लिखकर कहा कि उन्हें मृत घोषित किया जाता है और आप मृत आश्रित कोटे के भीतर आवेदन करें.

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इस पत्र को उनके द्वारा माननीय उच्च न्यायलय में चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ता का कहना था कि उन्हें नौकरी के दौरान बीमारी हुई थी. इस कारण उन्हें घर भेज दिया गया. लेकिन उन्हें पेंशन देने की बजाय मृत घोषित कर दिया गया. वहीं याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य कारणों से नौकरी से हटाए गए असम राइफल्स के जवान को पेंशन व अन्य लाभ देने के आदेश दिए हैं.

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