नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वन विभाग से रिटायर हुए फॉरेस्ट गार्डो को पेंशन देने के आदेश दिए हैं. जिससे वन विभाग के रिटायर्ड कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है.
बता दें कि चमोली निवासी दलबीर सिंह ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वे वन विभाग में 1987 में टाइपिस्ट के पद पर नियुक्त हुए थे. 2012 में उनका चयन फॉरेस्ट गार्ड के लिए हो गया था. जिसके बाद वह 2019 में रजिस्टर्ड हो गए, लेकिन अब वन विभाग उनको यह कहते हुए पेंशन नहीं दे रहा है कि उनकी सेवा वन विभाग में नियमित होने के बाद 10 साल से कम है. जिस वजह से उनको पेंशन नहीं दी जा सकती है. विभाग के इस आदेश के बाद दलबीर सिंह ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
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याचिकाकर्ता याचिका में कहा है कि वह 1991 से लेकर 2012 तक लगातार उत्तरांचल वन श्रमिक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं. जिस वजह से विभागीय उच्चाधिकारियों ने उनके साथ लगातार भेदभाव किया. इतना ही नहीं विभागीय अधिकारियों के ने उनसे जूनियर कर्मचारियों को उनसे पहले नियमित कर दिया था.
शनिवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के न्यायाधीश लोकपाल सिंह की एकल पीठ ने वन विभाग को आदेश दिए कि याचिकाकर्ता को 1987 से शुरू हुई सेवा के लाभ से जोड़ते हुए पेंशन और अन्य लाभ दिए जाए. कोर्ट के इस फैसले से याचिकाकर्ता के साथ अन्य कर्मचारियों भी लाभान्वित होंगे. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश प्रेम सिंह बनाम राज्य सरकार के फैसले के आधार मानते हुए दैनिक श्रमिकों की सेवा को जोड़ते हुए पेंशन देने के अधिकार के आदेश दिए थे. जिसको आधार मानते थे आज हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.