नैनीतालः हरिद्वार जिले के मुजफ्फरपुर मौजां वन ग्राम में वन भूमि पर हो रहे अवैध खनन के मामले में दायर जनहित याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान संबंधित अधिकारियों से सवाल पूछा कि जब यह भूमि खेती के लिए दी गई थी तो इसमें कैसे खनन हो रहा है? संबंधित अधिकारी क्या कर रहे हैं? इस पर जवाब दें.
दरअसल, हरिद्वार निवासी सामाजिक कार्यकर्ता धर्मवीर सैनी ने नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. इसमें उन्होंने कहा है कि वन विभाग ने हरिद्वार जिले के मुजफ्फरपुर मौजां गांव के भूमिहीन 59 परिवारों को 55 हेक्टेयर वन भूमि कृषि कार्य के लिए अलॉट की थी. आरोप है कि इस भूमि पर खेती की जगह धड़ल्ले से खनन का काम हो रहा है.
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याचिकाकर्ता की ओर से जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि इस भूमि पर पट्टा धारकों की ओर से बीते कुछ सालों से अवैध खनन किया जा रहा है. जबकि, उन्होंने कोर्ट में इससे संबंधित फोटो भी पेश किए. जनहित याचिका में कहा गया कि जब यह भूमि उन्हें कृषि कार्य हेतु दी गई थी, तो कैसे इस पर अवैध खनन हो रहा है? लिहाजा, इस पर रोक लगाई जाए.
आज मामले में कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने मामले में डीएफओ, एसडीएम समेत अन्य अधिकारियों से सवाल भी पूछा कि भूमि पर कैसे खनन का काम हो रहा है, इसका जवाब कोर्ट को दें. अब मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 24 जुलाई की तिथि नियत की है.