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वन विभाग के पास संसाधनों का टोटा, HC ने केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब

जंगलों में लगने वाली आग को बुझाने के लिए वन विभाग के पास उपयुक्त उपकरण ना होने का मामला पहुंचा नैनीताल हाई कोर्ट. जिस पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताते हुए केंद्र और राज्य सरकार को 4 हफ्तों के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए.

नैनीताल हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब.
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Published : Aug 23, 2019, 7:06 AM IST

नैनीताल: उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग को बुझाने के लिए वन विभाग के पास उपयुक्त उपकरण न होने के मामला नैनीताल हाई कोर्ट पहुंचा है. जनहित याचिका पर सुनवाई कर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र और राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

पढ़ें: आयुर्वेद निदेशालय के लिपिक पर युवती ने लगाया दुष्कर्म का आरोप, मुकदमा दर्ज

नैनीताल हाई कोर्ट के अधिवक्ता संदीप तिवारी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. जिसमें कहा गया है कि जंगलों में लगने वाली आग को बुझाने के लिए वन विभाग के पास कर्मचारी और आग बुझाने के लिए आधुनिक उपकरण नहीं हैं. साथ ही वन विभाग के कर्मचारियों के पास जंगल में गश्त करने के लिए बंदूक, सेटेलाइट, मोबाइल, वर्दी समेत कई उपकरणों का अभाव है.

याचिका में कहा गया है कि आधुनिक उपकरणों के अभाव के चलते वनों को काफी नुकसान हो रहा है. साथ ही बिना उपकरणों के जंगलों में काम कर रहे कर्मचारियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

वहीं, जंगलों में जानवरों का अवैध शिकार रोकने के लिए भी कर्मचारियों के पास कोई सुविधा नहीं है. साथ ही खनन माफिया भी जंगलों से खनिज संपदा का दोहन कर रहे हैं. मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल: उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग को बुझाने के लिए वन विभाग के पास उपयुक्त उपकरण न होने के मामला नैनीताल हाई कोर्ट पहुंचा है. जनहित याचिका पर सुनवाई कर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र और राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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नैनीताल हाई कोर्ट के अधिवक्ता संदीप तिवारी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. जिसमें कहा गया है कि जंगलों में लगने वाली आग को बुझाने के लिए वन विभाग के पास कर्मचारी और आग बुझाने के लिए आधुनिक उपकरण नहीं हैं. साथ ही वन विभाग के कर्मचारियों के पास जंगल में गश्त करने के लिए बंदूक, सेटेलाइट, मोबाइल, वर्दी समेत कई उपकरणों का अभाव है.

याचिका में कहा गया है कि आधुनिक उपकरणों के अभाव के चलते वनों को काफी नुकसान हो रहा है. साथ ही बिना उपकरणों के जंगलों में काम कर रहे कर्मचारियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

वहीं, जंगलों में जानवरों का अवैध शिकार रोकने के लिए भी कर्मचारियों के पास कोई सुविधा नहीं है. साथ ही खनन माफिया भी जंगलों से खनिज संपदा का दोहन कर रहे हैं. मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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जंगलों में लगने वाली आग को बुझाने के लिए वन विभाग के पास उपयुक्त उपकरण ना होने का मामला पहुंचा नैनीताल हाई कोर्ट।

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उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग को बुझाने के लिए वन विभाग के पास उपयुक्त उपकरण ना होने के मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए केंद्र और राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर अपना विस्तृत जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं।Body:आपको बता दें कि नैनीताल हाई कोर्ट के अधिवक्ता संदीप तिवारी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि जंगलों में लगने वाली आग को बुझाने के लिए वन विभाग के पास ना तो कर्मचारी हैं और ना ही आग बुझाने के लिए आधुनिक उपकरण है, साथ ही वन विभाग के कर्मचारियों के पास जंगल में गश्त करने के लिए बंदूक,सेटेलाइट, मोबाइल,वर्दी समेत कई उपकरण का अभाव है,
और कर्मचारी आपदा जैसी स्थिति में फंसने के बाद ना तो अपनी बातें दूसरे पहुंचा सकता है और ना ही खुद अपना बचाव कर सकता है, जिससे बनो को काफी नुकसान हो रहा है साथ ही जंगलों में काम कर रहे कर्मचारियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।Conclusion:साथ ही कर्मचारियों के पास नई तकनीक के संचार सुविधाएँ उपलब्ध नही है।
वही जंगलों में शिकारी भी जंगली जानवरों का अवैध शिकार कर रहे हैं जिनको रोकने के लिए इन कर्मचारियों के पास कोई सुविधा नहीं है साथ ही खनन माफिया जंगलों से खनिज संपदा का दोहन कर रहे हैं और वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के पास वन संपदा को बचाने के लिए कोई उपकरण नहीं है लिहाजा कर्मचारियों को अति आवश्यक रूप से आधुनिक उपकरण मुहैया कराया जाए मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।
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