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पुरोला नगर पंचायत में विकास कार्यों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई, कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब - पुरोला नगर पंचायत विकासकार्य

विधानसभा चुनाव से पहले नगर पंचायत पुरोला में पांच विकास कार्यों को लेकर शासनादेश जारी किया गया था. साथ ही इन कार्यों के लिए वित्तीय स्वीकृति भी दी गई थी. वहीं, अब इन कार्यों के लिए किये गए टेंडर निरस्त कर दिये गए हैं. जिसके बाद पुरोला निवासी हरिमोहन सिंह ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इन स्वीकृत कार्यों को कराए जाने की मांग की है.

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Published : Sep 20, 2022, 5:52 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नगर पंचायत पुरोला में विकास कार्यों के लिए वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बाद उन कार्यों को बिना किसी सूचना के निरस्त किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

इस मामले के अनुसार पुरोला उत्तरकाशी निवासी हरिमोहन सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि दिसम्बर 2021 में मुख्यमंत्री द्वारा पुरोला नगर पंचायत के विकास कार्यों हेतु 16 विकास कार्यों की घोषणा की थी. जिनका शासनादेश 31 दिसम्बर 2021 को जारी भी हो गया. कुछ समय बाद आचार संहिता लग जाने के कारण आगे की कार्यवाही रुक गयी. 31 मार्च को प्रशासन ने पांच कार्यों के लिए करीब 18 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति दे दी और शासनादेश जारी कर दिए. जिनमें पुरोला नगर पंचायत के लिए ओपन जीम, नालियां, सड़कें, बस व टैक्सी स्टैंड आदि थे.

पढ़ें- उत्तराखंड में 12वीं तक सभी स्कूलों में पढ़ाया जाएगा ये सब्जेक्ट, आदेश जारी

वहीं, नगर पंचायत ने इन कार्यों को कराने के लिए निविदाएं आमंत्रित की और टेंडर होकर कार्यदायी संस्थाओं के साथ अनुबंध तक करा दिए. अनुबंध होते ही सरकार ने इन पांचों कार्यों को निरस्त कर दिया. याचिका में कहा गया कि सरकार ने उनके साथ छल किया है. चुनाव से पहले 16 विकास कार्यों की घोषणा की. 5 कार्यों के लिए वित्तीय स्वीकृति भी प्रदान हुई. चुनाव जीत जाने के बाद उनको भी निरस्त कर दिया. जनहित याचिका में स्वीकृत पांच विकास कार्यों को कराए जाने की मांग की गई है.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नगर पंचायत पुरोला में विकास कार्यों के लिए वित्तीय व प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बाद उन कार्यों को बिना किसी सूचना के निरस्त किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है.

इस मामले के अनुसार पुरोला उत्तरकाशी निवासी हरिमोहन सिंह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि दिसम्बर 2021 में मुख्यमंत्री द्वारा पुरोला नगर पंचायत के विकास कार्यों हेतु 16 विकास कार्यों की घोषणा की थी. जिनका शासनादेश 31 दिसम्बर 2021 को जारी भी हो गया. कुछ समय बाद आचार संहिता लग जाने के कारण आगे की कार्यवाही रुक गयी. 31 मार्च को प्रशासन ने पांच कार्यों के लिए करीब 18 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति दे दी और शासनादेश जारी कर दिए. जिनमें पुरोला नगर पंचायत के लिए ओपन जीम, नालियां, सड़कें, बस व टैक्सी स्टैंड आदि थे.

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वहीं, नगर पंचायत ने इन कार्यों को कराने के लिए निविदाएं आमंत्रित की और टेंडर होकर कार्यदायी संस्थाओं के साथ अनुबंध तक करा दिए. अनुबंध होते ही सरकार ने इन पांचों कार्यों को निरस्त कर दिया. याचिका में कहा गया कि सरकार ने उनके साथ छल किया है. चुनाव से पहले 16 विकास कार्यों की घोषणा की. 5 कार्यों के लिए वित्तीय स्वीकृति भी प्रदान हुई. चुनाव जीत जाने के बाद उनको भी निरस्त कर दिया. जनहित याचिका में स्वीकृत पांच विकास कार्यों को कराए जाने की मांग की गई है.

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