नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चार चीनी नागरिकों के अपने वतन वापस जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सरकार से 29 मार्च तक फिर से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 29 मार्च को होगी. सोमवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि पूर्व में कोर्ट ने गृह सचिव को तीन बार समय देकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था. परंतु आज तक गृह सचिव द्वारा स्थिति स्पष्ट नहीं की गई.
मामले के मुताबिक, चार चीनी नागरिक वांग गुवांग, शू जेन, निहेपैंग और लियोजीनकांग भारत घूमने के लिए वर्ष 2018 में आए थे. जिन्हें मुम्बई पुलिस द्वारा सोने के तस्करी करने के आरोप में उन्हें बंदी बना लिया था. इन लोगों को महाराष्ट्र हाईकोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया था. वर्ष 2019 में उत्तराखंड पुलिस ने इन्हें बनबसा में गिरफ्तार कर लिया. इन पर आरोप लगाया कि ये बनबसा के रास्ते नेपाल जा रहे थे और इनके पास इंडिया की फर्जी वोटर आईडी भी बरामद की.
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पुलिस ने आईपीसी की धारा 420, 120बी, 467 में फर्जी वोटर आईडी बनाने के आरोप में इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. निचली अदालत ने फर्जी वोटर आईडी बनाने के कारण इनकी जमानत याचिका निरस्त कर दी थी. इस आदेश के खिलाफ इन्होंने हाईकोर्ट में जमानत हेतु प्रार्थना पत्र दिया. पूर्व में हाईकोर्ट ने इनकी जमानत मंजूर कर कहा था कि चारों अभियुक्त हर हफ्ते बनबसा थाने में अपनी हाजरी देंगे. चारों अभियुक्तों द्वारा अपने वतन वापसी को लेकर याचिका दायर की गई.
वहीं, उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आज प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखण्ड के पद से हटाए गए प्रदेश के वरिष्ठतम आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी के स्थान पर विनोद कुमार सिंघल को नियुक्त किए जाने के मामले की भी सुनवाई की. कोर्ट ने इस मामले को सुनने के बाद अगली सुनवाई हेतु 28 मार्च की तिथि नियत की है. साथ ही कोर्ट ने कार्यकारी प्रमुख वन संरक्षक से 28 मार्च तक जवाब पेश करने को कहा है. आज इस मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायधीश आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई.