नैनीताल: उत्तराखंड की मित्र पुलिस की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है. मामला इस बार नैनीताल हाई कोर्ट में पहुंचा है. पौड़ी गढ़वाल में पुलिस द्वारा वकील के घर में घुसकर उसके परिवार के साथ मारपीट करने के मामले में कोर्ट ने एसएसपी पौड़ी को स्टेटस रिपोर्ट पेश कर स्थिति साफ करने को कहा है.
बता दें कि पौड़ी निवासी अधिवक्ता राकेश कुमार ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि 9 जुलाई की रात को उनके घर में 7 से 8 पुलिसकर्मियों समेत करीब 16 लोग घुस आए थे. जिन्होंने उनकी मां और बहन के साथ मारपीट की थी. मारपीट करने के बाद वो घर में रखे 10 से 12 हजार रुपए भी लूट लिए थे.
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याचिकाकर्ता के मुताबिक इन लोगों के द्वारा उनके घर में आग लगाने की भी कोशिश की गई थी. साथ ही उनके परिवार को जान से मारने की धमकी भी दी गई थी. जिसके बाद पुलिस अधिवक्ता समेत उनके पूरे परिवार को कोतवाली उठा ले गई.
घटना का विरोध करने पर कोतवाल नरेंद्र सिंह बिष्ट ने उनकी 76 साल की मां के पेट पर लात मारी थी. जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गईं. राकेश ने अपनी याचिका ने कहा था कि कोतवाली में उनके साथ भी मारपीट की गई थी और उसके भाई को बूरी तरह पीटा गया था. जिससे गंभीर हालत में दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया है.
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याचिकाकर्ता का कहना है कि पुलिस उनका उत्पीड़न कर रही है, क्योंकि उनके द्वारा एक मामले में नैनीताल हाई कोर्ट से पौड़ी कोतवाली में तैनात सब इंस्पेक्टर कैलाश सेमवाल के खिलाफ नोटिस जारी करवाये हैं. जिसके विरोध में पुलिस उनके साथ इस तरह कर रही है.
सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने एसएसपी पौड़ी मामले में स्थिति स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं. वही अधिवक्ता व उसके परिवार के खिलाफ दायर एफआईआर पर रोक लगा दी है.