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खनन के लिए पिथौरागढ़ में बनाई गई अवैध सड़क पर सुनवाई, कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर जांच करने का आदेश

Nainital High Court नैनीताल हाईकोर्ट में आज खनन सामग्री को लाने और ले जाने के लिए पट्टाधारक द्वारा अवैध रूप से सड़क निर्माण करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर फोटोग्राफ सहित रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं.

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Published : Aug 8, 2023, 4:43 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिथौरागढ़ के कानड़ी गांव में खनन सामग्री को लाने और ले जाने के लिए पट्टाधारक द्वारा अवैध रूप से सड़क निर्माण करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की है. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मामले की वास्तविक स्थिति जानने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर फोटोग्राफ सहित रिपोर्ट पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 सितंबर की तिथि नियत की है.

पूर्व के आदेश पर आज सेकेट्री खनन डॉक्टर पंकज पांडे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए. उनकी तरफ से पूर्व के आदेश का अनुपालन करते हुए रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई. रिपोर्ट में कहा गया कि मामले की जांच हेतु जिलाधिकारी को आदेश दे दिए गए हैं और संबंधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी दिए गए हैं. साथ ही पट्टाधारक का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है. वहीं, पट्टाधारक का कहना है कि उन्होंने कोई रोड का निर्माण नहीं किया है, बल्कि पहले से रोड बनी हुई थी. जिस पर कोर्ट ने मामले की वास्तविक स्थिति से अवगत होने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर फोटोग्राफ सहित रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
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पिथौरागढ़ कानड़ी गांव निवासी नीमा वल्दिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उनके गांव में नदी किनारे सरकार ने खनन हेतु 2022 में पट्टा लीज पर दिया था. शुरू में पट्टाधारक ने मजदूर लगाकर खनन कार्य किया. बाद में खनन साम्रगी को लाने व ले जाने के लिए उसने बिना अनुमति के वहां सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया. सड़क निर्माण के दौरान उसके द्वारा 100 से अधिक खैर व साल के पेड़ काट दिए गए. जब ग्राम वासियों ने इसका विरोध किया तो कुछ समय के लिए उसने सड़क निर्माण का कार्य बंद कर दिया. विरोध शांत होने के बाद उसने फिर से सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया. जिला प्रशासन ने भी उनकी शिकायत पर कोई निर्णय नहीं लिया है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई कि अवैध रूप से बन रही सड़क निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाए.
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नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पिथौरागढ़ के कानड़ी गांव में खनन सामग्री को लाने और ले जाने के लिए पट्टाधारक द्वारा अवैध रूप से सड़क निर्माण करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की है. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने मामले की वास्तविक स्थिति जानने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर फोटोग्राफ सहित रिपोर्ट पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 सितंबर की तिथि नियत की है.

पूर्व के आदेश पर आज सेकेट्री खनन डॉक्टर पंकज पांडे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए. उनकी तरफ से पूर्व के आदेश का अनुपालन करते हुए रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई. रिपोर्ट में कहा गया कि मामले की जांच हेतु जिलाधिकारी को आदेश दे दिए गए हैं और संबंधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी दिए गए हैं. साथ ही पट्टाधारक का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है. वहीं, पट्टाधारक का कहना है कि उन्होंने कोई रोड का निर्माण नहीं किया है, बल्कि पहले से रोड बनी हुई थी. जिस पर कोर्ट ने मामले की वास्तविक स्थिति से अवगत होने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर फोटोग्राफ सहित रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
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पिथौरागढ़ कानड़ी गांव निवासी नीमा वल्दिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उनके गांव में नदी किनारे सरकार ने खनन हेतु 2022 में पट्टा लीज पर दिया था. शुरू में पट्टाधारक ने मजदूर लगाकर खनन कार्य किया. बाद में खनन साम्रगी को लाने व ले जाने के लिए उसने बिना अनुमति के वहां सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया. सड़क निर्माण के दौरान उसके द्वारा 100 से अधिक खैर व साल के पेड़ काट दिए गए. जब ग्राम वासियों ने इसका विरोध किया तो कुछ समय के लिए उसने सड़क निर्माण का कार्य बंद कर दिया. विरोध शांत होने के बाद उसने फिर से सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया. जिला प्रशासन ने भी उनकी शिकायत पर कोई निर्णय नहीं लिया है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई कि अवैध रूप से बन रही सड़क निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाए.
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