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नैनीताल हाईकोर्ट में फांसी की सजा मामले की सुनवाई, निचली अदालत को दिया ये आदेश

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Published : May 13, 2022, 5:47 PM IST

टिहरी गढ़वाल के गुमाल गांव निवासी संजय सिंह ने 13 दिसंबर 2014 को मामूली बात में अपनी मां, बड़े भाई व गर्भवती भाभी को तलवार से काटकर उनकी निर्मम हत्या कर दी थी. जिसकी रिपोर्ट आरोपी के पिता राम सिंह पंवार ने दर्ज कराई थी. वहीं, इस मामले में दोषी संजय सिंह को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमा पांडेय (Additional District and Sessions Judge Rama Pandey) की अदालत ने अगस्त 2021 में मृत्युदंड की सजा सुनाई थी, जिसे आरोपी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

Nainital high court
नैनीताल हाईकोर्ट ने फांसी की सजा मामले की सुनवाई

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे (Chief Justice Sanjay Kumar Mishra and Justice RC Khulbe) की खंडपीठ ने परिजनों की निर्मम हत्या के आरोपी को निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा को निरस्त कर दिया है. साथ ही निचली अदालत को दोबारा इस मामले की सुनवाई का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने यह आदेश आरोपी की मानसिक स्थिति के आधार पर दिया है. कोर्ट का कहना है कि निचली अदालत ने इस तथ्य का संज्ञान नहीं लिया था.

जानकारी के मुताबिक, टिहरी गढ़वाल के गुमाल गांव निवासी संजय सिंह ने 13 दिसंबर 2014 को मामूली बात में अपनी मां, बड़े भाई व गर्भवती भाभी को तलवार से काटकर उनकी निर्मम हत्या कर दी थी. जिसकी रिपोर्ट आरोपी के पिता राम सिंह पंवार ने दर्ज कराई थी. वहीं, इस मामले में दोषी संजय सिंह को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमा पांडेय (Additional District and Sessions Judge Rama Pandey) की अदालत ने अगस्त 2021 में मृत्युदंड की सजा सुनाई थी, जिसे आरोपी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

पढ़ें- CM धामी ने किया IRB द्वितीय के प्रशासनिक भवन का लोकार्पण, बोले- पुलिस हमारी ब्रांड एंबेसडर

हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद वशिष्ठ को न्याय मित्र नियुक्त कर आरोपी की ओर से बहस हेतु नियुक्त किया था. न्याय मित्र ने कोर्ट को बताया कि मृत्यु दंड की सजा पाया आरोपी मानसिक रूप से अस्वस्थ है. उधर, मेडिकल बोर्ड ने भी आरोपी को मानसिक रूप से बीमार बताते हुए कहा है कि वह अपने द्वारा किये जाने वाले कृत्य के परिणाम नहीं जानता है लेकिन वह इलाज के बाद ठीक हो सकता है. वहीं, निचली अदालत ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर आरोपी को मृत्युदंड की सजा सुना दी.

वहीं, शुक्रवार को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए न्याय मित्र द्वारा प्रस्तुत तथ्य व मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर आरोपी को दी गई मृत्युदंड की सजा निरस्त कर दिया है. साथ ही निचली अदालत को इस मामले की दोबारा सुनवाई का आदेश देते हुए आरोपी का मानसिक परीक्षण कराने के निर्देश भी दिए हैं.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे (Chief Justice Sanjay Kumar Mishra and Justice RC Khulbe) की खंडपीठ ने परिजनों की निर्मम हत्या के आरोपी को निचली अदालत द्वारा दी गई फांसी की सजा को निरस्त कर दिया है. साथ ही निचली अदालत को दोबारा इस मामले की सुनवाई का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने यह आदेश आरोपी की मानसिक स्थिति के आधार पर दिया है. कोर्ट का कहना है कि निचली अदालत ने इस तथ्य का संज्ञान नहीं लिया था.

जानकारी के मुताबिक, टिहरी गढ़वाल के गुमाल गांव निवासी संजय सिंह ने 13 दिसंबर 2014 को मामूली बात में अपनी मां, बड़े भाई व गर्भवती भाभी को तलवार से काटकर उनकी निर्मम हत्या कर दी थी. जिसकी रिपोर्ट आरोपी के पिता राम सिंह पंवार ने दर्ज कराई थी. वहीं, इस मामले में दोषी संजय सिंह को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमा पांडेय (Additional District and Sessions Judge Rama Pandey) की अदालत ने अगस्त 2021 में मृत्युदंड की सजा सुनाई थी, जिसे आरोपी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

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हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद वशिष्ठ को न्याय मित्र नियुक्त कर आरोपी की ओर से बहस हेतु नियुक्त किया था. न्याय मित्र ने कोर्ट को बताया कि मृत्यु दंड की सजा पाया आरोपी मानसिक रूप से अस्वस्थ है. उधर, मेडिकल बोर्ड ने भी आरोपी को मानसिक रूप से बीमार बताते हुए कहा है कि वह अपने द्वारा किये जाने वाले कृत्य के परिणाम नहीं जानता है लेकिन वह इलाज के बाद ठीक हो सकता है. वहीं, निचली अदालत ने इस तथ्य को नजरअंदाज कर आरोपी को मृत्युदंड की सजा सुना दी.

वहीं, शुक्रवार को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए न्याय मित्र द्वारा प्रस्तुत तथ्य व मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर आरोपी को दी गई मृत्युदंड की सजा निरस्त कर दिया है. साथ ही निचली अदालत को इस मामले की दोबारा सुनवाई का आदेश देते हुए आरोपी का मानसिक परीक्षण कराने के निर्देश भी दिए हैं.

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